Mulahiza Farmaiye

कोरोना और जीवन

तुम्हारी ‘इक आवाज़’ पर हम ‘दौड़े’ चले आएंगे…!!
बस शर्त ये है कि लहज़े में बेकरारी होनी चाहिए…!!

ये ज़िन्दगी है जनाब,
जीना सिखाए बगैर मरने नहीं देती…!!

हम डरते थे कभी तन्हाई से बीमार न पड़ जायें
अब महफ़िलों से खौफ है कि रोग न ले आये

न जाने किसी गुश्ताखी कर गये,
कि चेहरे पर नक़ाब लगाने पड़ गये।

इस घुटन से कब निकल पाएंगे,
खुली हवा में सांस कब ले पाएंगे।

उन्हें शिकायत है कि घर पर नहीं मिलते,
अब हैं तो वो घर के पास भी नहीं फटकते।

कोरोना हमारा कीमती खज़ाना ले गया,
दोस्तों के साथ बैठे जैसे ज़माना हो गया!

कुछ तो अलग गुनाह किये होंगे हमने मिलकर,
कि हाथ गंगाजल के बजाय मदिरा से धोने पड़ रहे हैं!!

कुछ तो अलग गुनाह किये होंगे हमने मिलकर,
कि हाथ गंगाजल के बजाय मदिरा से धोने पड़ रहे हैं!!

ज्योत्सना कोठारी


Subscribe us on YouTube

Via
Sri Maheshwari Times

Related Articles

Back to top button