Kuldevi

श्री खीवंज माताजी

श्री खीवंज माताजी माहेश्वरी जाति की भूतड़ा खांप की कुलदेवी है। इसके अतिरिक्त भूतड़ा परिवार में भूतड़ा, चेचाणी, देवदतमाणी, देवगट्टानी, चौधरी तथा सर्राफ आदि नख वाले लोग भी इन्हें अपनी कुलदेवी मानते हैं।

इस स्तम्भ में आप माहेश्वरी समाज की कुलदेवियों के दर्शन कर रहे हैं। शृखंला में प्रस्तुत है- खीवंज माताजी। भारत को विश्व में परमाणु शक्ति का दर्जा दिलाने वाले राजस्थान के पोकरण में स्थित माताजी स्वयं-भू शक्ति है। केवल माहेश्वरी समाज ही नहीं हर वर्ग समुदाय यहां से आशीर्वाद प्राप्त कर अपने जीवन को धन्य समझता है। आईए चलें माताजी की यात्रा पर।

मातेश्वरी का आदि-अनादि मंदिर राजस्थान के जैसलमेर जिले के ग्राम पोकरण में स्थित है। पोकरण के दक्षिण में ४ किमी दूर बाड़मेर राजमार्ग पर एक पहाड़ी पर शोभायमान मातेश्वरी की मूर्ति चट्टान के अन्दर से स्वयं जागृत रूप में प्रकट है जिसकी विशेष मनुष्य आकृति नहीं है। माताजी का स्वरूप बड़ा ही तेजस्वी व अत्यंत ही चमत्कारी है।

मन्दिर पर लगे स्तम्भ राजा विक्रमादित्य कालीन हैं जिससे ज्ञात होता है कि मंदिर आठवीं शताब्दी से पहले का बना हुआ है। मुगलकाल में औरंगजेब द्वारा इस मन्दिर को नष्ट करने का प्रयास करने पर माताजी के अद्भुत चमत्कार से भयभीत औरंगजेब ने पुनः निर्माण करवाया था। उस समय से यह ऐतिहासिक मन्दिर विद्यमान है। मन्दिर तक पक्की सड़क है।

मातेश्वरी को लाल वस्त्र,लाल पुष्प व फलों में अनार अति प्रिय है। यहां अखण्ड ज्योत जलती रहती है। वर्ष में दो बार चैत्र शुक्ल पक्ष व आसोज शुक्ल पक्ष नवरात्रि में यहाँ मेला लगता है जिसमें दूर-दूर से यात्री सम्मिलित होने आते हैं। शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवरात्रि स्थापना, पूजन व अखण्ड पाठ चलता है, अष्टमी को हवन होता है। रात्रि में सत्संग व जागरण के पश्चात नवमी के दिन महाप्रसादी का आयोजन किया जाता है।

मातेश्वरी मन्दिर की व्यवस्था, अखण्ड ज्योत व पूजन सुचारु चलाने के लिए एवं मन्दिर का पूर्ण जीर्णोद्धार करवाने के लिए सन् १९८२ में एक संचालक मण्डल (ट्रस्ट) का गठन किया गया जिसे राज्य सरकार द्वारा पंजीकृत करवाया गया है। मंदिर में रहने-ठहरने की अच्छी व्यवस्था है। यहां पहुंचने के लिए सभी प्रकार के साधन उपलब्ध हैं।


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Sri Maheshwari Times

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