Aapni Boli

धर्म री अज्ञानता रो कारण

खम्मा घणी सा हुक्म इन दिनों एक घटना बहुत चर्चा में रही। बॉलीवुड री बड़ी अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा और असल जिंदगी में होनहार रुमा देवी केबीसी में आपाणी संस्कृति सुं जुडियों एक मामूली सवाल…हनुमानजी किसके प्राण वापस लाने के लिए संजीवनी बूटी लाये थे? जवाब नहीं दे पाई … सोशल मीडिया पर लानत -मलामत हुवणी स्वाभाविक थी ,जनता आक्रोश में आने खूब खरी-खोटी सुनाई ।

हुक्म केबीसी रे इन एपिसोड पर कई लोगा ने सनातन धर्म संकट में दिखाई देवण लाग ग्यो… एक बात समझण ने मजबूर कर दियों कि आज सोनाक्षी सिन्हा एक एड़ी महिला नहीं है आज री युवापीढ़ी रो प्रतिबिम्ब सामनें आयों कि आज शिक्षा रे सेकुलरीकरण रे कारण स्कूली सिलेबस सुं रामायण महाभारत रे इतिहास  री जानकारी हटा दी है ताकि बच्चा आपरी संस्कृति सुं कट जावे ओर कटयोड़ा लोग ही आगे जाने धर्मान्तर रा शिकार बणे।

म्हाणी पीढ़ी में तो कहानियां घर में दादी – नानी सुणावती … रामानंद सागर और बी. आर. चौपड़ा द्वारा सीरियल रामायण महाभारत विस्तार सुं टीवी पर  दिखाने जन जन तक पहुंचायों। आज सयुंक्त परिवार रे विखंडीकरण और मोबाइल रो बहुत प्रयोग रे कारण नई पीढ़ी सांस्कृतिक धरोहर सूं वंचित हूँ रही है।

सही कहुं हुक्म पैसा री अंधाधुंध दौड़ में पति-पत्नी दोनो ही नौकरी पर जा रिया है वाणे कने समय नहीं कि बच्चों ने राम,कृष्ण,शिव पार्वती, गणेश, दुर्गा माता री कहानियां सुनावें … अब तो बचपन सुं ही स्कूली पढ़ाई में भी ट्यूशन राखणी पड़े तो धार्मिक ग्रन्थों री जानकारी तो बहुत दूर री बात है…

अब आ बात बहुत विचारणीय है कि इनो समाधान आपा किकर कर सका… आपाणे धर्म और सांस्कृतिक धरोहर रे बारे में जानकारी दे सका कि वे आपाणी धार्मिक जड़ों सुं जुड़ीयोड़ा रेहवे।

आपाणी संस्कृति, परम्पराओं देश रे वीरों ,सन्तों रे इतिहास री जानकारी रो काम सरकार रो नहीं स्वयं खुद ने करणो पड़ेला। आपाणे बच्चों ने केड़ी शिक्षा देणी है इनी पहली जिम्मेदारी माँ-बाप री है क्योंकि निश्चित रूप सुं कुछ जेहादी आपणी संस्कृति ने मिटावण में लाग्योड़ा है तो आपाने ही बाल-रामायण महाभारत, चाणक्य,विक्रमादित्य ,लोकमान्य बालगंगाधर तिलक, स्वामी विवेकानंद शुभाष चन्द्र बोस, भगतसिंह,महात्मा गांधी ,भक्त मीरा,रैदास,कबीर, और कई वीरों री किताब घर में रखणी पढ़नी और इन पर चर्चा रे लिए कुछ समय निकालनों चईजे ताकि बच्चों ने ज्ञान हो वे आपरे मित्रों रे साथे भी चर्चा करे ओर ज्यादा जाणकारी री जिज्ञासा मन में लावें ।

सच में हुक्म जरूरत है आपा सब मिल समृद्ध और गौरवमय सांस्कृतिक अतीत रो सरंक्षण करण को संकल्प लेवां।

स्वाति जैसलमेरिया


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Source
श्री माहेश्वरी टाइम्स
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