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एक नीम सौ हकीम

भारतीय संस्कृति व नीम का विशेष महत्व है। हमारे यहाँ आम धारणा रही है कि जहाँ नीम है, वहाँ रोग व मृत्यु नहीं आती। अमेरिका सहित कई देश इसे पेटेंट कराने में वर्षों से जुटे हैं। विदेशों में नीम को एक ऐसे पेड़ के रूप में पेश किया जा रहा है जो मधुमेह से लेकर कैंसर और न जाने किस-किस तरह कि बीमारियों का इलाज कर सकता है। एक नीम सौ हकीम के बराबर है। आइये देखें आखिर ऐसा क्या है, नीम में?

नीम के औषधीय गुणों को घरेलु नुस्खों में उपयोग कर स्वस्थ व निरोगी बना जा सकता है। नीम एक चमत्कारी वृक्ष माना जाता है। जो प्रायः सर्व सुलभ मिल जाता है। यह पूरे भारत में फैला है और हमारे जीवन से जुड़ा है।

नीम एक बहुत ही अच्छी वनस्पति है जो भारतीय पर्यावरण के अनुकूल है और भारत में बहुतायत में पाया जाता है। भारत में इसके औषधीय गुणों की जानकारी हज़ारों सालों से हो रही है।

एक कहावत प्रचलित है कि जिस धरती पर नीम के पेड़ होते हैं, वहां मृत्यु और बीमारी कैसे हो सकती है। लेकिन अब अन्य देश भी इसके गुणों के प्रति जागरूक हो रहे हैं। नीम हमारे लिए अति विशिष्ट व पूजनीय वृक्ष है। नीम को संस्कृत में निम्ब वनस्पति कहते हैं।


कई औषधीय गुणों से भरपूर

एक नीम सौ हकीम

यह वृक्ष अपने औषधि गुण के कारण पारम्परिक इलाज में बहुउपयोगी सिद्ध होता आ रहा है। नीम स्वभाव से कड़वा जरूर होता है परन्तु इसके औषधीय गुण बड़े ही मीठे होते हैं। तभी तो नीम के बारे में कहा जाता है कि एक नीम और सौ हकीम दोनों बराबर हैं। इसमें कई तरह के कड़वे परन्तु स्वास्थ्यवर्धक पदार्थ होते हैं।

इनमें मार्गोसिं, निम्बिडीन, निम्बेस्टेरोल प्रमुख हैं। नीम सर्वरोगहारी गुणों से भरा पड़ा है। यह हर्बल आर्गेनिक पेस्टिसाइड साबुन, एंटीसेप्टिक क्रीम, दातुन, मधुमेहनाशक चूर्ण, कॉस्मेटिक आदि के रूप में प्रयोग किया जाता है।

नीम की छाल में ऐसे गुण होते हैं जो दांतों और मसूढ़ों में लगने वाले बैक्टीरिया को पनपने नहीं देते हैं। इससे दांत स्वस्थ व मजबूत रहते हैं।


आयुर्वेद शास्त्रों में नीम

चरक संहिता और सुश्रुत संहिता जैसे प्राचीन चिकित्सा ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। इसे ग्रामीण औषधालय का नाम भी दिया गया है। यह पेड़ बीमारियों वगैरह से आजाद होता है और उस पर कोई कीड़ा-मकोड़ा नहीं लगता इसलिए नीम को आजाद पेड़ कहा जाता है।

भारत में नीम का पेड़ ग्रामीण जीवन का अभिन्न अंग रहा है। लोग इसकी छाया में बैठने का सुख तो उठाते ही हैं, साथ ही इसके पत्तों, निम्बोलियों, डंडियों व छाल को विभिन्न बीमारियों दूर करने के लिए प्रयोग करते हैं।

ग्रंथों में नीम के गुण के बारे में चर्चा इस तरह है

निम्ब शीटों लघुग्राही कतुर कोअग्नि वातनुत।
अध्यः श्रमतुटकास ज्वरारुचिक्रिमी प्रणतु।।

अर्थात- नीम शीतल, हल्का, ग्राही पाक में चरपरा, हृदय को प्रिय, अग्नि, परिश्रम, तृषा, अरुचि, क्रिमी, व्रण, कफम वमन, कोढ और विभिन्न प्रमेह को नष्ट करता है।


Via
Sri Maheshwari Times

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