Articles

स्वास्थ्य की खुशबु बिखेरती केसर

गर्भस्त शिशु से लेकर बच्चों, युवा तथा वृद्धों सभी के लिए केसर को महत्त्व दिया गया है। इसकी मनलुभाति खुशबु सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है, इसमें स्वास्थ्य का खजाना भी छुपा है। गर्भवती महिलाओं को अनिवार्य रूप से केसर के दूध का सेवन करने की सलाह दी जाती रही है। इसके पीछे भी प्रमुख रूप से तो स्वस्थ माता व स्वस्थ बच्चे की भावना ही निहित है।

यह अपने स्वाद, रंग और महक के लिए जानी जाती है। अन्य सभी सूखे मेवों में यह सर्वाधिक कीमती भी है। यही कारण है कि यह जान सामान्य की पहुँच से दूर है। इसकी दो-चार पत्तियां ही रंग, स्वाद और खुशबु के लिए पर्याप्त है।

केसर के फूल लाल, सफ़ेद और पीले रंग के हो सकते हैं। बैंगनी या लाल फूल को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, जबकि पीले फूल गुणवत्ता की दृष्टि से कमजोर होते हैं।

सावधानीपूर्वक फूलों को तोड़कर इसके पराग को बर्तनों में इकठ्ठा कर लिया जाता है। आमतौर पर सुबह या शाम को फूलों से पराग निकालने का काम किया जाता है।


स्वस्थ तन व मन का आधार

यह एक औषधि के रूप में भी प्रयुक्त होती है। आयुर्वेद में इसके गुणों का काफी बखान किया गया है। यह चिरयौवन प्रदान करती है, तभी तो इसे च्यवनप्राश में मिलाया जाता है। इससे अनेक असाध्य रोग भी दूर हो सकते हैं।

केसर

इसका इस्तेमाल हर दृष्टि से लाभदायी है। यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है तथा भूख बढ़ाती है। मधुमेह, हैजा, अतिसार, कफ, खांसी आदि में यह लाभदायक है।

मधुमेह में इसे घी के साथ तथा हैजा और अतिसार में इसे नीम की पत्तियों के साथ सेवन करना चाहिए। शरीर में यदि खून की कमी हो तो इसके नियमित सेवन से ठीक हो जाती है।


जायके के साथ सर्दी का दुश्मन

यह आइसक्रीम व श्रीखंड का जायका तो बढ़ाती ही है, ठंडाई को भी स्वादिष्ट बनाती है। पान मसाले में भी इसका इस्तेमाल हो रहा है। यह मन को शान्ति तथा प्रसन्नता प्रदान करती है। मंदिरों में पूजा और प्रसाद में इसका व्यापक उपयोग होता है।

इसका इस्तेमाल सर्दियों में अधिक करना चाहिए तथा वर्षा एवं ग्रीष्म ऋतु में कम कर देना चाहिए।


कैसे करें शुद्धता का परीक्षण

आजकल शुद्ध या बढ़िया किस्म की केसर मिलना बड़ा मुश्किल है। इसमें तरह-तरह की मिलावट की जाती है अथवा घटिया पीले केसर को मिला दिया जाता है। असली केसर के दाम काफी ऊंचे होते हैं इसलिए नकली केसर की मिलवट करके लोग मुनाफा कमाते हैं।

केसर

भारत में जितना केसर पैदा होता है, उससे कई गुना अधिक बेचा जाता है, जो इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि लोग मिलावटी केसर बेचते हैं। विशेषज्ञ केसर को स्पिरिट में डालकर उसकी शुद्धता का परीक्षण करते हैं।

शुद्ध केसर स्पिरिट में केसरिया रंग छोड़ता है जबकि नकली केसर नहीं छोड़ता। विदेशों में भी भारतीय केसर की अच्छी मांग है।


Via
Sri Maheshwari Times

Related Articles

Back to top button