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भगवान विष्णु का अलौकिक तीर्थ – श्री नारायणपुरम

महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले की छोटी सी शहादा तहसील अब तक देश के नक्शे में लगभग आम व्यक्ति के लिये अनजान सी थी। यह अब धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विशिष्ट स्थान बनाने जा रही है। यहाँ भगवान विष्णु के आलौकिक तीर्थ श्री नारायणपुरम का निर्माण हो रहा है।

जिला नंदुरबार की शहादा तहसील में शेष की शैय्या पर शयन करते लक्ष्मी पति श्री नारायण भगवान के दिव्य मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है। यह तीर्थ ‘श्रीमंदिर’ और ‘श्रीश्रीनारायणपुरम तीर्थ’ के नाम से सर्वत्र जाना जाने लगा है। यह स्थान इंदौर से 200 किमी, सूरत से 200 किमी और नासिक से भी 230 किमी की दूरी पर स्थित है।

इस तीर्थ में मंदिर का निर्माण एक विशेष प्रकार की शास्त्र विधि अनुसार पूरी तरह से पत्थर द्वारा ही किया जा रहा है। इस तीर्थ के गर्भगृह में ग्यारह फीट की 21 टन भार की अष्टधातु की प्रतिमा विराजमान होगी और साथ में 5100 शालिग्राम भी। मंदिर का शिखर 92 फिट ऊँचा होगा। इस धरती पर विष्णु भगवान के मंदिर दुर्लभ और दिव्य होते हैं।

श्रीनारायण भक्ति पंथ के प्रवर्तक सद्गुरु श्रीलोकेशानंदजी महाराज की प्रेरणा से यह निर्माणाधीन तीर्थ सतत आगे बढ़ रहा है। सद्गुरुश्री बाल्यावस्था से ही विष्णु भगवान की भक्ति और सेवा हेतु समर्पित होकर धर्म के आधार विष्णु भगवान की भक्ति एवं पूजा-अर्चना का प्रचार और प्रसार करने का दैवी कार्य कर रहे हैं।


अष्टधातु की भव्य प्रतिमा

शास्त्र कहते हैं कि मिट्टी की प्रतिमा का एक पूजन करने पर एक का ही फल प्राप्त होता है। काष्ठ (लकड़ी) की प्रतिमा का एक बार पूजन करने से सौ गुना फल प्राप्त होता है और पत्थर की प्रतिमा का एक बार पूजन करने से सहस्त्र (हजार) गुना फल प्राप्त होता है तथा अष्टधातु से बनी हुई प्रतिमा का पूजन करने से अनंत गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

अत: यहाँ अष्टधातु की प्रतिमा स्थापित हो रही है। इस तीर्थ में विराजमान होने वाली 11 फीट की इस शयन मूर्ति का भार 21 टन से अधिक होगा। ऐसी यह पुरुषोत्तम नारायण अर्थात साक्षात विष्णु भगवान की सर्वांग सुंदर चतुर्भुज रूप वाली दिव्य और दुर्लभ प्रतिमा विश्व में पहली बार ही महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले के शहादा में बन रहे श्रेष्ठ विष्णु तीर्थ में स्थापित होने जा रही है। साथ ही गर्भगृह में श्रीलक्ष्मीजी और भू-देवी की प्रतिमा भी स्थापित होगी। और भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि गर्भगृह की वेदी में 5100 शालिग्राम भी विराजमान होंगे।


शहादा में ही ऐसा तीर्थ क्यों

कहा जा रहा है कि यह मंदिर भविष्य के सौपान लिखेगा। ऐसा माना जाता है कि जब कलयुग में विष्णु भगवान कल्कि अवतार में प्रकट होंगे और वे देवदत्त नामक घोड़े पर सवारी कर दुष्टों का संहार कर धर्म की स्थापना करेंगे। तब परिभ्रमण करते हुये वे चिरंजीवियों के साथ शहादा नगर में इस स्थान पर इस तीर्थ के मंदिर में ही कुछ दिन विश्राम करने के पश्चात आगे बढ़ते हुये केरल के पद्मनाभ स्वामी मंदिर को जाकर वहाँ दूसरा विश्राम करेंगे, फिर वहाँ पर स्यमन्तक मणि को धारण कर आगे की यात्रा करेंगे। कल्कि अवतार की प्रथम विश्राम स्थली यहीं शहादा धाम पर होगी इसीलिए शहादा में ‘श्रीश्रीनारायणपुरम तीर्थ’ स्थापित हो रहा है।


स्थापत्य कला का दर्शन कराने वाला आर्किटेक्चर

सोमपुरा स्थापत्य के शास्त्र द्वारा यह विशाल मंदिर आकार लेगा। इससे पहले कहीं भी ऐसा मंदिर नहीं बना है। श्लोकों से ही इसका प्रमाण लेकर इसका डिजाइन बनाया गया है। इसके प्रासाद अर्थात इस भवन को पक्षीराज गरुड़ प्रासाद के नाम से जाना जाता है। यह विष्णु भगवान का प्रिय प्रासाद माना जाता है।

अत: इस तीर्थ की यात्रा पुण्यदायी और सुखद होगी। यहाँ पर विष्णु भगवान की पूजा-अर्चना सर्वश्रेष्ठ फलदायी होगी। यहाँ भक्ति मुक्ति के लिये विष्णु भगवान की तथा ऐश्वर्य और संपदाओं के लिये श्रीलक्ष्मीजी की पूजा-अर्चना करना श्रेष्ठ होगा। आज भी अनेकों भक्तों को यहाँ पर उत्तम आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। उपासना-आराधना और प्रार्थना का यह शहादा धाम भक्तों की इच्छाओं को पूर्ण करने वाला कल्पवृक्ष है।


आप भी बन सकते हैं सहयोगी

विष्णु भगवान के मंदिर निर्माण का अनंत पुण्य फल कहा गया है। अतः आप भी इस तीर्थ के निर्माण में अपना योगदान अर्पण कर अनंत पुण्य फल प्राप्त कर अपना और अपने 21 कुलों का उद्धार कर सकते हैं। इस संबंध में दानदाताओं से मंदिर निर्माण समिति सहयोग की अपील करती है। आपका दान अनंत काल तक स्थिर रहेगा एवं अनंत पुण्य का हेतु होगा। इससे आप श्रीलक्ष्मीनारायण के कृपा पात्र होंगे।


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