‘टीम वानप्रस्थ’ के प्रयासों से जीते कोरोना जंग वयोवृद्ध
कोरोना जैसी महामारी, जिसमें अपने भी अपनों से दूरी बनाकर रखते हैं, जिसके कारण एक भय सब के मन में रहता है। यदि कोई अपना इससे संक्रमित हो जाए, तो अपने भी उपेक्षा करने से नहीं चूकते। वृद्धाश्रम में रह रहे 65 से लगभग 95 साल के वरिष्ठ वैसे ही किसी न किसी बीमारी से पहले ही ग्रसित रहते हैं, यदि ऐसे माहौल में वे सभी कोरोना पॉजिटिव हो जाऐं तो क्या होगा? निश्चय ही स्थिति अत्यंत चिंताजनक ही होगी लेकिन नागपुर स्थित यतिराजदेवी मांगीलाल सारड़ा श्री महेश्वर वानप्रस्थ आश्रम की टीम वानप्रस्थ के सकारात्मक प्रयासों से न सिर्फ वरिष्ठों की सही देखरेख हुई बल्कि वे स्वस्थ भी हो गये। इस टीम वानप्रस्थ में रामरतन सारड़ा, सरला सोमानी, रमाकांत सारड़ा, मधु सारड़ा, सुशील फतेपुरिया, किरण मूंदड़ा, अशोक सोमाणी, अजय नबीरा, लता मनियार, कृष्णा लाहोटी आदि शामिल हैं।
गत माह अप्रैल में नागपुर स्थित यतिराजदेवी मांगीलाल सारड़ा श्री महेश्वर वानप्रस्थ आश्रम में कोरोना ने आक्रमण कर ही दिया। पहले 2 और बाद में शेष सभी 24 आश्रम वासी संक्रमित हो चुके थे। टेस्ट रिपोर्ट आने तक 2 साथियों को खो चुके आश्रमवासियों पर स्वयं के पॉजिटिव होने की खबर कहर बन कर टूटी।

मानसिक संबल तो जाता ही रहा, जीवित रह पाने की उम्मीद भी मानो कोरोना के भय ने निगल ली.. सब सहम चुके थे। प्रबंध समिति बाकी व्यवस्थाओं के साथ-साथ उनका संबल बनाए रखने के लिए भरसक प्रयास कर ही रही थी तभी इस सरकारी आदेश के साथ एम्बुलेंस ही आ गयी कि सबको कोविड केयर सेंटर में क्वारंटाइन करना होगा। अब तो मानो कुछ शेष रहा ही नहीं।
प्रबंध समिति के समझाने बुझाने पर सभी वरिष्ठ आ कर एम्बुलेंस में तो किसी तरह बैठ गए, मगर पहले से ही अपनों से दूर और अब जो अपने बने उनसे भी दूर होने का डर? कहाँ जा रहे हैं, क्या होगा, वहां कौन संभालेगा हमें?…. उनके चेहरों पर घबराहट और माथे पर चिंता की लकीरें आसानी से पढ़ी जा सकती थीं।
तब प्रबंध समिति के सदस्यों में से एक किरण मूंदड़ा ने उन सबसे कहा.. ‘हम है आपके साथ.. आप जहाँ रहोगे, वहां मैं आपसे मिलने आऊंगी.. घबराइए मत…’ इतना सुन वरिष्ठ जनों को जैसे सम्बल की संजीवनी मिल गई।
सिटी स्कैन होने और कोविड केयर सेंटर पहुंचने तक प्रबंध समिति के सदस्य साथ रहे, तो शायद उन्हें थोड़ा ढाढस बंधा लेकिन समय के साथ घटनाक्रम भी बदलते गए। पहले से ही अन्य रोगों से ग्रस्त वरिष्ठों की तबियत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, कुछ वरिष्ठों का निधन भी हुआ।

लगभग प्रतिदिन उनकी छोटी बड़ी अनेक समस्याएं सामने आ रही थीं। प्रबंध समिति के कुछ सदस्य फोन पर, कुछ कभी कभी कोविड केयर सेंटर में प्रत्यक्ष रूप से आकर उन्हें साथ होने का अहसास दे रहे थे… मगर एक सदस्य जिसे हमेशा हर परिस्थिति में वो प्रत्यक्ष रूप से साथ पा रहे थे, जिससे वो ये हौंसला पा रहे थे कि सब ठीक हो जाएगा, जो हमेशा उनसे कह रही थीं कि हम जल्दी ही वापस आश्रम चलेंगे – वो थी किरण मूंदड़ा।
‘आपके परिवारजन आपके लिए चिंतित हैं, बस उन्हें यहां आने की इजाजत नहीं, वरना वो आपसे मिलने आते’.. यह कहकर उन्हें झूठी तसल्ली दे रही थी किरण मूंदड़ा। रात 3 बजे किसी वरिष्ठ को कोविड केयर सेंटर से अस्पताल में भर्ती कराना हो, अस्पताल में दवाइयों या भोजन की व्यवस्था हो या शहर से 20 किलोमीटर दूर अस्पताल में किसी वरिष्ठ की मृत्यु पश्चात देर शाम उन्हें मुखाग्नि दे अंतिम संस्कार करना हो.. जैसा समय आया वैसा कार्य किरण मुंदड़ा ने किया।
जहां हम एक कोरोना संक्रमित के सम्पर्क में आने से घबराते हैं, वहाँ इतने वरिष्ठ जनों के निरन्तर सम्पर्क में रह कर इस विजय यात्रा की सारथी रही किरण मुंदड़ा स्वयं पूरी तरह स्वस्थ्य हैं, आश्रमवासी सकुशल हैं… क्योंकि किरण जी स्वयं सकारात्मक रहीं और वही ऊर्जा वो निरन्तर सभी को हस्तांतरित करती रहीं।
ईश्वर कृपा पर अटूट विश्वास उनका सम्बल रहा.. हारिए न हिम्मत, बिसारिए न राम के मूलमंत्र को आधार मान वो सबकुछ उनके श्री चरणों में अर्पित कर सतत आगे बढ़ती रहीं और सबको इस भंवर से निकाल लाईं..

इस मुश्किल घड़ी में लगभग प्रतिदिन कभी कोविड केअर सेंटर, कभी कोविड हॉस्पिटल जाने वाली किरण जी को पूरी सकारात्मकता के साथ परिवार ने अनुमति दी, सहयोग दिया। ‘‘हम आपके साथ हैं…आप जहाँ रहेंगे मैं वहां आऊंगी….’’ उनके इन शब्दों ने मानो जादू किया हो। हर दिन, हर ज़रूरत पर जब आश्रमवासियों ने वानप्रस्थ टीम को साथ और किरण जी को सामने पाया तो दिन ब दिन कोरोना से लड़ने की इच्छाशक्ति मजबूत होती गयी।
65 से 96 वर्ष तक के वरिष्ठजन जिनका इलाज करना या हो पाना डॉक्टर्स को भी रिस्की लग रहा था, वो कोरोना से जिंदगी की जंग जीत चुके हैं- सिर्फ और सिर्फ उन्हें मिली सकारात्मक सोच और कभी न छूटने वाले साथ के बलबूते।