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सुख के लिए मनी मैनेजमेंट

पैसे का अपना सुख है। पैसा पास हो तो व्यक्ति अपने आप को ज्यादा ताकतवर और फैसले लेने में सक्षम मानता है। उसमें आत्मविश्वास और स्वाभिमान आता है। वह गर्व महसूस करता है। इससे उसके जीवन में एक अलग तरह की आभा और तेवर दिखाई देते हैं। जरुरी नहीं है कि आप कम कमाते हैं तो यह सब आपके नसीब में नहीं। इन्हें पाने का रास्ता है मनी मैनेजमेंट । यानी पैसे का सदुपयोग और बचत। कैसे आइये जानते हैं-

सिर्फ कमाने, खाने व उड़ाने का नाम जिंदगी नहीं है। जीवन में भविष्य की प्लानिंग भी करनी पड़ती है और सबसे अहम है फाइनेंशियल प्लानिंग। भविष्य के लिए बचत करना न सिर्फ समझदारी की बात है, वरन एक आवश्यकता भी है।

अगर समय रहते बचत कर ली जाए, तो आकस्मिक दुर्घटनाओं व अप्रत्याशित खर्चों का सामना आसानी से किया जा सकता है। कुछ लोगों का यह मानना है कि बचत करने के लिए हाथ में अतिरिक्त पैसा होना चाहिए, लेकिन अगर आप बचत बनाकर चलते हैं तो अपनी सीमित आय में आसानी से सेविंग कर सकते हैं।


बजट बनाए

मनी मैनेजमेंट

अपने खर्च को जानने के लिए बजट बनाना जरुरी है। अपने सारे ख़र्चों को अलग-अलग वर्गों में डालें, इससे यह समझना आसान हो जाएगा कि आप कहाँ फिजुलखर्ची कर रहे हैं। अपनी आय का दसवां हिस्सा बचत के लिये अलग से निकाल लें। अगर ऐसा करना मुमकिन नहीं और महीने के अंत में उसमें से पैसे निकालने ही पड़ते हैं, तो 5 से 7 प्रतिशत से करना शुरू करें। शुरू में परेशानी होगी, लेकिन एक बार बजट बनाने के बाद मुश्किलें हल हो जाएगी।


फाइनेंशियल लक्ष्य बनाएं

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आपको कब क्या खरीदना है, इसकी लिस्ट बनाएं। जैसे आप कोई बिजली का उपकरण खरीदना चाहते हैं या फिर कोई कार या मकान। बिजली का उपकरण खरीदने के लिये आपको एक-दो महीने से ज्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ता, परन्तु कार या मकान खरीदने के लिए आपको लम्बे समय तक बचत करनी पड़ेगी। आप तभी उसको खरीद पायेंगे जब उसके लिए पूरी योजना बना के चलें।


अलग से सेविंग अकाउंट खोलें

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आप अपनी बचत को सैलरी अकाउंट में जमा न करें, अन्यथा आप हमेशा अपनी बचत में खर्चे पूरे करते रहेंगे और वही राशि जमा करना आसान नहीं होगा। एक अलग अकाउंट होने पर आपको सदा यह याद रहेगा कि इसमें जमा राशि आपकी बचत है और उसे बढ़ते देख आपको ख़ुशी होगी एवं बचत करने की प्रेरणा भी मिलेगी। जब कभी कोई एक्स्ट्रा इनकम हो, तो उस पैसे को अपने बचत खाते में जमा कर दें।


प्रतिदिन के ख़र्चों का हिसाब रखें

आप अपने दैनिक ख़र्चों पर एक नज़र डालें। आप स्वयं पर और परिवार पर कितना खर्च करते हैं? घर में एक दिन में कितना खर्च होता है? रोज़ ऑफिस की कैंटीन में खाने की अपेक्षा घर से लंच ले जाएं। बच्चों को उनकी जरुरत का ही सामान दिलाएं।

मनी मैनेजमेंट

दूसरों की देखा-देखी घर में अनावश्यक चीज़ों का ढेर न लगाएं। जरुरी सामान ही खरीदें। बिजली व पानी का उचित उपयोग करके भी आप बचत कर सकते हैं। बाज़ार में कई ऐसी चीज़ें होती है, जिन्हें देखकर मन ललचा उठता है और आवश्यकता न होने पर भी हम उन्हें खरीद लेते हैं।

बेहतर होगा कि लिस्ट बनाकर ही बाजार जाएं। सामान खरीदते समय मोल-भाव करें, इससे निश्चित रूप से बचत होगी। क्रेडिट कार्ड का उपयोग भी आवश्यकता होने पर ही करें- जहाँ तक संभव हो, भुगतान कैश से ही करें।


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Sri Maheshwari Times

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