पर्वतारोहण से विश्व विजय की यात्री – मधु सारडा
आमतौर पर नारी की जगह सुरक्षित स्थान घर की चार दीवारी मानी जाती है लेकिन इसी अवधारणा को तोड़ते हुए सम्पूर्ण विश्व की सबसे ऊँची सातों पर्वत श्रृंखलाओं पर सफलता का ध्वज फहराने के लक्ष्य को लेकर सतत् पर्वतारोहन कर रही हैं, मनामा (बेहरीन) निवासी मधु सारड़ा। इतना ही नहीं वे अपनी पेंटिंग द्वारा कला के क्षेत्र में भी अपने सफलता के ध्वज को फहरा रही हैं।
देश की सीमाओं से बाहर माहेश्वरी संस्कृति की गौरव पताका फहराने वालों में शामिल हैं, नेपाल में जन्मी तथा मानामा (बेहरीन) को अपनी कर्मभूमि बनाकर योगदान दे रहीं, मधु सारडा। मधु वहाँ अपने भारतीय पति संदीप सारडा के साथ दो बेटियों से भरे पूरे परिवार की जिम्मेदारियाँ निभाती हुई भी अपनी सफलता के कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं।
उनकी वहाँ पहचान भारत की ख्यात चित्रकला म्यूरल, मंडला तथा मधुबनी की विशेषज्ञ चित्रकार के रूप में है, तो वहीं एक ऐसी पर्वतारोही के रूप में भी हैं जो अपने पर्वतारोहण से पूरी दुनिया को जीत लेना चाहती हैं। योगा के प्रति उनके रूझान ने उनकी पहचान योग गुरु के रूप में भी बना दी है।
साहसिक यात्रा ही उनका शौक
आमतौर पर अकेली महिला अपने घर परिवार में आरामदायक व सुरक्षित जीवन व्यतीत करना पसंद करती हैं। लेकिन श्रीमती सारडा वह नारी हैं, जो चुनौती स्वीकार करने को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना चुकी हैं। इसके अंतर्गत पहाड़ियों व जंगलों की साहसिक यात्रा करना तथा वहाँ निवास करना उनका शौक है।
इसमें उन्हें रोकने के लिये कई आवाजें उठीं लेकिन वे नहीं रूकीं। अपने इस शौक के अंतर्गत वे अभी तक 20 देशों की यात्रा कर वहाँ की संस्कृति व सभ्यता को देख चुकी हैं और उनका लक्ष्य पूरी दुनिया में भ्रमण करना है, चाहे इसमें कितनी ही चुनौतियाँ क्यों न आऐं।
पर्वतारोहण में विश्व विजय का लक्ष्य
विश्व भ्रमण की इस यात्रा में श्रीमती सारडा पूरी दुनिया के सातों महाद्वीपों की 7 सबसे ऊँची पर्वत चोटियों पर अपनी सफलता का ध्वज फहराना चाहती हैं। अपने इस लक्ष्य के अंतर्गत वे समुद्र तल से 6 हजार मीटर ऊँचाई पर स्थित हिमालयन श्रंखला की ‘‘मैरा पिक’’ तक चढ़ाई पूर्ण कर चुकी हैं।
इसमें उनके कई पुरूष साथी भी मार्ग में ही हार मानकर रूक गये थे, लेकिन श्रीमती सारडा नहीं थमीं, नहीं रूकी। उनके समूह में वे एकमात्र ऐसी महिला थीं, जिन्होंने इस चोटी पर चढ़ाई पूर्ण की थी। उनकी इन साहसिक यात्रा में उनकी फिटनेस का भी योगदान है, जो वे योगा द्वारा सतत् रूप से बनाए रख रही है।
एक चित्रकार के रूप में विशिष्ट पहचान
आमतौर पर साहसिक या शारीरिक क्षमता वाला कार्य करने वालों का कला आदि से कोई सरोबार नहीं होता। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि श्रीमती सारडा बेहरीन की एक ऐसी ख्यात म्यूरल चित्रकार भी हैं, जिनकी चित्रकारी का मुरीद यूएई का शासन भी है।
विराट नगर (नेपाल) में जन्मी श्रीमती सारडा को म्यूरल चित्रकला विरासत में मिली और जब कर्म क्षेत्र मानामा (बेहरीन) बना तो उन्होंने इसकी गौरव पताका बेहरीन में भी फहरा दी। इसके साथ पारम्परिक लोक कला मधुबनी व मिथिला आदि में भी उन्हें महारथ हासिल है।
कई प्रतिष्ठित स्थानों पर प्रदर्शन
श्रीमती सारडा के फोटोग्राफ व पेंटिंग बेहरीन की ‘‘आर्ट गैरेली’’ में प्रदर्शित होते रहे हैं। प्रसिद्ध अराड फोर्ट के समीप ‘‘मुहर्राक द्वार’’ पर आयोजित प्रदर्शनी में भी श्रीमती सारडा के फोटोग्राफ का प्रदर्शन हुआ। वहां के स्वास्थ्य मंत्री व गवर्नर ने भी उनकी म्यूरल आर्ट से प्रभावित हो उन्हें प्रशंसा पत्र भेंट कर सम्मानित किया।
उनके इन योगदानों ने उनकी बेहरीन की एक सेलीब्रिटी की तरह उनकी पहचान बना दी है। इसी का नतीजा है कि व्यवसायिक रूप से तो उन्हें इसका लाभ मिल रहा है, साथ ही वे जरूरतमंदों के लिये चेरिटी के तौर पर भी अपनी प्रदर्शनियों का आयोजन कर चुकी हैं।
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