पर्यावरण के लिए खतरा- पॉलीथिन
हमने अपनी सुविधा के लिये पॉलिथिन तथा डिस्पोजेबल सामग्री का उपयोग प्रारम्भ किया था। लेकिन ये ही हमारे लिये अत्यंत परेशानी का सबब बनती जा रही हैं। कारण यह है कि ये न तो सड़ती है और न ही गलती है। ऐसा रहा तो पूरी पृथ्वी पर मिट्टी की जगह सिर्फ पॉलिथिन ही नजर आऐगा।
आज आवश्यकता है कि प्रत्येक नागरिक पॉलिथिन व डिस्पोजेबल सामग्री का उपयोग नहीं कर पर्यावरण संरक्षण में भागीदार बन घातक बीमारियों से बचे। पॉलिथिन डिस्पोजेबल सामग्री मानव ही नहीं अपितु पशु-पक्षियों के लिए भी अत्यधिक घातक है। डिस्पोजेबल सामग्री के प्रयोग से शहर की सड़कें, नालियां व सीवरेज लाईने अवरूद्ध हो रही हैं और गंदगी बढ़ गई है, जिससे मच्छरों की भरमार हो गई है।
ये मच्छर डेंंगू व अन्य खतरनाक बीमारियों का कारण बन रहे हैं। साथ ही डिस्पोजेबल सामग्री से पर्यावरण प्रदूषण की समस्या भी बढ़ गई है। डिस्पोजेबल व पॉलिथिन के उपयोग के कारण कैंसर, चर्मरोग सहित अन्य घातक बीमारियों में तेजी से इजाफा हो रहा है।
सरकार ने क्यों लगाया प्रतिबंध
भारत सरकार द्वारा 1 जुलाई, 2022 से देशभर में पॉलिथिन डिस्पोजेबल सामग्री पर रोक लगाने का क्रान्तिकारी कदम उठाया गया है। इसका समर्थन प्रत्येक देशवासी को करना चाहिए। भारत में प्रतिवर्ष लाखों विवाह समारोहों में अरबों की संख्या में डिस्पोजेबल प्लास्टिक के गिलास, कटोरियां व चम्मच काम में लिए जाते हैं व अरबों डिस्पोजेबल गिलास चाय की थड़ियों पर प्रतिदिन काम में आ रहे हैं जो घातक केमिकल से बने होने के कारण गरम चाय गिलास में डालते ही जहर के रूप में चाय में फैल जाते हैं।
पानी की पैक बोतल संस्कृति ने भी अपनी गति बहुत तेज कर दी है, जिसके चलते शादी समारोह व अन्य छोटे-मोटे उत्सवों पर भी मिनरल वाटर की बोतलें स्टेटस सिम्बल के रूप में इस्तेमाल हो रही है। इन फेंकी गई बोतलों से प्रदूषण की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही हैं। ताजा अध्ययन में यह भी सामने आया है कि पानी की पैक बॉटल्स कैंसर का एक गंभीर कारण बन रही है।
सम्पूर्ण पर्यावरण के लिये खतरा
प्राय: शहर तथा गांव दोनों में शादी व अन्य उत्सवों में फेंकी गई डिस्पोजेबल सामग्री से सड़ांध युक्त वीभत्स एवं नारकीय दृश्य देखने को मिलता है। इसी प्रकार विवाह में बारात के स्वागत एवं अन्य धार्मिक आयोजनों के अवसर पर निकाली जाने वाली शोभायात्राओं में भी लोगों को डिस्पोजेबल सामग्री में खाद्य व पेय पदार्थ दिये जाते हैं।
यह खाद्य सामग्री धीमे जहर का रूप धारण कर लेती है। इस जहर के सेवन से मनुष्य के स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। यह डिस्पोजेबल सामग्री उपयोग में आने के बाद यहां-वहां डाल दी जाती है, जिसके कारण सड़कें व नालियां इस प्लास्टिक से पट जाती है और इसमें लगी खाद्य सामग्री को खाने के लालच में पशु डिस्पोजेबल सामग्री को भी खा जाते हैं जो उनके लिए प्राणघातक सिद्ध हो रही हैं।
पॉलिथिन-डिस्पोजल का बहिष्कार ही उपाय
सर्वे के अनुसार देश में प्रतिदिन लगभग 15 हजार गौ-वंश की मौत पॉलिथिन व डिस्पोजेबल खाने से हो रही है। यह सामग्री न तो सड़ती है और न ही गलती है, जिससे मिट्टी में न मिल पाने के कारण धरती की उर्वराशक्ति को कम करने के साथ-साथ अवरोध बनकर वर्षा के जल को जमीन में जाने से रोक देती है।
इस सामग्री को नष्ट करने के लिए जलाया जाता है तो वायुमण्डल प्रदूषित हो जाता है। अत: जरूरत है प्रत्येक आमजन को पॉलिथिन व डिस्पोजेबल सामग्री का उपयोग नहीं कर पर्यावरण संरक्षण में भागीदार बनने की।