बच्चों पर अपना स्टेटस सिम्बल न थोपें
दसवीं बारहवीं परीक्षाओं के प्राय: अधिकांश बोर्ड के रिजल्ट आ गये हैं। हमारे माहेश्वरी बच्चों ने अच्छी सफलता प्राप्त की है। सभी बच्चों और पालकों को बहुत-बहुत बधाई। आजकल दसवीं बारहवीं के रिजल्ट और मिले हुए अत्यधिक अंकों की मन भर के खुशियां भी नहीं मना पाते कि उसके पूर्व अच्छे कोर्स और अच्छे कॉलेज में एडमिशन का विषय भयाक्रांत कर देता है, बच्चों को भी और उससे अधिक उनके पालकों को।

परसेंटेज, कोर्स, कॉलेज, तब से अहमियत रखते हैं जब से क्लास रूम एजुकेशन शुरु हुआ है। हर पीढ़ी इस दौर से गुजरती आई है। उत्सुकता और भविष्य की संभावनाएं आशंकित अवश्य करती आई हैं पर आज हम इसे विकराल पिशाच समझ पूर्वाग्रह लेकर खुद भी परेशान होते हैं और बच्चों को मानसिक संत्रांस की स्थिति में पहुंचा देते हैं। टेंशन, फ्रस्टेशन, डिप्रेशन का उपहार दिलवा देते हैं।
युग बदलता है, कार्य पद्धति बदलती हैं, विद्यार्थियों की बढ़ती हुई संख्या से प्रतियोगिता का प्रतिशत भी कुछ संख्या में बदलता है, अनेकों बोर्ड और उभरती हुई कोचिंग क्लासेस की व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा विद्यार्थी का और पालकों का मानसिक दोहन कर रही हैं परंतु ज्ञान, शिक्षा और क्षमता के मूल सिद्धांत शाश्वत रहते हैं। विद्यार्थी की प्रकृति प्राकृतिक ही रहनी चाहिए।
अत: मेरा आप सभी अभिभावकों से नम्र निवेदन है कि सर्वप्रथम तो आपके बच्चों को जो भी नंबर मिले हैं उसकी खुशी मनाएं। उनका अभिनंदन करें। भले ही वे क्लास के अन्य बच्चों से पीछे हों, वो रिश्तेदारों के बच्चों से कम हों, वो सोसायटी या समाज के अन्य बच्चों के बराबर न हों। ध्यान रखें कि वे आपके बच्चे हैं, आपके स्टेटस सिंबल नहीं हैं।
आप बच्चों की अन्य बच्चो से तुलना न करें। एक पल को विचार करें कि कभी बच्चा भी ये सोचने लगे और फिर कहने लगे कि मेरे दोस्त की मम्मी आपसे अच्छा और स्वादिष्ट टिफिन देती है, मेरे दोस्त के पिता उसे आप की तुलना में ज्यादा समय और सामान देते हैं। तब आपका फ़्रस्टेशन किन-किन अंगों और शब्दों में बरसेगा।
हकीकत तो ये है कि जितने भी मार्कस आयें हों और जितना भी आईक्यू हो हर एक के अनुरूप हजारों कोर्स हैं जो उत्तम जीवन यापन की सुविधा प्रदान करते हैं। इंजीनियर, डॉक्टर, CA, MBA किये बिना भी हजारों बच्चे अपनी क्षमता और शौक के कोर्स में सिद्धहस्तता प्राप्त कर कम समय में उचित रोजगार और व्यवसाय से सफल जीवन यापन कर रहे हैं।