Aapni Boli

करत करत अभ्यास ते

‘करत करत अभ्यास ते जड़मति होत सुजान, रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान।’

खम्मा घणी सा हुक्म ज़णे भी काम आपरे मन रो नहीं हुवे तो आपाणे भीतर एक नकारात्मक सोच आ जावे …आपा सोचण लाग जावां कि म्हारे साथे ही ऐड़ो क्यों हुयों …म्हारी तो किस्मत ही बुरी है … इण सोच सूं कई बार तनाव आपाणे माथे में डेरो बणा लेवे , यूँ हुवते ही मन सूं खुशियां निकळ जावै। आपां समस्या रो समाधान करण री बजाय समस्या ने और पेचीदी बणा देवा…

हुक्म सकारात्मक जीवन जीणो कोई मुश्किल काम नहीं। आपाणी सोच पर निर्भर करें कि आपा मन में कांई सोच रिया हां… हुक्म याद राखजो समय एक समान नहीं हुवे। जो चीज़ आज मुश्किल दिख रही है वा भी आपाणी मेहनत सूं आसान हूँ जावे …इने साथे-साथे आपाने आपरे भीतर रो बचपन कदैई खत्म नहीं करणों जो आपाणे भीतर री सरलता और उम्मीदों ने जगा ने राखे। अगर आपा इतिहास उठा ने देखा एड़ा कई उदाहरण है जो बार बार असफल हुने भी उम्मीद नहीं छोड़ी और वे कामयाब लोगा में अव्वल दर्जे में शामिल हूँ ग्या।

दुनियां में सबसूं अमीर इंसान बिल गेट्स हारवर्ड कॉलेज में बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी और कारोबार शरू कियो जिणमें बुरी तरह असफलता मिली पर हार नहीं मानी। मेहनत, लगन, आत्म-विश्वास सूं दुनिया रा सबसूं अमीर लोगों में आपरो नाम दर्ज करवा दियो।

दुनिया में जीनियस लोगों में आपरी पहचान बणावन वाला वैज्ञानिक आइंस्टीन चार साल तक बोल नहीं पाया और सात साल री उमर तक पढ़ नहीं पाया इण कारण वाणा माँ पिताजी और शिक्षक आइंस्टीन ने एक सुस्त और गैर सामाजिक छात्र ज्यूँ देखता और वाणे स्कूल सूं भी निकाल दियो , ज्यूँ त्युं वे स्कूल री पढ़ाई पूरी की। आगे वाणे पॉलीटेक्निक कॉलेज में कम मार्क्स री वजह सूं दाखिलो नहीं मिल्यो। इने बावजूद भौतिक विज्ञान री दुनिया में वाणो सबसूं बड़ो नाम साबित हुयो।
नोबल पुरस्कार और दो बार इंग्लैंड रा प्रधानमंत्री पद उपर रैवण वाला विंस्टन चर्चिल छठी किलास में फेल हुया , प्रधानमंत्री बनण सू पहला हर चुनाव में भी असफल हुआ लेकिन मेहनत करनी नहीं छोड़ी और दुनिया में कामयाबी री एक मिसाल पेश की।

भारत री और सूं एकला नोबेल पुरस्कार जीतण वाला महान कवि और साहित्यकार रवीन्द्रनाथ टैगोर स्कूल री पढ़ाई तक में ही फेल हूँ ग्या। वे स्कूल में कमज़ोर टाबरों री गिणती में आवता, बाद में वे देश रा गर्व साबित हुया। वाणा शब्द ” हर ओक का पेड़ पहले ज़मीन पर गिरा एक छोटा बीज होता है”।

एक सच सदा याद राखणो हज़ूर दुनिया री खास शख्सीयतें शरुआत में अक्सर असफल हुई पर आखिर में आपरी मेहनत, सूझबूझ, धैर्य एवं निष्ठा सूं जगत भर में एक विशिष्ट पहचान बणायी। अंत में एक दोहो याद आयो हुकम:

‘करत करत अभ्यास ते जड़मति होत सुजान, रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान।’


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Sri Maheshwari Times

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