संयुक्त परिवार की मिसाल- खटोड़ परिवार
समाज में, आज हम परिवारों को रोज टूटते एवं बिखरते हुए देख रहे हैं। लेकिन इस कठिन समय में भी समाज में ऐसे परिवार हैं जहाँ दर्जनों सदस्य साथ में रहते हैं इतना ही नहीं पूरे परिवार की रसोई भी एक ही जगह बनती है। ऐसा ही तेजी से सफलता की सीढ़ी चढ़ता एक परिवार है, अकोला का खटोड़ परिवार जिसकी शक्ति ही उसका संयुक्त होना है।
-सन्देश रांदड़, अकोला
माहेश्वरी महिला मंडल अकोला की उपाध्यक्षा श्रीमती हेमा खटोड़ के संयुक्त परिवार की दास्तान समाज के लिए मिसाल है, जहाँ 35 सदस्यों का अपना एक ही रसोई घर है। इस परिवार की कहानी निश्चित ही प्रेरणा देने वाली एवं मन को सुकून देने वाली है।
इस परिवार के पूर्वज स्व. श्री कल्याणमल खटोड़ अठारहवीं सदी में ही राजस्थान के सांबर से अकोला आए थे। अपने बेटे नथमल एवं पोते स्व. नारायणदास के साथ साधारण परिवार के रूप में काम चल रहा था।
स्व. नारायणदासजी को पढ़ने का बड़ा शौक था, उन्होंने एल.एल.बी. कर वकालत शुरू की। उनको नायब तहसीलदार की नौकरी भी मिली लेकिन ‘‘दो छोटे भाईयों को छोड़कर बदली वाली नौकरी मैं नहीं करना चाहता’’, ऐसा कहते हुए उन्होंने विदर्भ केसरी ब्रजलाल बियाणी द्वारा स्थापित विदर्भ चेंबर ऑफ कॉमर्स, अकोला में नौकरी कर ली।
साथ ही 1952 में खटोड़ ऑइल इंडस्ट्रीज की शुरूआत की। उनकी मिलनसार कार्यशैली की वजह से, स्वतंत्रता सेनानी श्री सुगनचंद ताप़ड़ीया के मध्यस्थता में नारायणदास का विवाह नगरसेठ सुखदेव मोहनलाल कोठारी की बेटी कमलादेवी के साथ हुआ।
स्व.नारायणदासजी के स्वभाव के कारण लोग उन्हें आदर से डेडी कहते थे। अकोला में माहेश्वरी समाज को संगठित करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। १९६८ में माहेश्वरी समाज ट्रस्ट की स्थापना कर स्व. श्री खटोड संस्थापक प्रधानमंत्री बने। नगरपालिका में भी वे दो बार चुनकर आए व सभापति भी बने।
फिर बड़ी बहू बनी मुखिया
2001 में अपनी 73 वर्ष की आयु में नारायणदासजी के स्वर्गवास के बाद संयुक्त परिवार की पूरी जिम्मेदारी बड़ी बहू हेमा बसंत खटोड के सशक्त कन्धों पर गयी। पति देव श्री वसंत खटोड का स्वर्गवास 1993 में ही हो गया था।
ऐसे में श्रीमती हेमा ने मन ही मन निश्चय किया कि मेरे परिवार को मुझे एक सूत्र में बांधे रखना है। उन्होंने 5 देवर एवं 5 देवरानियों के भरे पूरे परिवार एक जुट रखने का संकल्प लिया। हेमाजी ने परिवार को अपने संस्कारों से सींचकर बड़ा आकार दिया है। छोटे-बड़े सभी एक दूसरे की भावनाओं का आदर करने का मूलमंत्र संयुक्त परिवार को उन्होंने दिया।
यही कारण है कि हेमाजी की 4 ननद लता गिरधारीलाल गांधी (मलकापुर), पुष्पा विनोद चितलांगे (नंदुरबार), उमा अशोक चाण्डक (दर्यापुर), उषा गोपाल मणियार (बुरहानपुर) चारों भी बड़ी भाभी में अपनी माँ को देखती हैं।
समाजसेवा को समर्पित पूरा परिवार
पांच देवर सबसे ब़ड़े एवं परिवार के आधार स्तंभ पुरूषोत्तम खटोड सामाजिक कार्यकर्ता हैं। समाज ट्रस्ट में ट्रस्टी, विदर्भ प्रादेशिक माहेश्वरी संगठन के संयुक्त मंत्री जैसे कई पदो पर उन्होंने अपनी सेवाएं दी है।
उनकी धर्मपत्नी कल्पना, पुत्र सीए अर्पित, पुत्रवधु गरिमा, पुत्र-पुत्री डॉ. कौस्तुभ एवं डॉ. नेहा के साथ परिवार में योगदान दे रहे हैं। दूसरे देवर उद्योजक सुनिल उनकी धर्मपत्नी मंजू, पुत्र सीए मुकुंद, पुत्रवधु सीए राधिका, सुपुत्री डॉ. समृद्धि एवं पिलानी से इंजीनियर बने गोविंद भी संयुक्त परिवार को महका रहे हैं।
तीसरे देवर धर्मप्रेमी संजय अपनी धर्मपत्नी सुमित्रा, सुपुत्री आर्किटेक्ट, कु. नम्रता एवं पुत्र अभियंता पुष्कर के साथ भजनानंदी बनकर प्रभु के नाम का जयकारा लगाते हैं।
चौथे देवर कुशल संघटक कृष्णा भैया उनकी धर्मपत्नी ममता, पुत्र गौरव एवं सुपुत्री सीए सुबोधिनी ने मिलकर खटोड़ परिवार की बगिया की खुशबू को संजोया है। पांचवे देवर सफल व्यवसायी शिव, धर्मपत्नी संजना, सुपुत्री आर्किटेक्ट श्रेया एवं पुत्र श्रीहर्ष के साथ परिवार में मिठास घोलने का प्रयास करते रहते हैं।
इस संयुक्त परिवार की मुखिया हेमाजी ने एम.एस. एवं एस.सी.एच. तक शिक्षित अपने पुत्र डॉ. अंबरीष, पुत्रवधु डॉ. रमा एवं आय.आय.टी. से इंजीनिरिंग के बाद कैलिफ़ोर्निया से एम.एस. की उपाधि प्राप्त करने वाले दूसरे पुत्र अनिरूद्ध, पुत्रवधु अॅड. करिश्मा को भी इस तरह संस्कारित किया है कि वे अपने पांचो चाचा एवं चाची के साथ इस स्वर्ग जैसे परिवार में रह रहे हैं।
परिवार का ‘कमल नारायण’ में निवास
खटोड़ परिवार ने कीर्ति नगर अकोला में स्थित अपने छह भाईयों के संयुक्त निवास स्थान का नाम ‘‘कमल नारायण ’’ रखा है। क्योंकि वे मानते हैं कि अपने माता-पिता के आशीर्वाद से ही यह सब संभव हो रहा है। परिवार में श्रीनाथजी की सेवा है। 125 साल पुरानी गणेशजी की ताम्र प्रतिमा परिवार के पास धरोहर के रूप में है।
इनके घर पर प्रति वर्ष गणेश उत्सव की धूम देखते ही बनती है। सारे त्यौहार साथ मिलकर मनाना खटोड़ परिवार की विशेषता है। हर साल, होली के दिन परिवार अपने नागपुरी जीन वाले मकान पर एकत्रित होकर होली का त्यौहार मनाते हैं।
खटोड़ परिवार के ऑईल मिल से शुरू हुए व्यवसाय में आज दाल मिल, वेअर हाउसेस, वेल्डिंग रॉड्स, डिस्ट्रीब्यूटरशीप, कमिशन एजेंट आदि व्यापार सफलतापूर्वक संचालित किए जाते हैं।
सभी के लिये यह खटोड़ परिवार प्रेरक हैं क्योंकि इसकी नई पीढ़ी में डॉक्टर्स, सीए, सीएस, आय.आय.टी., इंजिनीयर्स, एम.बी.ए. जैसे उच्च शिक्षित बच्चे हैं। साथ ही जिनकी नई पीढ़ी की बहुए भी सीए, एडव्होकेट, डॉक्टर्स एवं इंजीनियर्स तक शिक्षा ग्रहण कर आयी हैं और सभी हंसी-खुशी साथ-साथ रह रहे हैं।
सफल तथा सुफल परिवार है यह:
हमारे पूर्वजो ने, जो संयुक्त परिवार के लाभ की हमको सिख दी थी, उसकी पूर्ण साकारकता दिखती है, स्व. श्री नारायणदासजी खटोड़ के इस भाईयो के संयुक्त परिवार में अकोला माहेश्वरी समाज तथा हम सब के लिये यह एक अच्छा तथा प्रेरणादायी उदाहरण है।
सभी भाईयो के अलग-अलग आवास एक ही कम्पाउंड मे है, किन्तु सभी के खाना खाने का चौका एक ही है परिवार की यह आपसी प्रेम तथा आत्मीयता विचारणीय तथा अनुकरणीय उदाहरण है।
–अनिल भूतड़ा, पूर्व सचिव माहेश्वरी समाज ट्रस्ट अकोला