Health

शरीर को शुद्ध और निर्मल बनाए- अपान मुद्रा

वर्तमान में हर कोई गैस ट्रबल से परेशान है। दवा खाने के बावजूद स्थायी लाभ नहीं मिलता। इसी परेशानी से मुक्ति देती है, योग की अपान मुद्रा।

Shivnarayan-Mundra

पृथ्वी तत्व, आकाश तत्व एवं अग्नि तत्वों का मिलन। अपान वायु नाभि से नीचे पैरों तक विचरण करती है। इससे पेट, नाभि, गुदा, लिंग, घुटना, पिंडली, जंघाएं, पैर सभी प्रभावित होते हैं। अतः अपान मुद्रा द्वारा नाभि से पैरों तक के सभी रोग ठीक होते हैं। अपान वायु की गति नीचे की ओर होती है। यह मुद्रा अपान वायु को सक्रिय कर देती है। अपच का मुख्य कारण है ठूंस-ठूंस कर खाना जिससे आकाश तत्त्व की कमी हो जाती है और शक्तिहीनता हो जाती है। यह मुद्रा इन दोनों कमियों को दूर करती है।

कैसे करें: अंगूठा, मध्यमा और अनामिका के शीर्ष भाग को आपस में मिलाने से अपान मुद्रा बनती है। इसका अभ्यास प्रतिदिन कम से कम 45 मिनट तो करना ही चाहिए।

सावधानी: गर्भवती पहले आठ महीनों में इस मुद्रा का प्रयोग न करें।


क्या होता है लाभ

इससे नस-नाड़ियों का शोधन होता है, शरीर से विजातीय तत्व बाहर निकलते हैं व शरीर शुद्ध और निर्मल बनता है। इससे पेट के सभी अंग सक्रिय होते हैं। पेट के सभी विकारों- उल्टी, हिचकी, जी मिचलाना, डायरिया में लाभ होता है। पसीना आने की क्रिया को यह मुद्रा उत्तेजित करती है और शरीर की अवांछित गर्मी को बाहर निकालती है। पैरों की जलन दूर होती है। उच्च रक्तचाप, मधुमेह, गुर्दे रोग, श्वास रोग, दांत दर्द, मसूड़ों रोग, पेशाब का रुक जाना, पेशाब की जलन, यकृत के रोग, पेट दर्द, कब्ज, पाचन रोग, बवासीर, कोलाईटस तक ठीक होते हैं। पेट के सभी अंग स्वस्थ रहते हैं।

गर्भावस्था के नौवें महीने में इस मुद्रा को रोज लगाने से प्रसव आसान होता है और सिजेरियन आप्रेशन से बचाव होता है। महिलाओं की मासिक धर्म तकलीफें दूर होती हैं। इस मुद्रा के नित्य अभ्यास से मुख, नाक, कान, आंख आदि के विकार भी स्वाभाविक रूप से दूर होते हैं। मुहं के छाले भी ठीक होते हैं। अपान मुद्रा के करने से संपूर्ण शरीर मल रहित हो जाता है। स्वाधिष्ठान चक्र और मूलाधार चक्र प्रभावित होते हैं तथा उच्च रक्तचाप (High BP) ठीक होता है।

मधुमेह में 15 मिनट अपान मुद्रा और 15 मिनट प्राण मुद्रा करने से अधिक लाभ होता है। अपान मुद्रा से नपुंसकता, अनिद्रा, पीलिया, अस्थमा एवं हरमोन प्रणाली भी ठीक होती है। किसी कारण से मूत्र (urine) रुक जाये, तो अपान मुद्रा करने से बिना किसी दवाई के आ जाता है।


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