सेवापथ के ‘‘भामाशाह’’- पद्मश्री बंशीलाल जी राठी
‘‘भामाशाह’’ शब्द मात्र आर्थिक सहयोग तक ही सीमित नहीं हो सकता। यह शब्द कितना व्यापक हो सकता है, उसी का उदाहरण है, चैन्नई निवासी खींवसर राजस्थान के सपूत समाजसेवी पद्मश्री बंशीलाल जी राठी। आपने तन – मन व धन सभी प्रकार से समाजसेवा के पावन यज्ञ में आहुति देकर ‘‘भामाशाह’’ शब्द को सही अर्थ प्रदान किया है। आप आगामी 14 अगस्त को अपनी उम्र के 87 वर्ष पूर्ण कर 88वाँ जन्मदिवस मनाने जा रहे हैं।
समाजसेवा की जब भी बात हो और उसमें चैन्नई निवासी वरिष्ठ समाजसेवी पद्मश्री बंशीलाल जी राठी का जिक्र न हो यह हो नहीं सकता। कारण है कि जहाँ भी आवश्यकता पड़ी, आपने न सिर्फ धन से बल्कि तन व मन से भी मुक्त हस्त से अपना सहयोग देने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी।
तन-मन व धन से उन्होंने समाज को अपना माना तो समाज ने भी उन्हें इस वृहद परिवार के मुखिया की तरह सम्मान देने में कभी कोई कसर नहीं रख छोड़ी। यह उनकी प्रबल समाजसेवा की भावना ही है कि उन्होंने जो सेवा के पौधे दशकों पूर्व रोपे उन्हें वे उम्र के इस 87वें पड़ाव पर भी उसी तरह सींच रहे हैं, वह बढ़ती उम्र की असमर्थता परवाह किये बिना। यदि वे बेड पर है और कोई समाज का कोई कार्य लेकर पहुँच जाए तो भी उसे खाली हाथ नहीं लौटना पड़ता।
खींवसर का नाम किया रोशन:
सम्मान स्वरूप बाबूजी के सम्बोधन से समाज में जाने जाने वाले वरिष्ठ समाजसेवी पद्मश्री राठी का जन्म 14 अगस्त 1933 को नागौर (राजस्थान) के ग्राम खींवसर में सेठ श्री गंगाधर राठी के यहां एक विलक्षण पुत्र के रूप में हुआ। यह विलक्षणता नहीं तो क्या है कि मात्र प्राइमरी स्तर तक शिक्षा ग्रहण करने के बावजूद उन्होंने शून्य से शिखर की ऊँचाई प्राप्त की।
वर्तमान में स्टील, फाइनेंस, एक्सपोर्ट आदि कई व्यवसाय व उद्योगों का संचालन कर रहे हैं। समाजसेवा के अंतर्गत अभा माहेश्वरी महासभा के सभापति जैसे शीर्ष पद की जिम्मेदारी भी संभाली। समाज की कई संस्थाओं व ट्रस्टों के विकास के मूल में आपका अभूतपूर्व योगदान है।
उन्होंने समाज को राह दिखाई कि सिर्फ संस्था बनाकर छोड़ देना ही नहीं बल्कि उसकी देखरेख कर उसे बड़ा करना भी हमारा कर्त्तव्य होता है। ऐसी अनगिनत संस्थाएँ हैं, जिनमें प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से बाबूजी सहयोगी बने हुए हैं।
समाज की सेवा में रहे समर्पित:
बाबूजी अ.भा. माहेश्वरी महासभा के कार्यकारी मंडल सदस्य तथा शीर्ष सेवा संस्था श्री आदित्य विक्रम बिड़ला व्यापार सहयोग केंद्र के कार्याध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सफलतापूर्वक निभा रहे हैं। वर्तमान में श्री आदित्य विक्रम बिड़ला व्यापार सहयोग केंद्र समाज के आर्थिक विकास की धुरी बन चुका है। इसकी स्थापना भी श्री राठी के अभा माहेश्वरी महासभा के सभापतित्वकाल में वर्ष 1997 में हुई थी।
इसके पश्चात यह बिड़ला उद्योग समूह की चेयरपर्सन राजश्री बिड़ला की अध्यक्षता में सतत रूप से कार्य कर रहा है। प्रारंभ से ही श्रीमती बिड़ला ने श्री राठी को इस संस्था का नेतृत्व कार्याध्यक्ष के रूप में सौंप दिया था। तब से ही इसे शून्य से शिखर की ऊंचाई देने में श्री राठी के नेतृत्व का बहुत बड़ा योगदान है।
इसे उनका जज्बा ही कहा जाए कि संस्था द्वारा कोष संग्रहण का जो भी लक्ष्य तय किया गया श्री राठी ने सदैव ही उससे अधिक की लक्ष्य पूर्ति की। पद्मश्री राठी के मार्गदर्शन में केंद्र ने कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न हुए आर्थिक विषम स्थितियों में भी अपना आर्थिक योगदान देकर समाज के ज़रूरतमंद स्वव्यवसाइयों को सम्बल दिया।