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कार्पोरेट क्षेत्र में बदलते सीएसआर के नियम

वर्तमान में सीएसआर के रूप में अर्थव्यवस्था में शामिल व्यावसायिक सामाजिक उत्तरदायित्व हमारी संस्कृति में भी शामिल है । आइये इस लेख के जरिये यह समझे कि सीएसआर क्या है एवं किसके ऊपर यह लागू होता है? क्या माहेश्वरी समाज के ट्रस्ट जो कि सीएसआर के तहत पड़ने वाली प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष सेवाएं देते आये हैं वो इस योजना में उद्योग घरानों के साथ मिलकर समाजसेवा में हाथ बटा सकते हैं? इसमें क्या सावधानियां बरतने की जरूरत पड़ेगी?

आर.एल.काबरा
आर.एल.काबरा
अर्थमंत्री, अ.भा.व.मा. महासभा

जैसा कि हमें पता है कि कम्पनियाँ किसी उत्पाद को बनाने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करती हैं, प्रदूषण को बढ़ावा देती हैं और धन कमाती है, लेकिन इस ख़राब प्रदूषण का नुकसान समाज में रहने वाले विभिन्न लोगों को उठाना पड़ता है, क्योंकि इन कंपनियों की उत्पादक गतिविधियों के कारण ही उन्हें प्रदूषित हवा और पानी का उपयोग करना पड़ता है।

इन प्रभािवत लोगों को कंपनियों की तरफ से किसी भी तरह का सीधे तौर पर मुआवजा नही दिया जाता है। इस कारण ही भारत सहित पूरे विश्व में कंपनियों के लिए यह अनिवार्य बना दिया गया कि वह अपनी आमदनी का कुछ भाग उन लोगों के कल्याण पर भी खर्च करें जिन्हें इनके कारण असुिवधा हुई है। इसे कॉर्पोरेट सोशल रिस्पोंसिबिलिटी (सीएसआर) कहा जाता है।

सीएसआर से अभिप्राय किसी औद्योगिक इकाई का उसके सभी पक्षकार, जैसे- संस्थापकों, निवेशकों, ऋणदाताओं, प्रबंधकों, कमचारियों, आपूर्तिकर्ताओं, ग्राहकों, वहाँ के स्थानीय समाज एवं पयार्वरण के प्रति नैतिक दायित्व से है।


सीएसआर के दायरे में कौन आता है

भारत में कार्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी (सीएसआर) के नियम अप्रैल 1, 2014 से लागू हैं। इसके अनुसार जिन कम्पनियाँ की सालाना नेटवर्थ 500 करोड़ रुपये या सालाना आय 1000 करोड़ की या सालाना लाभ 5 करोड़ का हो तो उनको सीएसआर पर खर्च करना जरूरी होता है। यह खर्च तीन साल के औसत लाभ का कम से कम 2 प्रतिशत होना चाहिए।

सीएसआर नियमों के अनुसार, सीएसआर के प्रावधान केवल भारतीय कंपनियों पर ही लाग नही होते हैं, बल्कि यह भारत में विदेशी कंपनी की शाखा और विदेशी कंपनी के परियोजना कार्यालय के लिए भी लागू होते हैं।

सीएसआर के अंतर्गत कंपनियों को बाध्य रूप से उन गतिविधियों में हिस्सा लेना पड़ता है जो कि समाज के पिछड़े या वंचित वर्ग के लोगों के कल्याण के लिए जरूरी हों तथा सरकार द्वारा इसके नियम बनाए गए हैं।


सीएसआर कैसे काम करता है

कंपनियों के लिए सीएसआर के मापदंड के नियम तय हैं और उनके मुताबिक एवं दायरे में रहकर ही कंपनियाँ अपनी जिम्मेदारी पूरी कर सकती हैं। नियम के मुताबिक हर कंपनी में एक सीएसआर कमिटी होती है जो बोर्ड को समय समय पर रिपोर्ट करती है लेकिन अगर कम्पनी का सीएसआर पर खर्च 50 लाख रू. से कम है तो आपको सीएसआर कमिटी की जरूरत नहीं है।

बोर्ड ऑफ डायरेक्टर एवं सीएसआर कमिटी मिलकर नीति बनाती है जिसको पालन करना अनिवार्य होता है एवं सीएसआर की अनुसूची में शामिल गतिविधियों का ही कम्पनी को चयन करना पड़ता है। सी एस आर के नियम धारा 135 (कम्पनी एक्ट) के तहत बाध्य है, जिसे नहीं पालन करने या अवहेलना करने पर कम्पनी जुर्माना के साथ दंडनीय होगी जो पचास हजार से कम नहीं होगा और यह पच्चीस लाख तक बढ़ सकता है।

इसी तरह खर्चा नहीं करने या जो अगले वर्षों में खर्चा होने वाला है उसको अलग फंड में ट्रांसफर नहीं करने पर एक करोड़ तक जुर्माना लग सकता है। बीच में सरकार ने इस जुर्म को आपराधिक दंड मान कर उद्योग को हिला दिया था किन्तु बाद में इसे वापस सरल कर दिया गया है।


कौन उठाता है खर्च

सीएसआर का खर्चा बोर्ड की अनुमति से निम्न माध्यम से हो सकता है:
  • अधिनियम की धारा 8 के तहत स्थापित एक कंपनी, या एक पंजीकृत सार्वजनिक ट्रस्ट या एक पंजीकृत सोसायटी, आयकर अधिनियम, 1961 (1961 का 43) की धारा 12 ए और 80 जी के तहत पंजीकृत, कंपनी द्वारा स्थापित, या तो अकेले या साथ में कोई अन्य कंपनी, या
  • अधिनियम की धारा 8 के तहत स्थािपत एक कंपनी या एक पंजीकृत ट्रस्ट या केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा स्थािपत एक पंजीकृत सोसायटी या
  • संसद या राज्य सरकार विधायिका के अधिनियम के तहत स्थािपत कोई भी संलग्न या
  • अधिनियम की धारा 8 के तहत स्थािपत एक कंपनी, या एक पंजीकृत सार्वजनिक टस्ट या एक पंंजीकृत सोसायटी, जो आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 12 ए और 80 जी के तहत पंजीकृत है, और इसी तरह की गतिविधि को करने में कम से कम तीन साल का स्थापित ट्रैक रिकॉर्ड है।

उपरोक्त ईकाइ जो कि किसी भी सीएसआर गतिविधि को करने का ईरादा रखती है, उसे अप्रेल 2021 की 1 तारीख से रजिस्ट्रार के साथ इलेक्ट्रॉॅिनक रूप से फार्म सीएसआर 1 दाखिल करके केंद्र सरकार के साथ पंजीकृत करना अनिवार्य है।


सीएसआर के नियमों में नए बदलाव

सी एस आर के नियमो में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव इस प्रकार आये हैं:
  • अब आप सीएसआर प्रोजेक्ट शुरू करके 3 वर्ष में पूरा कर सकते हैं।
  • आप सीएसआर खर्च का 5 प्रतिशत तक नोडल एजेंसी या स्वयं के खर्च के लिए (जैसे एडिमन खर्च) ट्रस्ट को दे सकते है।
  • आपको सी एस आर के आनगोइंग प्रोजेक्ट जो तीन वर्ष में होने है उसके UNSPENT खर्चे को वर्ष समाप्ति पर 30 दिवस के भीतर अलग बैंक खाते में जमा करना होगा।
  • अगर आपने सीएसआर फंड का खर्चा एडवांस में या जरूरत से ज्यादा कर दिया है तो आपको अगले तीन वर्ष में क्रेडिट दी जावेगी।
  • अब आप सीएसआर के तहत केपिटल खर्चों से योजनाए पूरी करके आप सीएसआर से बनी अचल सम्पति अगर कम्पनी में नहीं रख सकते हैं तो इसे आपको कोई ट्रस्ट, सरकार या योजना से लाभान्वित SELF HELP GROUP को देना होगी। अभी तक की अचल सम्पत्त्ति अगर कम्पनी में सीएसआर खर्चे से बनी है तो उसे आपको 22/01/2021 के बाद 270 दिवस में उपरोक्त तरीके से स्थानान्तरित करना होगा। यह एक महत्वपूर्ण बदलाव हैै।
  • 10 करोड़ से ऊपर सी एस आर खर्चा एवं कोई भी एक प्रोजेक्ट पर 1 करोड़ से ज्यादा खर्चा करने पर आपको एक IMPACT ASSESSEMENT की रिपोट लेकर बोर्ड रिपोर्ट में लगानी होगी।

Via
Sri Maheshwari Times

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