श्री धोलेश्वरी माताजी
धोलेश्वरी माताजी मुख्य रुप से वंछास गौत्र व मण्डोवरा खांप की कुल देवी है।
माँ धोलागढ़ देवी के नाम से प्रसिद्ध यह दिव्य स्थल तंत्र ज्ञानियों के लिये कामना सिद्धि का पवित्र स्थल माना जाता है। मान्यता अनुसार भावपूर्ण व समर्पित रूप से माँ की आराधना करने पर भक्तों की समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। आल्हा-उदल ने भी इसी तपोभूमि में माँ की आराधना व तपस्या आदि कर माँ से विजय श्री का उत्तम वरदान प्राप्त किया था।
माताजी का पावन मन्दिर राजस्थान प्रान्त के अलवर जिले में स्थित कठूमर तहसील के छोटे से ग्राम्यांचल धोलागढ़ में है। माँ धोलेश्वरी के पावन धाम के कारण ही बसाहर को धोलागढ़ का नाम दिया गया है। धोलागढ़ ग्राम मेंहदीपुर बालाजी से मात्र ६० कि.मी. की दूरी पर है। श्री बालाजी से ३० कि.मी. राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक ११ (बायपास) पर जाने के पश्चात् खेरली (१९) मार्ग पर सोंकर, सींखरी, नाटोज, बहलुकला होकर सीधे धोलागढ़ पहुंचा जा सकता है।
भरतपुर से धोलागढ़ सड़क मार्ग से व्हाया डींग (५५) तथा व्हाया नगर (४०) अथवा रेल मार्ग से खेरली (खेड़ली) मीटरगेज द्वारा भी पहुंचा जा सकता है। खेरली से धोलागढ़ मात्र १६ कि.मी. है। मथुरा से भी अडिंग, गौवर्धन चौराहा, बेहज, डींग, नारायणा, पान्होरी, रसिया, नगर, तसई, कठूमर, खेड़ामेदा, बसेठ होकर धोलागढ़ जाने का मार्ग है। इस मार्ग की कुल दूरी (मथूरा-धोलागढ़) भी मात्र ९० कि.मी. हैं।
जाने के लिये मुख्य संसाधन:
1) रेल मार्ग से पश्चिम रेलवे के हिण्डोन सिटी रेलवे स्टेशन पर उतरिये। यहाँ से जयपुर-धोलागढ़, हिण्डोन सिटी-धोलागढ़ अथवा उदयपुर-धोलागढ़ जैसी अनेकों राज्य परिवहन की बसें मिलेंगी जो सीधे धोलागढ़ ही जाती है।
2) हिण्डोन सिटी से ३५ कि.मी. बस द्वारा श्री बालाजी पधार कर दर्शन लाभ लेने के पश्चात भी ३ कि.मी. दूर चौराहे पर आकर राज्य परिवहन की या अन्य बसें मिल सकती हैं। चौराहे तक आने के भी अनेकों साधन हैं। हिण्डोन सिटी या श्री बालाजी से जीप, टेक्स आदि साधन भी उपलब्ध हैं।
3) रेल मार्ग द्वारा भरतपुर (दिल्ली-मुम्बई मार्ग) उतरिये वहाँ से खेरली की रेल सुविधा मिलेगी, वहाँ से १६ कि.मी. धोलागढ़ जाने के लिये जीप आदि अन्य साधन आसानी से उपलब्ध हो सकते हैं।
4) रेलमार्ग द्वारा मथुरा जंक्शन उतरिये, वहाँ से राज्य परिवहन अथवा निजी साधन से ९० कि.मी. दूर धोलागढ़ पहुंचा जा सकता है।
दर्शन व्यवस्था:
धोलागढ़ के निकट ही धौलपर्वत पर माँ धोलेश्वरी अत्यन्त नयना भिराम मन्दिर में विराजित हैं। कुल १६३ सीढ़ियाँ चढ़कर जाना होता है। सीढ़ियाँ अत्यन्त सुगम, अथकावकारी, छाँवदार व कम अन्तर की हैं। उपर मन्दिर के वरिष्ठ पुजरी पं. महेश कुमार जी शर्मा एवं लघुभ्राता पं. हर्ष कुमार जी शर्मा दैवी मन्दिर में समस्त सुलभ्य संसाधनों के साथ मार्ग दर्शनार्थ सदैव उपलब्ध रहते हैं।
उनके चलित वार्ता (मोबाईल नं.) ०९४१४४४७२५२ हैं। मन्दिर में ठहरने, रात्रि विश्राम करने, समस्त दैनन्दिनी व भोजन आदि हेतु उत्तम व्यवस्था है। यदि पूर्व सूचना देकर आप पधारें तो आपकी यात्रा अधिक सुविधा पूर्ण हो सकती है। पुजारी गण भ्राता द्वय का व्यवहार अत्यन्त सौम्य, मधुर, स्नेहपूर्ण, सहयोगी तथा प्रभावकारी है।
भूतल से ऊँचाई:
भूतल से मन्दिर की ऊँचाई लगभग १३५ फीट है। कुल सीढ़ियाँ १६३ हैं। दो सीढ़ियों के मध्य का अन्तर लगभग १० इंच है। नीचे से उपर तक का सम्पूर्ण मार्ग सुरक्षित प छाँयादार है। अरावली के शिखर पर स्थित दैवी अत्यन्त प्राचीन माना जाता है।
धोलेश्वरी माताजी मन्दिर परिसर:
मन्दिर परिसर शर्मा बन्धुओं की देखरेख में अत्यन्त स्वच्छ, साफ व सौम्य वातावरण से युक्त है। पृष्ठ भाग में मधुर जलकुण्ड स्थित है। आस-पास रात्रि विश्राम स्थल व ठहरने, भोजनादि की व्यवस्था है। सामान्यतः समस्त सुविधाएं पण्डित जी के सरल व्यवहार से सुलभ हो जाती हैं। वर्तमान पुजारी जी अपने कुल की चौदहवीं पीढ़ी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
श्री माँ धोलेश्वरी के दिव्यदर्शन:
मन्दिर परिसर में पहुँचते ही माँ के चमत्कृत स्वरूप के दिव्यदर्शन होते हैं। माँ के संगमरमरी अत्यन्त तेजस्वी व सौम्य प्रतिमा पूर्वाभिमुख विराजित है। माँ का वाहन सिंह है। श्री हनुमान जी महाराज व रामदरबार की छटा भी निराली है। मध्यान्ह १२ से १ तक मन्दिर के पट मंगल रहते हैं। पीढ़ीयों से प्रति निधित्व प्रदान कर रहे पं. हर्ष कुमार जी शर्मा के अनुसार शक्ति स्वरुपा माँ ने सर्वप्रथम अपने दिव्य दर्शन लक्खी नाम के एक बंजारे व्यक्ति को प्रदान किये थे जिसके प्रभाव स्वरुप लक्खी ने इस पहाड़ी के उपर माँ के मन्दिर की स्थापना की व क्षैत्र का प्रमुख शक्ति स्थल बनाया।
शनेः शनेः दिव्य मूर्ति का चमत्कार निकटवर्ती क्षैत्र के जनमानस में प्रसिद्धि पाने लगा और मन्दिर अपना आकार धीरे-धीरे ही सही विस्तृत करने लगा। सन् १९७१ में मथुरा के चौक बाजार के सुप्रसिद्ध मिष्ठान्न व्यवसायी ‘‘भरतपुरिया मिठाई वाला’’ के संस्थापक श्री रामचन्द्र जी खण्डेलवाल परिवार ने अपनी दानशीलता के आधार पर मन्दिर को सुरम्य व सुविधा पूर्ण बनाने तथा भव्य स्वरुप प्रदान करने हेतु अनेकों निर्माणकार्यों से सज्जित किया।
मन्दिर में चलित हवन कुण्ड की सुलभ व्यवस्था है। मन्दिर में सभी धर्म व जातियों के दर्शनार्थी भारी संख्या में आते रहते हैं। नवरात्रि में घट (कलश) स्थापना, अभिषेक, महापूजा, पाठ, हवन आदि निरन्तर चलते रहते हैं। कई श्रद्धालू यहाँ विशेष सेवाओं के अतिरिक्त छत्र आदि भी चढ़ाते हैं।
धोलेश्वरी माताजी – प्रमुख संपर्क स्थल एवं विशेष जानकारियाँ यहाँ से प्राप्त की जा सकती हैं:
1) प्रहलाद मण्डोवरा, २३, तेजानगर, ब्लाक क्र.१, स्वप्नदीप सामिब्य, रतलाम ४५७००१- फोन नं. ०७४१२-२६५१५९
2) श्री गंगा विशन जी, निशिकांत जी मण्डोवरा, भागीरथ पाण्डूरंग मेडिकल स्टोर्स शिवाजी रोड़, जलगाँव – फोन नं. ०२५७-२२२२१८७, २२२६१८७, २२२३१८७
(सम्पूर्ण आलेख एवम् जानकारी लेखक द्वारा सघ संयोजित कुलदेवी प्रवास तथा पं. हर्ष शर्मा से भेंट संवाद पर आधारित)