सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने दिनेश माहेश्वरी
देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था सर्वोच्च न्यायालय को न्यायाधीश के रूप में सेवा देने का सर्वाधिक गौरव माहेश्वरी समाज को ही प्राप्त है। इसमें एक और नाम जुड़ गया है। गत दिनों माहेश्वरी समाज के दिनेश माहेश्वरी ने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ ग्रहण की।
यह अत्यंत गर्व की बात है की माहेश्वरी समाज के कई कानूनविद देश की न्यायपालिका की सेवा कर चुके हैं व कर भी रहे हैं। इनमे एडवोकेट आदि के रूप में तो वे सेवा दे ही रहे हैं, स्थानीय कोर्ट से लेकर डिस्ट्रिक्ट, हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक में न्यायाधीश के रूप में सेवा देने में भी समाज अग्रणी हो रहा है।
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आर सी लाहोटी के सेवानिवृत्त होने के बाद एक रिक्तता उत्पन्न हो गयी थी, लेकिन गत 18 जनवरी 2019 को दिनेश माहेश्वरी ने वहां न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ ग्रहण कर पुनः इस कमी की पूर्ती कर दी। न्यायमूर्ति श्री माहेश्वरी की नियुक्ति कोलेजियन ने उनके अनुभव के आधार पर की है। इससे पूर्व श्री माहेश्वरी कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे।
कानूनविद परिवार में लिया जन्म:
न्यायमूर्ति श्री माहेश्वरी का जन्म 15 मई 1958 को राजस्थान हाईकोर्ट के ख्यात कानूनविद जोधपुर निवासी श्री रमेशचंद्र माहेश्वरी व रुक्मणि माहेश्वरी के यहाँ हुआ था। अतः कानून के प्रति रुझान बचपन से ही रहा था। श्री माहेश्वरी ने राजस्थान यूनिवर्सिटी जयपुर के प्रतिष्ठित महाराजा कॉलेज से बीएससी ऑनर्स भौतिक विषय में किया।
वैसे तो उनकी दिशा अब विज्ञान हो गयी थी, लेकिन कानून की शिक्षा के प्रति उनका लगाव थम नहीं पाया। बस उन्होंने आगे की शिक्षा की दिशा को कानून की ओर मोड़ दिया ओर वर्ष 1980 में जोधपुर यूनिवर्सिटी से कानून में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 8 मार्च 1981 से एडवोकेट के रूप में रजिस्टर्ड होकर जिला व हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने लग गए।
ऐसे चली उनकी शिखर यात्रा:
श्री दिनेश माहेश्वरी प्रारम्भ से ही सिविल, संवैधानिक तथा कंपनी मामलों के विशेषज्ञ रहे हैं। अतः उनकी विशेषज्ञता से उनकी ख्याति बढ़ती ही चली गयी। उन्होंने राजस्थान सरकार के कई विभागों, जोधपुर नगर निकाय, ट्राइबल एरिया डेवलपमेंट को-ऑपरेटिव फाउंडेशन, अर्बन इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट सहित विभिन्न बैंक, ऑइल कंपनी, स्वशासी निकाय, बोर्ड व निगम आदि को अपनी सफलतापूर्वक सेवा दी।
उनकी उपलब्धियों तथा 23 वर्ष के प्रैक्टिस के अनुभव को देखते हुए 2 सितम्बर 2004 में राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त किये गए। बस यहाँ से न्यायाधीश के रूप में उनकी सेवा यात्रा प्रारम्भ हो गयी।
कई हाईकोर्ट में दी सेवा:
न्यायमूर्ति श्री माहेश्वरी ने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद तक पहुंचने की इस यात्रा में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई। उनकी प्रथम नियुक्ति तो राजस्थान हाईकोर्ट में हुई, फिर 2 मार्च 2015 को वरिष्ठ न्यायाधीश के रूप में आपका तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में हो गया। इसके पश्चात 24 फ़रवरी 2016 को मेघालय हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ ली।
यहाँ से स्थानांतरण के पश्चात आपने 12 फ़रवरी 2018 को कर्नाटक हाईकोर्ट के 30 वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ग्रहण की। यह हाईकोर्ट में उनकी अंतिम सेवा थी। इसके पश्चात गत 18 जनवरी को आपने देश की शीर्ष न्यायापालिका सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद की शपथ ग्रहण की है।
पूरा परिवार ही कानून के पथ पर:
पैतृक माहौल का असर क्या होता है, यह श्री माहेश्वरी के यहाँ स्पष्ट दिखाई देता है। स्वयं श्री माहेश्वरी भी यदि इस क्षेत्र में पैतृक माहौल से आए तो आज उनका पूरा परिवार भी उनके ही नक्शेकदम पर चल रहा है। श्री माहेश्वरी का विवाह 1982 में सुमन माहेश्वरी से हुआ था, जो स्वयं भी एलएल बी है और कुछ समय प्रैक्टिस भी कर चुकी है।
अब परिवार में दो पुत्र हैं। पुत्र दिव्येश जयपुर में एडवोकेट के रूप में प्रैक्टिस कर रहे हैं। छोटे पुत्र मुकेश जोधपुर से एलएलबी कर रहे हैं। जस्टिस माहेश्वरी कॉउंसलिंग ऑफ राजस्थान के दो बार आमंत्रित सदस्य भी रह चुके हैं। व्यक्तिगत रूप से वे क्रिकेट तथा बैडमिंटन खेलने के शौकीन हैं।