चिकित्सा क्षेत्र में विशेषता हासिल करती- डॉ ईरा सारडा
माहेश्वरी समाज की प्रतिभाऐं विश्व के कोने-कोने में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही है। उनमें से ही एक है, विराटनगर (नेपाल) की बेटी डॉ. ईरा सारडा।
आसमान को छूती आज माहेश्वरी समाज की बेटियों को देखकर सीना गर्व से बड़ा हो जाता हैै। हमारी बेटियां चाहे विश्व के किसी भी कोने में हों, लेकिन किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने का कोई अवसर नहीं छोड़ती और पूरे समाज को गौरवान्वित करती हैं। इसी तरह विराटनगर के नेपाल के विराटनगर जैसे छोटे से गांव से अमेरिका में विश्व की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी तक पहुंचने का सफर एक स्वप्न जैसा लगता है।
इस सपने को हकीकत में बदलती डॉ. र्ईरा सारडा ने, नेपाल के शीर्ष सम्मान ‘‘प्रबल गोरखा दक्षिण बाहु- प्रथम श्रेणी’’ से विभूषित स्वर्गीय श्री नंदकिशोर सारडा के आंगन में उनके पुत्र-पुत्रवधू सुनील और गिरिजा सारडा (पूर्वांचल संयुक्त मंत्री, अखिल भारतीय माहेश्वरी महिला संगठन) की पुत्री के रूप में 1998 में जन्म लिया और कुल का नाम विभूषित किया।
चिकित्सक के साथ इंजीनियर भी
श्री गंगानगर राजस्थान के स्वर्गीय श्री रामदेव चितलांगिया की दोहिती डॉ. ईरा ने कक्षा 12 तक भारत के मसूरी के वुडस्टाक स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के बाद इंग्लैंड की न्यूकासल यूनिवर्सिटी तथा डरहम यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वावधान में एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की। उसके बाद यूनिवर्सिटी ऑफ सेन फ्रांसिस्को और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कली से मास्टर ऑफ ट्रांसलेशनल मेडिसिन की डिग्री प्राप्त की।
सिनेमा का एक गाना बहुत फेमस हुआ था ‘पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा, बेटा हमारा ऐसा काम करेगा’। यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आजकल हमारी बेटियां भी इसी तरह के काम कर रहे हैं और इसी तरह नाम भी कर रही है। कोई कहता है कि मेरा बेटा डॉक्टर बनेगा, कोई कहता है कि मेरा बेटा इंजीनियर बनेगा पर इस बेटी ने तो डॉक्टर और बायोमेडिकल इंजीनियर दोनों बनकर अपने परिवार को गौरवान्वित किया है। एक आर्टिस्ट, एक अच्छी वक्ता और एक सुहृदय डॉक्टर ईरा, 2 साल के लिए इंग्लैंड में डॉक्टरी प्रैक्टिस कर रही हैं।