Personality of the month

स्वस्थ व सुखी भावी जीवन संवारते पर्यावरण रक्षक

वैसे तो पर्यावरण को संवारना या उसकी रक्षा करना किसी एक नहीं बल्कि हम सबकी जिम्मेदारी है। फिर भी यह विडंबना है कि अधिकांश लोग अभी भी इस मामले में पूर्णत: जागृत नहीं हुए। इसी को देखते हुए प्रेरणा स्वरूप इस आलेख में पर्यावरण रक्षक के रूप में ऐसे लोगों व उनके योगदानों की जानकारी प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है, जो पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे रहे हैं।

प्रिशिता जाजू

भीलवाड़ा कुमुद विहार निवासी 37 वर्षीय प्रिशिता जाजू ने अपने घर में कच्ची जगह नहीं होने के बावजूद लगभग 1125 गमलों में 110 प्रजातियों के फूलदार, फलदार, औषधीय व बेल वाले चंपा, पारिजात, एक्जोरा, फोनीसपाम, एरिकापाम, स्नेक, मनीप्लांट, साइकस, फाइकस, क्रोटन, सिंगोनिया, बटनबेल, जूही, अजवाइन, स्पाइडर लीली, एडेनियम, पिंजरी, एलोवेरा, फिस्टल पाम, गुड़हल, चांदनी, नींबू, सुपारीपाम, बॉटलपाम, टोपी कृष्णा, मीठा नीम, पेंडनास, रैपिक्स पाम, अशोक, मोलश्री, मोगनी, तुलसी, नीम, टपोरी, प्लेटाफाम आदि पौधे लगाकर अपने घर को हरा-भरा कर प्राणवायु का केंद्र बनाते हुए अन्य महिलाओं को गमलों में पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया है।

प्रिशिता अपने घर-गृहस्थी के कार्यों को करने के बाद समय बचाकर स्वयं गमलों में लगे पौधों की निराई, गुड़ाई, पिलाई के साथ ही पौधों की रखरखाव व्यवस्था करती हैं। श्रीमती जाजू ने 15 वर्ष पूर्व 5 गमले लगाकर शुरुआत की थी। किसी भी अतिथि के घर आने पर उन्हें उपहार स्वरूप एक गमला देने की परंपरा भी प्रिशिता जाजू ने शुरू की है। अपने दोनो बेटों आराध्य और अबीर के जन्मदिवस के अवसर पर भी उनके मित्रों को उपहार के रूप में एक-एक गमला भेंट स्वरूप दिया जाता है।

श्रीमती जाजू के घर की छत, सीढियां, बरामदा, खिड़कियां, ड्राइंग रूम, मुख्य द्वार, आवास गृह के बाहर और अंदर सभी जगह हरियाली से परिपूर्ण हैं। प्रिशिता पूरे घर को हरियाली से सरोबार करते हुए अन्य महिलाओं को भी पौधे लगाकर घर को हरा-भरा बनाने के लिए प्रेरित करती हैं। हरियाली बढ़ाने में इनके जीवनसाथी गौरव जाजू और दोनों पुत्र आराध्य और अबीर भी सहयोग करते है।


ओमप्रकाश भदादा

भीलवाड़ा में जन्मे ओमप्रकाश भदादा (उम्र 72 वर्ष) बिजली विभाग के रिटायर्ड अधिकारी हैं। आप बचपन से ही बैडमिंटन के खिलाड़ी रहे हैं और राष्ट्रीय स्तर पर भी खेल चुके है। रिटायरमेंट के बाद स्वास्थ्य ठीक ना होने के बावजूद अपना शेष जीवन परिवार के साथ बिताने व पौधे लगाने और उन्हें बड़ा करने में बीता रहे हैं। घर की छत पर ही किचन गार्डन बना रखा है, जहा प्रतिदिन 3-4 घण्टे पौधे लगाने और उन्हें बड़ा करने में बिता रहे हैं।

श्री भदादा का पर्यावरण के प्रति ऐसा प्रेम है कि वे पौधे की सेवा करते हैं और अपनी घर की छत पर पालक, भिंडी, टमाटर, बैंगन सहित अन्य सब्जियों के साथ-साथ स्नेक प्लांट, जेड प्लांट, 4 तरह के मनी प्लांट आदि ऑक्सीजन बम लगा रखे हैं। वर्तमान में बहुत ही सुंदर कलर के प्रचलित मॉर्निंग ग्लोरी, गुड़हल, और हाइब्रिड बिच्छू बेल भी तैयार कर लिए हैं। ब्रह्मकमल, अपराजिता, हार सिंगार, तीन प्रकार की तुलसी भी लगा रखी हैं।

आपके यहां करीब 35 प्रजातियों के 245 गमलों के पौधे हैं और वे इन पौधों को समय-समय पर चिर परिचितों को उपहार स्वरूप गमलों में लगाकर देते हैं। उन्हें पौधे के साथ-साथ भजन गाने का भी अच्छा शौक है। आप पर्यावरण की रक्षा के लिए प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करने के पक्षधर हैं। आप पुरानी धानमंडी स्थित श्री बद्री नारायण मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष भी हैं। आपका उदेश्य है कि ‘जीवन का सिर्फ यही आधार है, पर्यावरण हमारा परिवार है।


नवल डागा

जयपुर (राजस्थान) निवासी नवल डागा वैसे तो क्षेत्र के एक सफल व्यवसायी हैं, लेकिन उनकी पहचान ऐसे पर्यावरण प्रेमी के रूप में है, जिनका पर्यावरण प्रेम वास्तव में दीवानगी ही कहा जा सकता है। युवावस्था में जब कॅरियर चुनने का मौका आया तो आजीविका के लिए पैतृक व्यवसाय था और एमकॉम तक शिक्षित होने से अच्छी नौकरी की अपार संभावनाएं भी थीं, फिर भी उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को ही अपना जीवन बना लिया। आज भी इसी को प्रोत्साहित करने के लिए इसी से संबंधित विभिन्न पेड़ व पौधों के बीज आदि का ही व्यवसाय करते हैं और आमजन के बीज पर्यावरण संरक्षण का अलख जगाते हैं।

उनके इस अभियान में उनकी धर्मपत्नी शारदा डागा भी सहयोगी बनी हुई हैं। वर्तमान में अपने पूववर्ती प्रयासों के साथ श्री डागा ने पर्यावरण संरक्षण में एक अभिनव प्रयास किया है। इसके अंतर्गत श्री डागा अपने मकान की 714 वर्गफीट छत का प्रयोग प्राकृतिक रूप से सब्जी उत्पादन में कर रहे हैं। इसके लिये उन्होंने छत पर ही 415 गमलों में लगभग 44 प्रकार की सब्जियों लगाई हैं। इन सब्जियों में भिण्डी, टिण्डा, टमाटर, ग्वार, बैंगन, मिर्च, पालक, धनिया, करेला, गिलखी, लौकी, तरबूज, ककड़ी, देसी मक्का, मिठी मक्का आदि शामिल हैं।

इसमें कम स्थान में अधिक सब्जियाँ लगाने के लक्ष्य को लेकर श्री डागा ने अधिकांश बेल वाली सब्जियाँ लगाई हैं, जिन्हें दीवारों के सहारे ऊपर चढ़ाया जा सके। इन सब्जियों के उत्पादन के पीछे श्री डागा का लक्ष्य पर्यावरण संरक्षण तो प्रमुख रूप से है ही, साथ ही उन्हें शुद्ध आर्गेनिक सब्जियाँ भी प्राप्त हो रही हैं। इसके लिये वे सब्जियों में न तो किसी रासायनिक उर्वरक का उपयोग करते हैं, न ही रसायनिक दवा का सब कुछ पूर्णतः आर्गेनिक तौर तरीकों से सब्जियों का उत्पादन हो रहा है।


कृष्ण गोपाल ईनाणी

माण्डल जिला भीलवाड़ा में जन्में कृष्ण गोपाल ईनाणी पेशे से तो स्टेशन अधीक्षक रेल्वे विभाग की नौकरी करते थे जिसमें समय पाबन्दी, सतर्कता एवं जिम्मेदारी पूर्वक कार्य करना पड़ता था, लेकिन उन्होंने हमेशा सामाजिक दायित्व का भी अच्छी तरह निवर्हन किया। आप पूर्व में नगर माहेश्वरी सभा माण्डल के अध्यक्ष रहे व वर्तमान में माण्डल तहसील माहेश्वरी सभा के सचिव पद पर कार्यरत हैं।

अपनी नौकरी के साथ-साथ पर्यावरण का भी विशेष ध्यान रखते हुये धुंवाला रेल्वे स्टेशन पर सन् 2007 में संगम उद्योग समूह भीलवाड़ा व बाबूलाल जाजू पर्यावरण प्रेमी भीलवाड़ा की प्रेरणा व सहयोग से छायादार पेड़ जैसे नीम, शीशम, करंज, अशोका, कनेर, बड़ चम्पा के 40 (चालीस) पौधे लगाकर पेड़ बनाने का संकल्प पूरा किया। इस कार्य में स्टाफ व ग्रामीण जन का पूरा- पूरा सहयोग मिला। श्री ईनाणी ने अपनी यात्रा आगे जारी रखते हुये सन् 2018 में माण्डल रेल्वे स्टेशन पर उपखण्ड अधिकारी माण्डल के कर कमलों से अशोका, करंज, नीम, पीपल, गुड़हल, बकान इत्यादि के 15 (पन्द्रह) पौधे लगाकर अपना लक्ष्य जारी रखा।

परोपकारी कार्यों की कोई सीमा नहीं होती, इस बात को ध्यान में रखकर मावली जिला उदयपुर स्थानांतरण पर केवल एक वर्ष के सेवाकाल में सन् 2020 में 40 (चालीस) पौधे चम्पा, नीम, पाम, शीशम इत्यादि के स्टाफ व ग्रामीण जन की सहायता से लगाकर पर्यावरण में सहयोग किया। अब परिवार जन की सहायता से घर में भी 75 (पचत्तर) गमले लगाऐ जिसमें करीब 25 पच्चीस तरह के पुष्प व फलदार पौधे लगा रखे हैं। इस अपराजिता, पाँच तरह के बिच्छू बेल, मोरपंखी, लिली, गुडहल, मीठा नीम, मोगरा, सदाबहार, अमरूद, चम्पा. अजवाईन, तीन तरह की तुलसी, पत्थरचट्टा, अस्थि संहार, अश्वगंधा, बिलपत्र, नींबू, तीन तरह के मनी प्लान्ट, स्नेक प्लान्ट इत्यादि शामिल हैं।

आप निर्मल छाया व भारत विकास परिषद् माण्डल के सक्रिय सदस्य हैं व पौधारोपण कार्यक्रम में सक्रिय सहभागिता करते हैं। आपका कहना है कि प्रत्येक मनुष्य को वर्ष में एक पौधे को लगाकर उसे पेड़ बनाने तक का कार्य करना चाहिए व पौधा स्वयं के मकान के बाहर कॉलोनी या सार्वजनिक जगह कहीं भी लगावें । पर्यावरणविद् श्री जाजू ने भी आपकी पर्यावरण में रूचि का प्रशंसा पत्र आपके सेवा निवृत्ति समारोह में भेजा था। आप प्लास्टिक डिस्पोजल के कम से कम उपयोग करने की भी समय-समय पर प्रेरणा देते रहते हैं।


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