वास्तु से भारत को विश्व गुरु बनाते- केसीआर तोषनीवाल
भारत ज्ञान के मामले में किसी समय भारत सम्पूर्ण विश्व का गुरू रहा है, लेकिन कालान्तर में यह स्थिति बदल गई। लेकिन यदि इन्हें पुनः प्रसारित किया जाऐ तो यह ज्ञान सम्पूर्ण विश्व में देश को फिर से वही प्रतिष्ठा दिलवा सकता है। इन्हीं भावनाओं के साथ वास्तु के क्षेत्र में अपनी अमूल्य आहुति दे रहे हैैं, मुम्बई निवासी अन्तराष्ट्रीय वास्तुविद् केसीआर तोषनीवाल ।
वर्तमान में मुम्बई निवासी केसीआर तोषनीवाल देश ही नहीं बल्कि विश्व के कई देशों के लिये प्रख्यात वास्तुविद् के रूप में एक जाना माना नाम हैं। देश का शायद ही ऐसा कोई बड़ा शहर हो जहाँ उनकी वास्तु परामर्श की सेवा नहीं ली गई हैं। तमाम व्यस्तताओं के बावजूद वे लगभग देश के 80 शहरों में अभी तक अपनी सेवा दे चुके हैंं।
देश की सीमाओं को लांघते हुए भी उनकी कीर्ति विदेशों तक जा पहुँच चुकी हैं। अभी तक श्री तोषनीवाल हाँगकांग, मलेशिया, अमेरिका, यूरोप, सिंगापुर, थाईलैण्ड, बर्मा, भूटान, नेपाल, कनाडा, इजिप्ट (मिस्त्र) आदि में भी भारतीय वास्तु शास्त्र का परचम लहरा चुके हैं। सम्पूर्ण उत्तर भारत में वास्तु शास्त्र का आलौक पहुँचाने का श्रेय श्री तोषनीवाल को ही जाता है।
कार्पोरेट वर्ग को भी दी सेवा
श्री केसीआर तोषनीवाल ने वर्ष 1989 में ‘‘वैदेही वास्तु शिल्प कन्सल्टैंसी’’ की स्थापना कर वास्तु परामर्श के कार्य की शुरूआत की थीं। अभी तक पूरी दुनिया के 10 हजार से अधिक लोग उनसे वास्तु परामर्श लेकर लाभान्वित हुए हैं। उनसे परामर्श लेने वालों में वैसे तो हर वर्ग के लोग शामिल हैं, जिनमें डॉक्टर, वकील, व्यवसायी, उद्योगपति, चार्टेड अकाउण्टेंट व आर्किटेक्ट जैसे प्रोफेशनल भी बड़ी संख्या में शामिल हैंं।
उनके परामर्श ने सभी के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन किया है। उनसे वास्तु परामर्र्श लेने वालों में कार्पोरेट वर्ग का विशेष रूझान हैं इनमें जयपुर के ओ.के.प्लस ग्रुप के ओमप्रकाश मोदी, कंट्रीइन के मुकुंद गोयल, मिस इंडिया के गोविन्द लश्करी, प्रमोद डेरेवाल, मंगलम बिल्डर्स, मुम्बई के मेकर बिल्डर्स, मौर्या बिल्डर्स, सज्जानंद बिल्डर्स, ट्रांसकोन बिल्डर्स, गोवा गुटखा, दिल्ली से राजदरबार गुटखा, बम्बई से नरीमन पाईंट के सबसे बड़े स्टेट ब्रोकर चिमनलाल एस.ठक्कर व गुड़गाँव के स्पेज बिल्डर्स आदि शामिल हैंं।
बिल्डर्स अपनी नव विकसित कॉलोनियों की ओर ग्राहकों का रूझान बढ़ाने के लिये अपने विज्ञापनों में वास्तु परामर्शक के रूप में विशेष रूप से श्री केसीआर तोषनीवाल का नाम उल्लेख करते हैं।
सेवाओं से मिला सम्मान
अनेक शहरों में वास्तु शास्त्र पर आपके सेमिनार व लेक्चर्स हो चुके हैं। आपको इस क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यो के कारण देश भर में अनेक बार सम्मानित भी किया जा चुका है।
गोवा के आध्यात्मिक राजगुरू कुलम द्वारा वास्तुभूषण सम्मान तथा भारत विकास परिषद भीलवाड़ा, रोटरी क्लब ऑफ देहली कैपिटल, रोटरी क्लब जयपुर पिंकसिटी, रोटरी क्लब उदयपुर, रोटरी क्लब मुबंई, लायंस क्लब मुबंई योगी नगर, माहेश्वरी समाज इंदौर, माहेश्वरी प्रोफेशनल फोरम इंदौर, माहेश्वरी युवा संगठन नीमच, विदर्भ चैम्बर ऑफ कामर्स नागपुर, समर्थ नगर लोखंडवाला कॉॅम्पलैक्स रेजिडेन्स एसोसिएशन आदि द्वारा विभिन्न सम्मानों द्वारा आपको नवाजा जा चुका है।
ऐसे मिली नयी प्रेरणा
वर्तमान में वास्तु के वैज्ञानिक स्वरूप को पूरी दुनिया में जन-जन तक पहुँचा देने वाले के.सी.आर. तोषनीवाल को वास्तु का ज्ञान अपने परिवार से विरासत में नहीं मिला। श्री तोषनीवाल का जन्म 1 जून 1958 को मध्यप्रदेश के नीमच जिले में मनासा कस्बे में हुआ। उनका ननिहाल चित्तौड़गढ़ राजस्थान था जहाँ उन्होंने जन्म लिया। न तो माता-पिता व उनके परिजनों का और न ही नाना पक्ष का ही दूर-दूर तक वास्तु-ज्योतिष जैसे विषयों से कोई लेना-देना था।
श्री तोषनीवाल हायर अकाउण्टेंसी में एम.कॉम करने के बाद कपड़ा व्यवसाय से सम्बद्ध हो गये। इसी सिलसिले में एक दुकान पर हैदराबाद में उनकी भेंट एक बाबा से हुई। वह बाबा वास्तु के विद्वान थे और दुकानदार को आवश्यक परामर्श दे रहे थें।
श्री तोषनीवाल बाबा के वास्तु ज्ञान से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने उनके सामने वास्तु शास्त्र सीखने की अपनी जिज्ञासा व्यक्त कर दी। बाबा ने भी ऐसी विशिष्ट पुस्तकों के नाम उन्हें बताऐं जो वास्तु की गागर में सागर थीं।
पुस्तकों को बनाया अपना गुरू
श्री तोषनीवाल ने वास्तु का ज्ञान प्राप्त करने की अपनी जिज्ञासा के चलते पुस्तकों को ही अपना गुरू बना लिया। सर्वप्रथम तो उन्होंने वे पुस्तकें खरीदीं जिनकी सलाह बाबा ने दी थी और इनका अध्ययन करते चले गये। अब वे व्यावसायिक कारणों से जहाँ भी जाते वहाँ से वास्तु से सम्बंधित जो भी ग्रंथ या पुस्तक उन्हें मिली खरीद लाते।
इनसे उनका वास्तु ज्ञान तेजी से बढ़ता ही चला गया और उनका अभियान जन-जन तक वास्तु शास्त्र को पहुँचाना बन गया। आज यदि सम्पूर्ण उत्तर भारत में वास्तु के प्रति विशेष चेतना है तो इसका श्रेय श्री तोषनीवाल को ही है।
उनके परामर्श केन्द्र ‘‘वैदेही वास्तु शिल्प कन्सेल्टेंसी पर वास्तु शास्त्र की एक विशाल लायब्रेरी है,जिसमें राजवल्लभ सहित लगभग 1000 पुस्तकें संग्रहित हैं। सम्भवतः यह वास्तु शास्त्र की देश और दुनिया की सबसे बड़ी लायब्रेरी है।
भाग्य की तरह वास्तु भी महत्वपूर्ण
वास्तु के संबंध में आपका कहना है कि वास्तु नकारात्मकता को कम करता है तथा सकारात्मकता को बढ़ाता है,साथ ही वास्तु, कर्म के परिणामों को सफलता में बदलने का माध्यम है। जीवन में जितना भाग्य महत्वपूर्ण है उतना ही वास्तु भी महत्व रखता है। अच्छी ग्रह दशा होने पर भी वास्तु की गड़बड़ी पूर्ण सफलता से वंचित कर देती है।
आपका यह कहना है कि वास्तु शिल्प एक विज्ञान हेै जिसका सर्वप्रथम प्रयोग भारत में ही हुआ। प्राचीन समय के बड़े-बड़े ऐतिहासिक भवन व किले आज भी सुरक्षित हैं, क्योकि इनका निर्माण वास्तु के अनुसार हुआ था। आज वास्तु का उपयोग भारत से अधिक विदेशों मेंं हो रहा है।
वास्तु के कारण ऊँचाईयों पर पहुँचे तोषनीवाल कहते हैं कि भाग्य व वास्तु के साथ उनकी सफलता में उनकी पत्नी श्रीमती सरोज तोषनीवाल, पुत्री निमिषा व ख्याति एवं पुत्र वैभव के सहयोग व माता-पिता के आशीर्वाद का भी महत्वपूर्ण योगदान है।
श्री तोषनीवाल वास्तुशास्त्र का महत्व समझाते हुए कहते हैं कि वास्तुशास्त्र की जानकारियां अर्थवेद, यजुर्वेद, भविष्य पुराण, मत्स्य पुराण, वायु पुराण, गर्ग संहिता, नारद संहिता आदि में भरी पड़ी हैें।