श्री खूंखर माताजी
श्री खूंखर माताजी माहेश्वरी समाज की तोतला, तोषनीवाल व इनकी समस्त खांपों की कुल देवी है।
माहेश्वरी समाज की नई पीढ़ी को अपने गौरवशाली इतिहास और परम्पराओं से अवगत कराने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। समाज में कुलदेवियों का विशेष महत्व है। इस कॉलम में हम कुलदेवियों की जानकारी प्रदान कर रहे हैं। इसी क्रम में प्रस्तुत है-खूंखर माताजी।
माताजी का मंदिर राजस्थान के नागौर जिले के ग्राम तोषीना में स्थित है। माताजी का इतिहास लगभग ९५० वर्ष पुराना है। ग्राम तोषीना में संवत् ११३९ में माताजी की विशाल मूर्ति व मंदिर था। कालांतर में मंदिर जीर्णशीर्ण हो गया।
स्वप्ना के बाद बना भव्य मंदिर:
सन् १९८४ में जलगाँव निवासी प्रभादेवी भगवानदास तोतला के सपने में माताजी आई और दर्शन देकर मंदिर बनवाने हेतु कहा। इसके पश्चात वह प्रभादेवीजी को बार-बार स्वप्न में दिखाई देने लगी। श्रीमती प्रभाजी १९८८ में तोषनी आई। उन्होंने पुराने मंदिर की जगह पर खुदाई करवाई। खुदाई में पुराने मंदिर के काफी अवशेष मिले, हवन कुंड, छोटी-बड़ी मूर्तियाँ इत्यादि। एक बड़ी शिला भी मिली जो आज बड़ी माताजी के रूप में यहाँ पर स्थापित है। फिर १९९२ में मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ। १९९७ में २५ जनवरी को भव्य समारोह में माताजी की मूर्ति स्थापित की गई।
माता का चमत्कार:
मूर्ति भव्य एवं चमत्कारी है। कहा जाता है कि एक बार एक दंपत्ति अपनी दृष्टिहीन बालिका को साथ लेकर माताजी के दर्शन हेतु आए। उक्त बालिका के उपचार करने वाले डॉक्टरों ने भी हार मान ली थी। उनका कहना था कि बालिका की दृष्टि वापस नहीं आ सकती। किन्तु माँ खूंखर देवी के अद्भुत दर्शन करते ही बालिका को सब कुछ दिखाई देने लगा। माताजी के चमत्कार से यात्रियों की संख्या भी बढ़ती गई।
यात्री सुविधाएं:
मंदिर परिसर में यात्रियों के ठहरने के लिए धर्मशाला का निर्माण कार्य २००३ में पूर्ण हुआ। यहाँ सर्वसुविधायुक्त धर्मशाला मंदिर परिसर में है। एक बड़ा रसोईघर भी बना लिया गया है। यहाँ सशुल्क २०-२५ रु. प्रति थाली के हिसाब से शुद्ध वैष्णवी भोजन प्राप्त किया जा सकता है। मंदिर की संचालक श्रीमती प्रभादेवी भगवानदास तोतला जलगांव हैं। जिनके फोन नं. ०२५७-२२३२४१, मो. ०९८२३०-६६२०७ है। व्यवस्थापक, नंदकिशोर हुरकट (०१५८०-२४२२१७) है।
मंदिर में होने वाले कार्यक्रम:
मंदिर के स्थापना दिवस २५ जनवरी को यहाँ पर हर वर्ष वार्षिक उत्सव का आयोजन होता है जिसमें विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है। चैत्र माह एवं आश्विन मास दोनों ही नवरात्रि में यहाँ भजन एवं गरबों का आयोजन किया जाता है।
भोग एवं आरती:
सुबह ६ बजे: आरती
९.१५ बजे: भोग
शाम ६.३०: सांध्य आरती
९.००: शयन आरती
माताजी को शीरे एवं लपसी का भोग लगाया जाता है।
कैसे पहुंचे:
ग्राम तोषीना से लगभग ३६ किमी दूर व्हाया कुचामन रेलवे स्टेशन है। अजमेर और जयपुर विमान या ट्रेन द्वारा पहुँचकर यहाँ से बस या स्वयं के निजी वाहन द्वारा यहाँ पहुँचा जा सकता है। यह अजमेर से ११० किलोमीटर जयपुर से १७५ किमी दूर है। यहाँ से सालासर बालाजी मात्र ८५ किमी एवं खाटू श्याम जी लगभग १०० किमी दूर है।