Mulahiza Farmaiye
मुलाहिजा फरमाइये – दिसंबर 2020
पढ़िए दिसंबर – 2020 का मुलाहिजा फरमाइये हमारे इस स्तम्भ में –
वक़्त कि नजाकत से वाकिफ हूँ मैं…
बड़ी नज़ाकत से गुज़र जाता हैं, अपना असर छोड़ कर…..!जमाना वफादार नहीं तो फिर क्या हुआ…
धोकेबाज भी तो हमेशा अपने ही होते हैं…..!!रास्ता बदल लेना चाहिए जब आँखों के पीछे नमी
और मज़बूत लफ्जों के पीछे टूटा लहज़ा कोई न समझ सके….!वो भी रो देगा उसे हाल सुनाएं कैसे….
मोम का घर हैं चरागों को जलाएं कैसे….!जमीन और मुक़द्दर की, एक ही फितरत हैं,
जो भी बोया हैं, वो निकलना तय हैं…..!हम ठहर तो जाते दिल में तेरे,
पर भीड़ में हमारा दम घुटता हैं….!हम जिसे छिपाते फिरते हैं उम्रभर,
वही बात बोल देती हैं…!!!