Mulahiza Farmaiye

मुलाहिजा फरमाइये- अक्टूबर 2020

पढ़िए अक्टूबर 2020 का मुलाहिजा फरमाइये हमारे इस स्तम्भ में

हर डूबती हुई कश्ती की अपनी ही कहानी है,
जी लो आज पल, जिंदगी कहाँ लौट कर आनी है।

कुछ नया लिखने की तलब थी मुझे आज,
फिर सोचा कुछ ज़िक्र कभी पुराने नहीं होते।

साहिल की इसमें कोई खता ही नहीं,
डुबोया जिस समंदर ने उसे पता नहीं।

सारी दुनिया है खौफ में जिसके
क्या इस मर्ज़ की कोई दवा ही नहीं।

बेहतर है खुद से बाते करना
बयां गैर से करने का फायदा ही नहीं।

अपने किरदार की हिफाज़त जान बढ़कर की जिये
क्योंकि इसे ज़िंदगी के बाद भी याद किया जाता है।

अदाकारी जरा सी जेब में रखकर सफर करना
अभी इस ज़िंदगी में और भी किरदार जीने हैं...

ज्योत्स्ना कोठारी


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Sri Maheshwari Times

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