Aapni Boli

रामराज्य री नई शरुवात

खम्मा घणी सा हुक्म म्हने गर्व है कि मैं उन 133 करोड़ लोगों में एक हूं जिको दुनिया रे देशों रे सामने साम्प्रदायिक प्रेम री मिसाल पेश की है। एक युग री प्रामाणिक नगरी प्रभु श्री राम रे अयोध्या मामले में माननीय उच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) रो ऐतिहासिक फैसलो प्रभु श्री राम रे भक्तों रे विश्वास रो ही परिणाम है। उन लाखों रामभक्तों ने ,कार सेवकों ने बहुत बहुत बधाई जिका आपरो सारो जीवन राम- मंदिर निर्माण रे वास्ते बलिदान कर दियो। रामराज्य री नई शरुवात ।

यो फैसलों वाणें सच्ची श्रद्धांजलि और पूरे देशवासियों री तरफ सूं वानें कोटि कोटि नमन। सच कहुं हुक्म रामलला री जीत नहीं राम-राज्य री नई शुरुवात हुई है। यों तथ्य आ भी बतावे कि इतिहास सदैव पुनरावृति करे हुक्म, जो देवाला वो हीं लौट ने आवेला। घृणा देवोलां तो घृणा मिळेला और प्रेम देवोंला तो प्रेम।

यों निर्णय या भी बतावे कि कित्ता ही बादला आ जावै , सत रे सूरज ने कोई भी घणी देर नहीं ढक सके। सत्य हर काला बादलों ने फाड़ ने पाछो प्रगट हूँ जावे। सत्य री ध्वजा ने भगवान फहरावे हुक्म। सच री राह में मोड़ो हूँ सके पर देर सवेर सच जाहिर हूँने रेवे। कहावत भी है हुक्म ‘ ईश्वर रे घरे देर है पर अंधेर नहीं ।’

राम लला रा वकील परासरण जी ज़ो 92 वर्ष में भी कोर्ट में हिंदुओं रा आराध्य भगवान श्री राम मंदिर वास्ते विरोधी वकीलों रा परखच्चा उड़ा दिया … अदालत में जज साहेब भी कयों ‘ आपरी उम्र अधिक है आप बहस कुर्सी पर बैठ ने ही करों ‘ फिर भी परासरण जी कुर्सी पर नहीं बैठिया और पूरा 40 दिनों तक 92 वर्ष री उम्र में भी श्री राम भक्तों री आस्था पर अड़िग रियां और फैसलों आपाणे हित हुयों।

सारा हिन्दू जनमानस आपरे अथक प्रयास रो सदा ऋणी रेवेला । ए वे लोग है जो अपना ख़्वाब पूरा करण सारू सदैव हौंसले ने ज़िन्दा राखे हुक्म। याणी साधना आपां सब रे वास्ते नज़ीर है हुक्म ।यह वो लोग है, याणे आगे तो मुश्किला भी शर्मिदा हैं।

अयोध्या रो यों मंदिर-मस्जिद रो विवाद सदियों पुराणों थो। भारत में कई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री आया पर कोई भी मन सुं विवाद रो समाधान नहीं कियो…जण भी कुछ निर्णय हुवण लाग्या राजनीति आड़े आयेगी और समाधान ज्यों रा त्यों रह गया।

अब अहम सवाल है कि अब अयोध्या में अदालत री भावना रे अनुरूप मंदिर-मस्जिद बणे… अगर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा यों भी निर्णय आ जावे कि
समूचे परिसर ने यूँ बनावें जिनमें सर्वधर्म समभाव नजर आवें…

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई,राम सभी के कहे गुसाईं।
अगुन सगुन सब एक राम है,संत महंत सभी यह गाई।।

एक सन्तुलित न्यायिक निर्णय ,समाज में पारस्परिक संतुलन रे साथे पारस्परिक सौहार्द और पारस्परिक स्नेह री आधारशिला भी बण सकें।

स्वाति जैसलमेरिया


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