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दाम्पत्य रिश्तों की सूत्रधार – रेखा लड्ढा

वर्तमान दौर में व्यस्तता के कारण घटते सम्पर्कों की स्थिति में दाम्पत्तय के रिश्ते तय करना एक अत्यंत कठिन कार्य बनता जा रहा है। इस समस्या का वाट्सअप ग्रुप के रूप में अत्यंत सरल समाधान कर 3 हजार से अधिक रिश्ते जोड़ने का कीर्तिमान बना चुकी हैं, शिवपुरी निवासी रेखा लड्ढा।

सफल वैवाहिक रिश्ते ही सुखी जीवन की प्रथम सीढ़ी है। लेकिन वर्तमान दौर में रिश्तों की सफलता व असफलता तो बाद की बात है रिश्ते जोड़ना ही एक बड़ी चुनौती बन गया है। कारण है, व्यक्तिगत व्यस्तता के कारण अब कोई किसी को संबंधों की जानकारी नहीं देता।

ऐसी ही समस्या के समाधान में जुट कर समाज सेवा में अपना अमूल्य योगदान दे रही हैं, रेखा लड्ढा। तब मन में विचार आया कि कुछ कर सकती हैं, इस समस्या के निदान के लिए और उन्हें अवसर मिला। प्रदेश में कार्य करने के लिए विवाह सहयोग समिति में राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रदेश अध्यक्ष के साथ मिलकर, उनके मार्गदर्शन में कार्य प्रारंभ किया।

धीरे-धीरे पूरा ऑल वर्ल्ड जुड़ता गया। इसके लिये अब तक वाट्सएप पर 22 ग्रुप बन चुके हैं। संगठन ने गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड भी हासिल किया 3110 संबंध बनाकर। आज की तारीख में 4000 संबंध 4 साल में तय हो चुके हैं।


इस तरह हुई शुरुआत

श्रीमती लड्ढा का जन्म 16 जून 1965 में इंदौर में सिंगी परिवार कांटा फोड़ वालों के यहां श्री प्रेम नारायण व पुष्पा देवी सिंगी की पुत्री के रूप में हुआ। शिक्षा बीए तक प्राप्त की व 18 वर्ष की उम्र में विवाह शिवपुरी के हरिमोहन लड्ढा के साथ हो गया। संपन्न परिवार, घर का ही बिजनेस, तीन ननद की शादी, दो बेटों की जिम्मेदारी के बाद भी उन्हें लगा कि उन्हें कुछ करना चाहिए।

rekha laddha

कारण सभी की शादियों के समय संबंध तय करने में व देखने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। राष्ट्रीय महामंत्री और प्रदेश अध्यक्ष शिवपुरी पधारे, तो इस समस्या के बारे में उन लोगों से चर्चा की। उन्होंने यह कार्यभार श्रीमती लड्ढा को सौंपा। बस फिर उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष कल्पना गगरानी के साथ और सहयोग से इस समस्या का हल ढूंढते हुए माहेश्वरी परिवार के बायोडाटा एकत्रित करना शुरू कर दिया।

इसमें सरस्वती मालू, मीना चौधरी, दर्शना जाजू, मीना बड़ौदा, सुचिता राठी, कमल, सुरूचि, मधु, संगीता, अर्चना, सुनीता, सरोज, शिल्पा आदि साथियों का सहयोग सतत् प्राप्त होता रहा।


एक माह की मेहनत रंग लायी

स्वयं श्रीमती लड्ढा बताती हैं कि बहुत मुश्किलों के बाद मुझे एक हजार बायोडाटा 1 महीने में मिले। बायोडाटा एकत्रित हो जाने के बाद मुश्किल यह थी कि इनके आपस में मिलान कैसे हों, वे एक दूसरे तक कैसे पहुंचे? बस इसी के लिये व्हाट्सएप ग्रुप बनाएं व सभी के नंबरों को जोड़ना शुरू किया।

नंबर मिलना भी बहुत मुश्किल काम था, कोई व्हाट्सएप पर थे, कोई नहीं थे। सभी को समझाकर ग्रुप बनाएं, एक दूसरे के बायोडाटा एक दूसरे को दिए, लोगों से बात की। संबंध आगे बढ़ाने के लिए, इस कार्य में पहले बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन जब सभी को बात समझ में आने लगी तो हर जगह के बायोडाटा मिलने शुरू हो गये।

सभी को संबंध देखने और करने में आसानी महसूस होने लगी क्योंकि कोई किसी को संबंध बताना नहीं चाहते। हमने व्हाट्सएप द्वारा एक दूसरे को मिलाया। घर परिवार की जिम्मेदारी के साथ मुझे इस कार्य में बहुत परेशानी हुई लेकिन मन बना लिया था कि मुझे यह कार्य करना ही है, संबंध कराने ही हैंं। माहेश्वरी परिवार के बच्चों के संबंध माहेश्वरी में ही हों यही इच्छा मन में थी और वह कर भी लिया।


रिश्ते जोड़ने में भी वर्ल्ड रिकॉर्ड

रोज संबंध होने लगे ऑल वर्ल्ड जुड़ चुका, प्रदेश जोड़ना था, लेकिन संबंध प्रदेश में नहीं हो सकते थे। बहुत दिक्कतों के बाद श्रीमती गगरानी के साथ सहयोग से आगे बढ़ती चली गई।

rekha laddha

3 वर्ष में 3000 संबंध का रिकॉर्ड बनाया। नम्बर के साथ फाइल तैयार की, सभी को सबूत दिए, सोमनाथ में सम्मान हुआ और फिर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया 3110 संबंध का। वहां भी उन्होंने सारे नम्बर के साथ सबूत दिए, हर कार्य बहुत आसान लग रहा है।

श्रीमती लड्ढा कहती हैं शुरू में बहुत दिक्कतें आई समय भी बहुत देना पड़ा और परिवार को भी समझाना पड़ा लेकिन परिवार का साथ और सहयोग होने से मैं इस कार्य को आसानी से कर पाई।


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