महाकालेश्वर की नगरी उज्जयिनी में साकार रूप लेता- श्री महेश धाम
आम दिनों व सिंहस्थ के दौरान उज्जैन आने वाले समाजजनों के लिए प्रतिष्ठापूर्ण एवं सर्वसुविधायुक्त आवास की कल्पना के साथ अंकपात क्षेत्र में भव्य समाज भवन ‘‘श्री महेश धाम’’ के निर्माण की शुरुआत हुई थी। अब यह तेजी से साकार रुप ले रहा है और आगामी 2023 को इसके लोकार्पण की पूरी सम्भावना है।
अंकपात क्षेत्र में माहेश्वरी समाज, उज्जैन ने सिंहस्थ 2028 के लिए तैयारी शुरू कर दी है। लगभग 10 वर्ष पहले माहेश्वरी समाज, उज्जैन के प्रबुद्धों के चिंतन और चेन्नई के समाजसेवी व अभा माहेश्वरी महासभा के पूर्व सभापति पद्मश्री बंशीलाल राठी की प्रेरणा से ‘‘श्री महेश धाम’’ के निर्माण का निर्णय लिया गया था।
लक्ष्य था समाज के लोगों को तीर्थ नगरी उज्जैन में प्रवास व सिंहस्थ के दौरान श्रेष्ठ आवास सुविधा उपलब्ध हो सके। इसके लिये श्री महाकाल महेश सेवा ट्रस्ट का गठन किया गया। ट्रस्ट अध्यक्ष जयप्रकाश राठी एवं भवन निर्माण समिति प्रमुख डॉ. वासुदेव काबरा ने बताया कि वर्तमान में महेश धाम का अंकपात क्षेत्र में निर्माण शुरू हो गया है। इतना ही नहीं 2023 में रामनवमी पर इसका लोकार्पण करने का लक्ष्य भी रखा गया है।
दो ब्लॉक में होगा निर्माण
इस भवन को श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये ‘‘ए’’ एवं ‘‘बी’’ दो ब्लॉक में निर्मित किया जा रहा है। वर्तमान में ‘‘ए’’ ब्लाक का निर्माण तेजी से हो रहा है। इसमें ग्राउंड फ्लोर पर 312 वर्गफीट के वातानुकूलित 8 कमरे और 2 डीलक्स कमरे 390 वर्गफीट के बनाए जाएंगे।
कार्यक्रम के लिए 350 व्यक्तियों की क्षमता वाला एक वातानुकूलित 1911 वर्गफीट का हॉल व पहले माले पर 312 वर्गफीट के 11 कमरे, 2 डीलक्स कमरे 390 वर्गफीट तथा 962 वर्गफीट का बेंकेट हॉल बनाएंगे। इसी प्रकार दूसरे माले पर 312 वर्गफीट के 14 वातानुकूलित कमरे, 2 डीलक्स कमरे 390 वर्गफीट के बनाए जाएंगे। इस ब्लाक में आधुनिक लिफ्ट की सुविधा भी उपलब्ध होगी।
‘‘बी’’ ब्लॉक भी रहेगा भव्य
इसमें ग्राउंड फ्लोर पर 312 वर्गफीट के 9 वातानुकूलित कमरे, 1 डीलक्स कमरा व कार्यक्रमों के लिए 200 लोगों की क्षमता वाला एक वातानुकूलित 1300 वर्गफीट का हॉल, पहले माले पर 312 वर्गफीट के 10 कमरे और एक डीलक्स कमरा 390 वर्गफीट और एक 962 वर्गफीट का एक हॉल बनाएंगे। दूसरे माले पर 312 वर्गफीट के 13 वातानुकूलित कमरे, एक डीलक्स कमरा 390 वर्गफीट का बनाएंगे। इस ब्लॉक में लिफ्ट की सुविधा भी रहेगी।
9 हजार वर्गफीट डोम व वृहद पार्किंग
ए ब्लॉक और बी ब्लॉक के बीच 9000 वर्गफीट डोम डिजाइन किया गया है, जिसमें एक हजार लोगों की उपस्थिति में कार्यक्रम आयोजित किया जा सकेगा। इसके लिए एक ब्लॉक का निर्माण तेजी से किया जा रहा है। बाहर से आने वाले लोगों के 100 चार पहिया और 250 दोपहिया वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था भी की जाएगी।
20 हजार वर्गफीट का लॉन
‘‘श्री महेश धाम’’ में 20 हजार वर्गफीट सर्वसुविधायुक्त लॉन रहेगा व आसपास पौधारोपण किया जाएगा। साथ ही समाज के 2 हजार लोगों की क्षमता वाले सर्वसुविधायुक्त रसोईघर की भी व्यवस्था की जाएगी। समाजसेवी मुकेश कचोलिया के अनुसार ‘‘श्री महेश धाम’’ सभी के लिए सुविधाजनक रहेगा।
खासकर सिंहस्थ जैसे बड़े आयोजन में यहां ठहरने व पार्किंग की सुविधा रहेगी। कार्यक्रमों के लिए उचित स्थान मिल सकेगा। ‘श्री महेश धाम’ परिसर में एक भव्य मन्दिर एवं यात्रियों के लिये शुद्ध एवं सात्विक भोजन के लिये एक भोजनशाला का निर्माण भी प्रस्तावित है।
अन्नकूट के साथ मंदिर निर्माण का भूमिपूजन
श्री महेश धाम में श्री महाकाल महेश सेवा ट्रस्ट की अगुवाई में रविवार गत 30 अक्टूबर को अन्नकूट महोत्सव आयोजित हुआ। मुख्य अतिथि इंदौर के उद्योगपति व समाजसेवी मुकेश कचोलिया, विशेष अतिथि गोपाल डाड (आईएएस), एडवोकट राजेंद्र इनानी व डॉ. वासुदेव काबरा थे। अध्यक्षता जिलाध्यक्ष महेश लड्डा ने की। स्वागत भाषण डॉ. रवींद्र राठी ने दिया। अतिथि सम्मान ट्रस्ट अध्यक्ष जयप्रकाश राठी ने किया। भूपेंद्र भूतड़ा ने भवन निर्माण की जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन ट्रस्ट सचिव कैलाश डागा ने किया। मंदिर निर्माण हेतु उमेश मालू व रमेश हेडा दानदाता के रूप में आगे आए। इस अवसर पर मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन भी किया गया।
इस आयोजन में महेश धाम के निर्माण को गति देने पर उपस्थित समाजजनों ने चिंतन किया। इसमें रामरतन लड्ढा, ओपी तोतला, नवल माहेश्वरी, पुष्कर बाहेती, अजय मूंदड़ा, लक्ष्मीनारायण मूंदड़ा, संजय लड्ढा, पंकज कैला, निरंजन हेड़ा, कमलेश मंत्री, वीणा सोमानी, राजेश डागा, नरेन्द्र चितलाग्यां, वल्लभ चाण्डक, रमेश भूतड़ा, नरेन्द्र मंत्री, पीयुष हेड़ा आदि ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर कई सुझाव आयें, इनमें कोई दानदाता किसी भी मद में 21 लाख या उससे ज्यादा राशि देता है तो उन्हें भी मानद ट्रस्टी बनाएं। इस तरह के प्रोजेक्ट में बहुत ब़ड़े टीम वर्क की जरूरत होती है। इसके लिए अलग-अलग समितियां बनाएं। एक एडवाइजरी कमेटी बनाएं, जिसमें इंजीनियर, डेकोरेटर, सीए. लीगल एडवाइजर जैसे लोग शामिल रहें। युवाओं को भी टीम का हिस्सा बनाएं। वरिष्ठ लोगों को भी सम्मान दें, जैसे सुझाव शामिल थे।
गौशाला का संचालन
श्री महाकाल महेश सेवा ट्रस्ट द्वारा श्री महेश धाम परिक्षेत्र मे एक गौशाला का संचालन किया जा रहा है। यहां पर नियमित रूप से समाज बंधुओं द्वारा गौ सेवा का सचालन गोशाला समिति के मुख्य संयोजक श्री शैलेन्द्र राठी, सह-संयोजक श्री भूपेन्द्र भूतड़ा के संयोजकत्व में किया जा रहा है।
“निर्माण में सहयोग समाज का ऋण चुकाना- श्री कचौलिया”
हमने मातृ-पितृ ऋण एवं गुरु ऋण के बारे में सुना है लेकिन एक और ऋण होता है वह है समाज ऋण। क्योंकि पैदा होने से लेकर आज तक हमने समाज से लिया ही लिया है। हमें उस ऋण को भी चुकाना अनिवार्य है। मुख्य अतिथि उद्योगपति मुकेश कचोलिया ने उक्त विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ‘‘श्री महेश धाम’’ निर्माण कार्य में हम सबको सामर्थ्य अनुसार तन, मन धन से सहयोग देना चाहिए। जब हम इंदौर बायपास पर 24 करोड़ में माहेश्वरी आनंदम मैरिज गार्डन, 14 करोड़ में महेश अतिथि निवास रेडिसन होटल के पीछे बना सकते हैं। 93 करोड़ का माहेश्वरी शौर्य भवन अयोध्या में बना सकते हैं तो ‘‘श्री महेश धाम’’ क्यों नहीं बना सकते? मुझे विश्वास है कि सद्संकल्प हमेशा पूर्ण होते हैं।
उज्जैन के अंकपात क्षेत्र में ही “श्री महेश धाम” क्यों?
पवित्र शिप्रा के तट पर बसी उज्जयिनी भूतभावन महाकाल की उपस्थिति से कृतकृत्य है और शक्तिपीठ हरसिद्धि, गढ़कालिका, मङ्गलनाथ, सिद्धनाथ सहित 84 महादेव, नव नारायण, षड विनायक आदि अनन्त देवों की निवास स्थली होकर धन्य है। विक्रम की न्याय भूमि, भृर्तहरि की तपोभूमि और भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा भूमि के गौरव से विभूषित उज्जयिनी कालगणना की भी भूमि है। महर्षि वेदव्यास, कालिदास, बाणभट्ट से लेकर गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर तक अनगिनत महामानवों ने इसका यशगान किया है।
सनातन धर्म का महापर्व सिंहस्थ प्रति 12 वर्ष में एक बार इसे भक्ति के चरम पर लाता है। धरती पर स्वर्गखंड-सी इस नगरी के प्राचीन क्षेत्र में शिप्रा तट पर एक हिस्सा अंकपात नाम से विख्यात है। इसी क्षेत्र में गुरु सांदीपनि का प्राचीन गुरुकुल है, जहाँ आज से लगभग पाँच हज़ार बरस पूर्व स्वयं भगवान श्रीकृष्ण अपने अग्रज बलराम के साथ विद्या अध्ययन के लिए पधारे थे। कहते हैं, गुरुकुल स्थित सरोवर में भगवान अपनी अंकपट्टी के अंक धोते थे। अतः अंकों का पतन क्षेत्र होने से यह अंकपात नाम से प्रसिद्ध हुआ।