समाजसेवा ही जिनका जीवन- रामकुमार भूतड़ा
जालोर निवासी समाजसेवी अ.भा. माहेश्वरी सेवा सदन पुष्कर के तीसरी बार निर्वाचित अध्यक्ष रामकुमार भूतड़ा का सम्पूर्ण जीवन ही समाजसेवा को समर्पित रहा है। उन्होंने स्वयं का व्यवसाय किया या राजनीति लेकिन उनका लक्ष्य रहा तो मानवता की सेवा ही। उम्र के 73वें पड़ाव पर भी श्री भूतड़ा की यह मानवता की सेवा की यात्रा उसी तरह अनवरत जारी है जिस तरह उनकी युवावस्था में रहती थी।
देश के विभिन्न तीर्थस्थलों पर माहेश्वरी संस्कारों के अनुरुप घर जैसी आवासीय सुविधा उपलब्ध करवाने वाली शीर्ष सेवा संस्था अ.भा. माहेश्वरी सेवा सदन के अध्यक्ष के रूप में तीसरे सत्र में सेवा दे रहे जालौर निवासी समाजसेवी रामकुमार भूतड़ा के समाजसेवा के जज्बे को पूरा समाज अच्छी तरह जानता है। युवावस्था से प्रारम्भ उनकी यह सेवा यात्रा कई पड़ावों को तमाम व्यस्तताओं के बावजूद भी पार करते हुए अनवरत जारी है।
श्री भूतड़ा की तीन विशिष्ट पहचान हैं। वे व्यवसाय जगत में प्रतिष्ठित व्यवसायी, राजनीति में सफल राजनेता तथा समाजसेवा में सफल नेतृत्वकर्ता के रूप में पहचान रखते हैं। इन तीन विशेषताओं के कारण इनकी त्रिवेणी की तरह एक विशिष्ट पहचान है और वह है, एक समर्पित समाजसेवी की छवि। श्री भूतड़ा के मन में समाज व मानवता की सेवा इस तरह रचि बसी हुई है कि इन्होंने त्रिवेणी का अंतिम लक्ष्य ही समाजसेवा बना दिया।
आप भाजपा के राजस्थान प्रदेश कोषाध्यक्ष भी रहे हैं। व्यवसाय जगत में श्री भूतड़ा की पहचान एक सफल ग्रेनाइट स्टोन व्यवसायी के रूप में है। इसे भी उन्होंने शून्य से शुरुआत कर शिखर की ऊंचाई के रूप में प्राप्त किया। श्री भूतड़ा सेवा संस्था अ.भा. माहेश्वरी सेवा सदन के दो सत्रों तक पूर्व में सतत अध्यक्ष रहे एवं अपने इस कार्यकाल में उन्होंने संस्था का ऐसा चहुँमुखी विकास किया जो इतिहास बन गया। अ.भा. माहेश्वरी महासभा को भी महामंत्री के रूप में श्री भूतड़ा सफलतापूर्वक अपनी सेवा दे चुके हैं।
सिद्धांतों से समझौता नहीं
श्री भूतड़ा का जन्म सन् 1949 में राजस्थान के एक छोटे से गाँव डोडीयाना, जिला नागौर में स्व. श्री शिवदयाल भूतड़ा के यहाँ जन्माष्टमी पर्व पर एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उन्हें भी अपने गाँव से बेहद लगाव रहा। अपने गाँव की सुविधाविहीनता व पिछड़ापन उन्हें बहुत कष्ट देता था।
स्वयं की पढ़ाई भी उन्हें पारिक संस्कृत विद्यालय मेडता सिटी तथा कक्षा 9 से 10 तक की पढ़ाई सांईनाथ विद्या मंदिर बडायली से पूर्ण करनी पड़ी। इसके बाद कक्षा 12वीं की परीक्षा उन्होंने पत्राचार से पढ़ाई कर उत्तीर्ण की। उनका सपना था कि उनका गाँव सुविधाओं में सबसे आगे रहे। बस इस सपने ने ही उन्हें राजनीति में भी सक्रिय कर दिया। शुरूआत से रही जनसंघ की विचारधारा ने उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर प्रेरित कर दिया।
मात्र 18 वर्ष की आयु में शासकीय अध्यापक पद पर नौकरी लग गई, लेकिन उनके सिद्धांतों से नौकरी टकरा गई। विभाग के हाईकमान ने उन पर आरएसएस को छोड़ने के लिए दबाव बनाया। उन्हें आरएसएस से दूर हटना किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं था। बस सिद्धांतों के इस टकराव में उन्होंने सन् 1967 में नौकरी को ही तिलांजलि दे दी।
इसके पश्चात लंबे समय तक गांव में व्यापार करते हुए गांव की असुविधाओं को दूर करने के मिशन में लगे रहे और इसी में गांव में सरपंच बनकर ग्राम विकास का इतिहास रच दिया। 1995 से जालौर में ग्रेनाईड उद्योग की स्थापना की व व्यवसाय की नई यात्रा प्रारंभ की।
कर्त्तव्यों के प्रति रहे समर्पित
समाज संगठन के अंतर्गत श्री भूतड़ा वर्ष 1990-96 तक नागौर जिला माहेश्वरी सभा के अध्यक्ष रहे। प्रादेशिक सभा के विभिन्न पदों पर रहकर कार्य किया। वर्ष 2003 से 2012 तक अ.भा. माहेश्वरी सेवा सदन के दो सत्रों तक अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी का निर्वहन किया।
अ.भा. माहेश्वरी महासभा के लगातार कार्यकारी मंडल व कार्य समिति सदस्य रहकर महामंत्री पद की जिम्मेदारी का सफलता पूर्वक निर्वहन किया। वैश्य सम्मेलन के जिला अध्यक्ष व प्रदेश उपाध्यक्ष पदों पर कार्य किया। साथ ही साथ भाजपा के विभिन्न पदों पर (मंडल अध्यक्ष व जिला उपाध्यक्ष व अन्य) कार्य करते हुए प्रदेश कोषाध्यक्ष जैसी बड़ी जिम्मेदारी का निर्वहन भी कर चुके हैं, वर्तमान में आप प्रदेश कार्यसमिति सदस्य है।
आप आदित्य विक्रम बिड़ला मेमोरियल ट्रस्ट के सदस्य, कोटा होस्टल के ट्रस्टी, दीपक भूतड़ा स्मृति संस्थान के संस्थापक सदस्य, बोर्ड ऑफ गवर्नर एम.एन.आई.टी. जयपुर आदि कई पदों पर भी कार्यरत हैं। वर्तमान में 9 दिसम्बर 2021 को सम्पन्न अ.भा. माहेश्वरी सेवा सदन के चुनाव में सदस्यों के आग्रह पर पुन: अध्यक्ष पद के प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हुए। इतना ही नहीं शेष सभी 15 पदों पर भी उनकी पूरी टीम निर्विरोध निर्वाचित होकर श्री भूतड़ा के नेतृत्व में सेवा सदन के विकास में योगदान दे रही है।