Personality of the month

समाजसेवा में 73वाँ सोपान समर्पित करते सत्यनारायण लड्ढा

कहा गया है कि उस दान का कोई अर्थ नहीं जो परिवार को भूखे रखकर किया जाऐ। ठीक यही स्थिति समाजसेवा के क्षेत्र में भी है, जो अपने परिवार की सेवा नहीं कर सकेगा तो फिर समाज की क्या करेगा? लातुर निवासी वरिष्ठ समाजसेवी सत्यनारायण लड्ढा एक ऐसी ही विभूति हैं, जिन्होंने अपने परिवार को तो सहेजा ही, फिर जब जिम्मेदारी से मुक्त हुए तो मानवता की सेवा में भी पूरे सामर्थ्य से समर्पित हो गये।

लातूर शहर में मध्यमवर्गीय परिवार में श्री पन्नालाल लड्डा के यहाँ 26 नवम्बर 1947 को समाज के वरिष्ठ सत्यनारायण लड्ढा का जन्म हुआ। वर्ष 1964 में मैट्रिक पास की। पिताजी की आर्थिक हालत ठीक नहीं होने से पिताजी के अथक प्रयत्नों से उन्हें लातूर नगर परिषद में क्लर्क की नौकरी करनी पड़ गई।

उनके कंधों पर ही तीन छोटे भाई एवं तीन छोटी बहनों की जवाबदारी थी। नौकरी लगने के पूर्व भी उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा। उन्हें उनके पिताजी के घर व्यवसाय में साथ देना पड़ा।

अपनी मेहनत, कार्यशैली और मनमिलाव स्वभाव की वजह से नौकरी में दिन प्रतिदिन बढ़ोतरी होती गई, प्रमोशन मिलता गया। उसी दरमियान तीनों बहनों की शादी भी करवाई। भाइयों की पढ़ाई भी करवाई, उनको नौकरी पर भी लगवाया।


उच्च शिक्षा से उन्नति की राह

श्री लड्डा की शादी 1969 दिसंबर में कौशल्यादेवी के साथ हुई। नौकरी करते-करते ऊपर की सीढ़ियां चढ़ने के लिए उच्च शिक्षित होने की आवश्यकता थी। उन्होंने नौकरी करते-करते 1985 तक बी.ए. और एल.एल.बी. की परीक्षा उत्तीर्ण की।

नौकरी में और सम्मान मिलते गए, तरक्की मिलती गई। वे अकाउंट प्रॉपर्टी अधीक्षक से डेपूटी चीफ ऑफिसर पद पर पहुंचे। कड़ी मेहनत और काम करने की वजह से सभी शहर के उच्च पदस्थ व्यक्ति और नगर अध्यक्षों से उनके घनिष्ठ संबंध बन गये।

सत्यनारायण लड्ढा
श्री सत्यनारायण लड्ढा और कौशल्यादेवी

शिवराज पाटिल चाकुरकर जो भारत सरकार के गृहमंत्री रहे हैं, वह भी 1967 में लातूर के नगर अध्यक्ष रह चुके हैं। उस दरम्यान श्री लड्ढा को उनके साथ काम करने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ।

स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विद्यापीठ के कुलगुरु माननीय जनार्दन वाघमारे लातूर के नगर अध्यक्ष थे, उनके साथ भी काम किया।

नौकरी में नगर परिषद की तरक्की के लिए किए हुए उनके हर प्रयत्न की सराहना की।


सेवानिवृत्ति के बाद समाज को समर्पित

40 साल की सेवा के बाद वे 2005 में सेवानिवृत्त हो गए। फिर वर्ष 2008 तक लातूर अर्बन कोऑपरेटिव बैंक के एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर का पदभार संभाला। बाद में माहेश्वरी समाज के साथ ही अन्य समाज सेवी गतिविधियों में भी समर्पित हो गए।

जिला माहेश्वरी तथा लातूर माहेश्वरी संगठन के महत्वपूर्ण सलाहकार एवं सदस्य रहे हैं। हर किसी सार्वजनिक काम जैसे शैक्षणिक गतिविधि, सामूहिक विवाह, धार्मिक कार्यक्रम आदि में उनका हमेशा योगदान रहता है।

उन्होंने भागवत कथा का भी धूमधाम से आयोजन किया। प्रपौत्र होने के उपलक्ष्य में अपने पिताजी की सोने की सीढ़ी और तुलादान भी करवाए। उन्होंने 4 गरीब लड़कियों का कन्यादान भी किया।

कई लोगों को आर्थिक मदद करके परेशानी से जूझने से भी बचाया है। अपनी रिटायरमेंट लाइफ में श्री संत मुरारी बापू, श्री किशोरजी व्यास, श्री रमेशभाई ओझा, श्री किरीटभाई जैसे अनेक संत महात्माओं के साथ बासर, ऋषिकेश, हरिद्वार, कुरुक्षेत्र, पुष्कर, चंगेरी, गुरु रवायू, चंपारण्य, अयोध्या, नैमिषारण्य इत्यादि अनेक जगह कथा सुनने का सौभाग्य प्राप्त किया।


परिवार उन्नति के पक्ष पर अग्रसर

धर्मपत्नी कौशल्यादेवी लातूर इंदिरा महिला सहकारी बैंक की डायरेक्टर है। शुरू से ही उन्होंने शादी ब्याह में लगने वाले सामान की दुकान, घरेलू कपड़ों का व्यापार करके कड़ी मेहनत के साथ घर की आय बढ़ाई और लड़के -लड़कियों की पढ़ाई और शादी का खर्च संभालने की जवाबदारी निभाई।

आज समाज में कोई भी धार्मिक कार्य होता है तो सबसे पहले सत्यनारायणजी लड्डा को याद किया जाता है। काफी धार्मिक अनुष्ठान भी उनके हाथ से हुए हैं।

उनकी एक बेटी डॉक्टर, और दूसरी बीएससी एलएलबी है। दो लड़के और दोनों बहूरानियां डॉक्टर है । दोनों बहुएं मिलनसार और समाजसेवी स्वभाव की हैं। अपनी सास-ससुर की सेहत अच्छी रखने में उनका काफी योगदान है।



Via
Sri Maheshwari Times

Related Articles

Back to top button