वरिष्ठायु के ऊर्जावान ‘युवा’ सत्येंद्र धूत
मात्र आयु से कोई अशक्त नहीं होता बल्कि अपनी ऊर्जा की कमी से होता है। यह सिद्ध कर दिखा रहे हैं, जिला सीकर(राजस्थान) के मूल निवासी तथा वर्तमान में मुंबई को कर्मभूमि बना चुके सत्येंद्र धूत। श्री सत्येंद्र धूत उम्र के लगभग 7 दशक पार कर चुके हैं, लेकिन उनकी ऊर्जा ऐसी है कि अपनी क्रिकेट टीम के साथ आज भी क्रिकेट खेलने से वे नहीं चूकते।
धूत परिवार एक अत्यंत वृहद परिवार है। पूर्व उपराष्ट्रपति स्व श्री भैरोसिंह शेखावत के गाँव ग्राम खाचरियावास जिला सीकर (राजस्थान) में स्व श्री बाबूलाल धूत के यहाँ समाज के वरिष्ठ लेकिन ऊर्जा से प्रेरक बने रहने वाले सत्येंद्र धूत का जन्म हुआ था।
यह गाँव खाटू श्याम से 23 कि.मी. दूर है। श्री धूत का परिवार 275 साल पहले दांता रामगढ़ से यहाँ खाचरियावास आकर बस गया था। इस गाँव में एक बड़ा किला है जहाँ राजा का परिवार रहता था।
वहां उनके परिवार वालों ने मुनीम की नौकरी की और गाँव में कामदार कहलाए। आज भी वे गाँव में कामदार ही कहलाते हैं। सालों तक यह सिलसिला चलता रहा। जब देश आज़ाद हुआ तो राजाओं के राज्य चले गए और केवल किला रह गया।
कई लोगों ने गाँव छोड़ कर अपने धंधे व नौकरी की तलाश में बाहर जाना पड़ा। अलग-अलग शहरों में जाकर नया व्यापार किया नौकरियां की।
भारत के प्रायः सभी मुख्य शहरों में धूत परिवार के लोग मिलेंगे जैसे मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, इंदौर इत्यादि। सभी के अच्छे कारोबार हैं।
नौकरी से उद्योग की यात्रा:
आपके पिताजी श्री बाबुलालजी भी वर्ष 1948 में मुंबई आए थे और वहीँ बस गए। यहाँ उन्होंने श्रीनिवास कॉटन मिल्स में सर्विस से शुरुआत की। सुपरवाइज़र की हैसियत से नौकरी करने के बाद उन्होंने कॉपर वाइंडिंग वायर का स्वयं का कारोबार शुरू किया तथा 1980 में स्वर्ग सिधार गए।
गाँव में श्री धूत दादा-दादी के साथ अकेले ही रहते थे और वहां चार क्लास तक पढाई की। फिर हिंदी हाईस्कूल में घाटकोपर में मेट्रिक तक पढ़े। बाद में चेतना कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स बांद्रा में इंटर कॉमर्स तक पढाई की और एक साल का प्लंबिंग इंजीनियर का टेक्निकल कोर्स किया।
पढाई के साथ ही 1970 से नौकरी भी करने लगे और 1982 में प्लंबिंग सैनिटेशन कांट्रेक्टिंग का व्यवसाय प्रारम्भ किया जो वर्ष 2016 तक चलता रहा। इसके बाद वर्ष 2016-17 में धूत दंपत्ति पूना छोटे-बड़े के पास आ गए।
उनकी शादी 21 अप्रैल 1975 में गाँव में हुई थी। बड़े बेटे मुंबई में आर्किटेक्ट हैं और छोटा पूना में गेरा बिल्डर्स के यहाँ पर सीईओ है।
प्रारंभ से रहे ऊर्जा से भरपूर:
श्री धूत स्वयं बताते हैं कि मैं 1962 से ही आरएसएस से जुड़ गया था। वहीँ से खेलकूद में रूचि पैदा हुई जो कि आज तक चल रही है। मैं एयरफोर्स में जाना चाहता था, देश की सेवा के लिए। एग्जाम भी दिया, फर्स्ट क्लास में पास भी हुआ लेकिन एक छोटी सी टेक्निकल खराबी बताकर भर्ती नहीं किया।
उन्होंने कहा कि आपके तलवे सपाट हैं। उनमे कर्व नहीं है। इसलिए रिजेक्ट कर दिया। श्री धूत बचपन से ही विभिन्न खेलों में भाग लेते रहे। प्रारम्भ में मिल की नौकरी से ऑल महाराष्ट्र मिल्स एसोसिएशन एथलीट मीट में भाग लेकर वर्ष 1970 व 72 में दो प्रतियोगिताओं में क्रमशः प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त किया था।
1974 में मुंबई सांताकुंज में एयर इंडिया स्पोर्ट्स मीट में श्री धूत को फर्स्ट प्राइज मिला था जो की एक रिकॉर्ड है। वर्ष 1975 में आल इंडिया स्पोर्ट्स फ्री मीट में भाग लेने का अवसर मिला लेकिन उसी दिन 21 अप्रैल 1975 को विवाह होने से भाग नहीं ले सके।
मुंबई में निवास करते हुए मैराथन तथा एथलेटिक्स में भाग लेते रहे। वर्ष 1996 में आपको माहेश्वरी प्रगति मंडल मुंबई द्वारा अपनी गोल्डन जुबली के अवसर पर बेस्ट स्पोर्ट्समैन ऑफ़ दी गोल्डन जुबली ईयर से सम्मानित किया गया।
श्री धूत वर्तमान में भी मुंबई में क्रिकेट क्लब से जुड़कर स्पर्धाओं में भाग लेते रहते हैं। इसके लिए बकायदा उनकी एक क्रिकेट टीम भी बनी हुई है।
आपको स्टेज पर म्यूजिकल प्रोग्राम का भी काफी शौक है। आपका फेसबुक और यूट्यूब पर भी लाइव गानों का प्रोग्राम चलता रहता है।