Personality of the month

निः स्वार्थ वरिष्ठ समाज सेवी- वीरेंद्र कुमार भुरारिया

समाजसेवा वास्तव में समाज व मानवता के लिये कुछ करने की वह भावना होती है, जिसमें पद की कामना तक सामान्यत: नहीं होती। ऐसे ही वरिष्ठ समाजसेवी हैं, वाराणसी निवासी 78 वर्षीय वीरेंद्र कुमार भुरारिया, जो पद पर रहे अथवा नहीं लेकिन उनकी सेवा भावना कमजोर नहीं हुई।

पूर्वी उत्तरप्रदेश माहेश्वरी सभा के इतिहास में यदि एक व्यक्ति के योगदान की चर्चा न की जाए तो प्रदेश सभा की स्थापना और प्रगति का शिलालेख अपूर्ण रह जाएगा। ये वरिष्ठ समाजसेवी हैं, वाराणसी निवासी वीरेंद्र कुमार भुरारिया। प्रदेश का यह ‘कार्यकर्ता’ केवल एक बार प्रदेश सभा के पद पर आया महामंत्री (प्रदेशमंत्री) के रूप में परंतु प्रदेश सभा की स्थापना की पूर्व पीठिका में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए वे आज तक स्थायी रूप से समान सक्रियता के साथ प्रदेश संगठन के लिए समर्पित हैं। प्रत्येक सत्र के पदाधिकारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर वे संलग्न रहते हैं। किसी भी सत्र के पदाधिकारी यह शिकायत नहीं कर सकते कि उन्हें इनका कम सहयोग मिला। यदि पदाधिकारी शिथिल हो जाएं तो ये उनको प्रेरित करते हैं और पूरे उत्साह के साथ उन्हें साथ लेकर आगे बढ़ते हैं। साथी बनाना, फिर उनको साथ लेकर काम करना उनके कार्य करने की शैली है। प्रारम्भिक काल में उन्होंने कई युवाओं को अपने साथ जोड़कर समाज का कार्य करने के लिए एक सेवा-भावी टीम बना ली। इस टीम के सभी लोग उनके नेतृत्व में काम करते रहें और आज भी कर रहे हैं। साथियों को लेकर टीम भावना से काम करने से समाज में उनका महत्व स्थापित हुआ।



संघर्षों से जीवन की शुरूआत

श्री भुरारिया का जन्म 27 अगस्त 1943 को कानपुर में स्व. श्री रामेश्वर दयाल भुरारिया के यहाँ हुआ था। विद्यालय के दसवें पायदान पर पहुँचे ही थे कि पिताजी का निधन हो गया। बाद में श्री भुरारिया व्यावसायिक कारणों से कानपुर से वाराणसी आ गए और यहीं के हो गए। अपनी किशोरावस्था से लेकर युवावस्था तक उन्होंने बहुत संघर्ष किया। इस संघर्षमय जीवन को उन्होंने रो-कर नहीं बल्कि हँसते हुए हिम्मत के साथ जिया। अपने लिए खुद खाना पकाते तो दोस्तों को भी बनाकर खिलाते थे। अपने पुरूषार्थ और कुशाग्र व्यावसायिक दृष्टि से उन्होंने पूर्वांचल के चीनी व्यवसाय जगत में शिखर श्रेणी के लोगों में अपना स्थान बना लिया। वाराणसी आने के बाद से ही वे समाज के स्थानीय संगठन से जुड़ गए और आज इस उम्र में भी पूरी तरह संगठन के प्रति समर्पित भाव से सक्रिय हैं। स्थानीय संगठनों में पद पर रहने की दृष्टि से वे ‘माहेश्वरी परिषद’ वाराणसी के एक बार मंत्री बने थे, परंतु वाराणसी माहेश्वरी समाज के सभी संगठनों के संचालन में उनका महत्वपूर्ण योगदान जारी है। वाराणसी माहेश्वरी समाज के संगठनो का दस्तावेज भी श्री भुरारिया द्वारा किए गए कार्यो का उल्लेख किए बगैर पूरा नहीं हो सकता। वाराणसी का माहेश्वरी भवन वीरे भैया के उत्साह, लगन, परिश्रम तथा समाज प्रेम का एक जीवन्त उदाहरण है। श्री भुरारिया अ.भा. माहेश्वरी महासभा के 27वें तथा 28वें दोनों सत्र के कार्यसमिति सदस्य रहे हैं। वर्तमान 29वें सत्र में आपको श्री कोठारी बंधु शौर्य स्मृति ट्रस्ट अध्यक्ष मनोनित किया गया है।

संगठन की अद्भुत क्षमता

संगठन की उनमें अद्भुत क्षमता है। संगठन में कैसी भी परिस्थिति पैदा हो जाए उसको हल करने की तकनीक उनके पास है और वे उसका समाधान करके ही दम लेते हैं। यही कारण है कि उन्हें संगठन का संकटमोचक भी माना जाता है। संगठन संचालन में उनकी दूरदर्शी सोच बहुत उपयोगी सिद्ध होती है, जो समय की कसौटी पर खरी उतरती है। संगठन-चिंतन उनकी दैनिक चर्या का अंग है। उनकी सांसों में संगठन बसता है। संगठन में वे सदैव दूसरे के लिए काम करते रहे हैं। प्रदेश सभा की प्रगति का सौपान इस बात का साक्षी है। अपने वरिष्ठ लोगों की आकांक्षा पूरी करने, उनका मान-सम्मान बढ़ाने के लिए वे सदैव प्रगतिशील रहे। स्वयं पद लेने के स्थान पर उन्होंने अपने साथी कार्यकर्ताओं को विभिन्न पदों पर प्रतिष्ठित कराया। अब वे अपने बाद वाली पीढ़ी को आगे बढ़ाने के लिये योगदान कर रहे हैं।


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