बसंत पंचमी की महिमा
विद्या और ज्ञान के साथ प्रेम और आनंद का त्यौहार है बसंत पंचमी
बसंत पंचमी पर्व भारतीय जनजीवन को अनेक तरह से प्रभावित करता है। शरद ऋतु के बाद बसंत ऋतु और फसल की शुरूआत होने के साथ ही बसंत पचंमी का त्यौहार मनाया जाता है। माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि से ऋतुराज बसंत का आगमन होता है।
इस वर्ष बसंत पचंमी पर्व का पावन त्यौहार 30 जनवरी 2020 को मनाया जाएगा। बसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा माना जाता है। इस ऋतु में न तो चिलचिलाती धूप होती है, न सर्दी और न ही वर्षा, बसंत में पेड़-पौधों पर ताजे फल और फूल आते हैं।
इस दिन मनुष्य तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। बसंत पंचमी को सरस्वती का आविर्भाव दिवस माना जाता है। इसे ज्ञान की देवी के प्राकट्य का दिन कहा जाता है।
सरस्वती के प्राकट्य के पीछे जो यह कथा प्रचलित है की जब प्रजापिता ब्रह्मा ने भगवान विष्णु की आज्ञा से सृष्टि की रचना की तो वे एक बार उसे देखने निकले, तो सर्वत्र सन्नाटा व उदासीभरा वातावरण देखकर उन्हें लगा जैसे किसी के पास वाणी ही न हो।
उस उदासी को दूर करने के प्रयोजन से उन्होंने कमंडल से चारों तरफ जल छिडक़ा। जलकण वृक्षों पर पड़े। वृक्षों से एक देवी प्रकट हुई जिनके चार हाथ थे। दो हाथों से वीणा साधे हुए थी।
शेष दो हाथों में से एक हाथ में पुस्तक और दूसरे में माला थी। संसार की मूकता को दूर करने के लिए ब्रह्माजी ने देवी से वीणा बजाने को कहा। जैसे वीणा बजी ब्रह्मा जी की बनाई हर चीज में स्वर आ गया। वीणा के मधुर नाद से सभी जीवों को वाणी (वाक्शक्ति) मिल गई।
सप्तविध स्वरों का ज्ञान प्रदान करने के कारण ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती नाम दिया प्राचीन पुराणों में ब्रह्मवैवर्त पुराण के प्रकृति खंड मे सरस्वती के स्वरूप के बारे में वर्णन मिलता है।
इनके अनुसार दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, सावित्री और राधा ये पांच देवियां प्रकृति कहलाती हैं। ये श्रीकृष्ण के विभिन्न अंगों से प्रकट हुई थीं श्रीकृष्ण के कंठ से प्रकट होने वाली वाणी, बुद्धि, विद्या और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी को सरस्वती कहा गया है, ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार श्री कृष्ण जब बांसुरी वादन कर रहे थे तो मां सरस्वती उनकी बांसुरी पर आकर विराजमान हो गई थी तो श्रीकृष्ण ने खुश होकर वरदान दिया था कि बसंत पंचमी के दिन सर्वत्र तुम्हारी आराधना की जाएगी सदाचरण परायण तथा भगवान श्री हरि की प्रिया मां सरस्वती के जन्मोत्सव व पूजन का महत्ती पर्व बसंत पंचमी पौराणिक महत्व भी रखता है माना जाता है इस दिन भगवान श्रीराम शबरी के आश्रम में पधारे थे तो वही वाल्मीकि को सरस्वती मंत्र, कालिदास द्वारा भगवती उपासना आदि इस दिन के महत्त्व को दर्शाते हैं।
विविध ग्रंथों में बताया गया है कि बसंत पंचमी के दिन शिवजी ने मां पार्वती को धन और सम्पन्नता की देवी होने का वरदान दिया था। इसलिए मां पार्वती का नील सरस्वती नाम पड़ा।कवि, लेखक, गायक, वादक, साहित्यकार अपने कार्य इस दिन से आरम्भ करते हैं तो वही सैनिक अपने उपकरणों को पूजते हैं।
सर्ग सृष्टि का इस दिन से आरम्भ होने के कारण यह संवत्सर का सिर और कल्प पर्व का पर्याय है। यह सारस्वतीय शक्तियों को पुनर्जागृत का दिन है।बसंत पंचमी के दिन छह माह तक के बच्चों को पहली बार अन्न खिलाने की परंपरा भी निभाई जाती है।
इसे अन्न प्राशन संस्कार यानी बच्चे को पहली बार अन्न खिलाना कहते हैं।इस दिन दूध पीते बच्चे को नए कपड़े पहनाकर, चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर और उस पर बच्चे को बैठाकर मां सरस्वती की आराधना करके चांदी के चम्मच से खीर खिलाई जाती है
इस पावन दिन पर बच्चे की जीभ पर ऐं मंत्र लिखने की प्रथा है मान्यता है कि बसंत पंचमी पर छोटे बच्चों को अक्षर अभ्यास करवाने से वह कुशाग्र बुद्धि का होता है।बसंत पंचमी में ज्ञान और शिक्षा की देवी मां सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना करने के बाद कामदेव एवं रति की पूजा भी करने चाहिए।
शास्त्रों में कामदेव को प्रेम का देवता एवं ऋतुराज बसंत का मित्र कहा गया है । मां सरस्वती जहां विद्या, कला और बुद्धि प्रदान करती हैं तो कामदेव-रति जीवन में प्रेम और श्रृंगार का संचार करते है कामदेव वास्तव में सौंदर्य और कल्याण के देवता हैं।
प्रेम और सौंदर्य की प्राप्ति के लिए इनकी आराधना खासतौर से की जाती है।कामदेव वह देवता हैं, जिन्होंने भगवान शिव को भी समाधि से विचलित कर दिया था।
कहां जाता है की एक बार भगवान शिव तपस्या कर रहे थे कामदेव ने ने पांचों बाण जब शिवजी पर चलाए तो शिवजी की तपस्या भंग हो गई और क्रोध में आकर शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया पर बिना प्रेम और आनंद की सृष्टि नहीं चलती इसलिए शिव ने कहा कि तुम्हारा अस्तित्व तो रहेगा लेकिन तुम बिना शरीर के रहोगे इसीलिए कामदेव का एक नाम अनंग यानी बिना अंग वाला भी है इस तरह भगवान शिव ने ही क्रोध में आकर कामदेव को अनंग बना दिया था। इसी कारण कामदेव दिखते नहीं हैं, लेकिन महसूस सभी को होते हैं। बसंत पंचमी पर कामदेव और उनकी पत्नी रति की पूजा होती है।
बसंत पंचमी के दिन कोई भी नया काम प्रारम्भ करना भी शुभ माना जाता है। जिन व्यक्तियों को गृह प्रवेश के लिए कोई मुहूर्त ना मिल रहा हो वह इस दिन गृह प्रवेश कर सकते हैं या फिर कोई व्यक्ति अपने नए व्यवसाय को आरम्भ करने के लिए शुभ मुहूर्त को तलाश रहा हो तो वह बसंत पंचमी के दिन अपना नया व्यवसाय आरम्भ कर सकता है।
इसी प्रकार अन्य कोई भी कार्य जैसे यज्ञारम्भ, विविध आयोजन, फैक्ट्री निर्माण, अध्ययन, संगीत, कला, विवाह, गृह प्रवेश, पदभार, भवन आदि कार्य इस अबूझ मुहूर्त पर संपन्न किए जा सकते हैं।
मां सरस्वती की हर एक वस्तु हमें देती है जीवन जीने की प्रेरणा:
प्रकृति के निकट- अगर आप मां सरस्वती की तस्वीरें देखेंगे तो अधिकतर आपको नदी या सरोवर के किनारे, प्रकृति के बीच ही मिलेंगी। सरस्वती का जन्म भी भूमि पर प्रकृति की गोद में ही हुआ था। ज्ञान पाने के लिए आपको प्रकृति से बेहतर कोई वातावरण नहीं मिलेगा। अगर दिमाग को शांत रखकर, मनन-चिंतन करना है तो आप प्रकृति के निकट जाइए।
सफेद वस्त्र- सरस्वती के वस्त्र सफेद हैं। सफेद रंग निर्मलता और स्वच्छता का प्रतीक है। सच्चे ज्ञान में कोई विकार नहीं होता।अगर आपके पास ज्ञान है तो आपका व्यक्तित्व सादगी में भी उतना ही चमकेगा। उसे किसी भी तरह की बनावटी चीजों की आवश्यकता नहीं होगी।
हंस पर विराजित-सरस्वती का वाहन हंस है। वास्तव में हंस विवेक बुद्धि का प्रतीक है। कहते हैं दूध और पानी को मिला दो तो हंस उसे अलग करता है।ज्ञान हमेशा बुद्धि पर विराजित होता है। बिना बुद्धि ज्ञान नहीं रहता। हंस पर बैठी सरस्वती समझा रही हैं कि कोरा ज्ञान भी व्यर्थ है अगर आपके पास उसको उपयोग करने की बुद्धि नहीं है।
हाथ में पुस्तक- सरस्वती के हाथ में पुस्तक है। किताबें खरीदने या घर में रख लेने भर से ज्ञान नहीं आता,ज्ञान अध्ययन से आता है निरंतर नियम बनाइए, खासकर आज के युवाओं और बच्चों को ये आदत होनी चाहिए कि दिनभर में कुछ समय स्वाध्याय के लिए तय करें। कम से कम आधा घंटा तो रोज विषय से अलग ज्ञान की पुस्तकें पढ़ना चाहिए।
हाथ में वीणा- ज्ञान के लिए संगीत भी अनिवार्य है। संगीत आपको वाणी में शुद्धता देता है। सरस्वती संगीत की देवी भी हैं। शास्त्रीय संगीत मेडिटेशन का एक अंग भी है। अगर ध्यान नहीं लगता। चुप होकर आंखें मूंदें बैठने में समस्या है तो शास्त्रीय संगीत का सहारा लें। ज्ञान और वाणी का संगम हो जाए तो इंसान किसी को भी बातों-बातों में जीत सकता है।
एक हाथ में माला- सरस्वती के हाथ में माला प्रतीक है निरंतर अभ्यास की। अगर आप निरंतर अभ्यास नहीं करते हैं तो कितना भी पढ़ लें, आपको वो ज्ञान हासिल नहीं हो पाएगा ज्ञान साधना बिना जाप के नहीं होती अतः जो भी पढ़ें उसे मन में निरंतर दोहराते रहें, जिससे आपका ज्ञान स्थिर होता जाए।
मां सरस्वती और कामदेव की पूजा से पाएं जीवन में प्रेम और ज्ञान का संतुलन:
- बसंत पंचमी में प्रात: उठ कर बेसन युक्त तेल का शरीर पर उबटन करके स्नान करना चाहिए। पीले रंग को बसंत का प्रतीक माना जाता है इस दिन काले या लाल वस्त्र ना पहने स्वच्छ पीतांबर या पीले या सफेद वस्त्र धारण कर मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें अग्रभाग में भगवान श्री गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। पृष्ठभाग में बसंत, जौ व गेहूं की बाली के पुंज को जल से भरे कलश की स्थापना करें।
- सबसे पहले गणेश जी का पूजन करें।सामान्य हवन करने के बाद केशर या हल्दी मिश्रित हलवे की आहुतियां दें।
- इस दिन विष्णु-पूजन का भी करना चाहिए।
- कलश की स्थापना करके गणेश, सूर्य, विष्णु तथा महादेव की पूजा करने के बाद वीणावादिनी मां सरस्वती का पूजन करना चाहिए मां सरस्वती को सफेद चंदन, पीले और सफेद फूल अर्पित करें उनका ध्यान कर ऊं ऐं सरस्वत्यै नम: मंत्र का 108 बार जाप करें मां सरस्वती की आरती करें और दूध, दही, तुलसी, शहद मिलाकर पंचामृत का प्रसाद बनाकर मां को भोग लगाए पीले फल, मालपुए और खीर का भोग लगाने से माता सरस्वती शीघ्र प्रसन्न होती हैं केसर युक्त मीठे चावल से पूजा करें इस दिन मां सरस्वती को बेसन के लड्डू अथवा बेसन की बर्फी, बूंदी के लड्डू अथवा बूंदी का प्रशाद चढ़ाएं।
मां सरस्वती की आराधना करने के बाद प्रेम और श्रृंगार के देवी देवता रति और कामदेव की उपासना करनी चाहिए बसंत पंचमी के दिन कामदेव को प्रसन्न करने के लिए इस सिद्ध कामदेव मंत्र का 108 बार जप करने से जीवन में बहुत प्रेम संबंधों में सफलता के साथ साथ अधिक प्रेम करने वाले जीवन साथी की प्राप्ति होती है, जो कोई भी कामदेव का पूजन करते हैं उनको सुंदर एवं आकर्षिक शरीर प्राप्ति का वरदान मिलता है ।बसंत पचंमी के दिन सूर्योदय होने के बाद कम से कम 108 बार नीचे दिये कामदेव मंत्र का जप पीले रंग के आसन पर बैठकर करें। संभव हो तो इस दिन पीले रंग के धुनष को अपने घर में जरूर लेकर आयें एवं बैठक वाले मुख्य कमरे में हमेशा लगाये रखे, इससे परिवार के सदस्यों में सदैव प्रेम बना रहेगा ।
कामदेव मंत्र का उच्चारण 108 बार करें:
।। ऊं नमो भगवते कामदेवाय, यस्य यस्य दृश्यो भवामि, यश्च यश्च मम मुखम पछ्यति तत मोहयतु स्वाहा ।।
जीवन में प्रेम संबंधी सभी समस्याओं को दूर करने के लिए व शीघ्र विवाह का वरदान पाने के लिए कामदेव के अनंगमंत्र का जप करें ॐ कामदेवाय विद्महे रति प्रियाए धीमहि तनो आनंद प्रचोदयात् ” और भगवान कामदेव को सुगंधित पुष्प अर्पित करें।
- इस दिन माता-पिता अपने बच्चे को गोद में लेकर चांदी या अनार की कलम से शहद से बच्चे की जीभ पर ऐं लिखें मां सरस्वती का पूजन करें। काले रंग की पट्टी व चाक (खडिय़ा) का भी पूजन करें। इस दिन सरस्वती स्वरूपा कलम व पुस्तक का पूजन करना चाहिए।जो लोग उच्च शिक्षा में सफल होना चाहते हैं, उन्हें सरस्वती पूजा वाले दिन किसी ब्राह्मण को वेदशास्त्र का दान करना चाहिए जितना हो सके मां सरस्वती का ध्यान करें मां सरस्वती के बारह नाम पढे इस दिन मां सरस्वती के चित्र की स्थापना अपने पढ़ने के स्थान पर कीजिए।
- श्रेष्ठ सफलता प्राप्ति के लिए देवी सरस्वती पर हल्दी चढ़ाकर उस हल्दी से अपनी पुस्तक पर “ऐं” लिखें बसंत पंचमी के दिन कटु वाणी से मुक्ति हेतु, वाणी में मधुरता लाने के लिए देवी सरस्वती पर चढ़ी शहद को नित्य प्रात: सबसे पहले थोड़ा से अवश्य चखें।
- बसंत पंचमी के दिन पीले रंग की पतंग उड़ाना ,गहनें, कपड़ें, वाहन आदि की खरीदारी करना आदि भी अति शुभ मानी जाती है। अगर किसी को बोलने की यह सुनने की समस्या हो तो सोने या पीतल के चौकोर टुकड़े पर मां सरस्वती के बीज मंत्र को”ऐं” लिखकर धारण कर सकते हैं। इन उपायों से संगीत या कला के क्षेत्र में भी सफलता मिलती है बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को कलम अवश्य अर्पित करें और वर्ष भर उसी कलम का प्रयोग करें
- सरस्वती के मूल मंत्र ”श्री ह्वी सरस्वत्यै स्वाहा” से देवी का पूजन व स्मरण करना चाहिए। जो लोग उच्च शिक्षा में सफल होना चाहते हैं, उन्हें सरस्वती पूजा वाले दिन किसी ब्राह्मण को वेदशास्त्र का दान करना चाहिए।
ज्योतिष की बात करें तो अगर आपकी कुंडली में विद्या और बुद्धि का योग नहीं है या शिक्षा में बाधाएं आ रही हैं तो इस दिन मां सरस्वती की विशेष पूजा और प्रार्थना करके आप उसको भी अपनी कुंडली में ठीक कर सकते हम जानेंगे कि बसंत पंचमी पर ज्ञान, विद्या, बुद्धि ,वाणी के लिए किन ग्रहों को ठीक करके कैसे उपासना की जानी चाहिए।
- ज्योतिष शास्त्र में बुद्ध को बुद्धि का वाणी का ग्रह माना जाता है अगर कुंडली में बुध कमजोर होगा तो आपकी बुद्धि कमजोर हो जाएगी आपको बोलने में दिक्कत आना ,हकलाहट ,कमजोर स्मरण शक्ति का सामना करना पड़ेगा ऐसी दशा में बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को हरे फल अर्पित करने व सरस्वती स्वरूपा कलम व पुस्तक का पूजन करने से बुध की स्थिति अनुकूल होती है जिससे बुद्धि बढ़ती है और स्मरण शक्ति भी अच्छी होती है।
- अगर कुंडली में बृहस्पति कमजोर होता है तो हो सकता है आप बुद्धिमान तो हो लेकिन आप पढ़े-लिखे ना हो आपको विद्या की प्राप्ति ना हो बुद्धि तो बहुत है लेकिन विद्या नहीं ऐसा योग कुंडली में हो तो विद्या प्राप्ति के लिए बृहस्पति को प्रबल करना हेतु मां सरस्वती को केसर और पीला चंदन का तिलक करें और खुद भी लगाएं। पीले वस्त्र धारण करके पीले फूलों व पीले फलों से मां सरस्वती की आराधना की जाए तो इसके अद्भुत परिणाम प्राप्त होते हैं ज्योतिषशास्त्र में इसे गुरु से संबंधित वस्तु कहा गया है जिससे ज्ञान और धन दोनों के मामले में अनुकूलता की प्राप्ति होती है।
- अगर कुंडली में शुक्र कमजोर हो तो आपका मन बहुत चंचल होगा शुक्र हमारे शरीर में हार्मोन को नियंत्रित करता है जब हार्मोन असंतुलन होता हैं तो शुक्र खराब हो जाता है और सही करियर का चुनाव भी नहीं हो पाता अगर कुंडली में शुक्र कमजोर है मन चंचल है सही निर्णय नहीं लिया जा रहा है सही संगति नहीं मिल पा रही हो व जिन लोगों को एकाग्रता की समस्या हो वो इस दिन से से नित्य प्रातः सरस्वती वंदना का पाठ करें व मां सरस्वती की उपासना सफेद फूलों से कर लो बेहद लाभकारी होता है शुक्र की शुभता प्राप्त होती है।
- इस दिन पुखराज और मोती रत्न धारण करना बहुत लाभकारी होता है आज के दिन स्फटिक की माला को अभिमंत्रित करके धारण करना भी श्रेष्ठ परिणाम देता है।
- इस तरह बसंत पंचमी का पावन पर्व ज्ञान, बुद्धि, विद्या, प्रेम और आनंद सम्मिश्रण है वेदांग में शिक्षा का भी स्थान है और उस शिक्षा पर माता सरस्वती का पूर्ण अधिकार है। शिक्षा के विना व्यक्ति पशु के समान कहा गया है देवी सरस्वती की आराधना से मुर्ख भी विद्वान बन जाता है। इस प्रकार इतनी विशेष और दुर्लभ तिथि का लाभ उठाकर सरस्वती की आराधना और पूजा अपने और अपने परिवार व बच्चों के लिए जरूर कीजिए।
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Ati sundar….