मानसिक चिंता रो जीवन पर असर
हुक्म आज आपाणो समाज किन और जा रियो है सुशांत सिंह राजपूत एक उदाहरण नहीं है, एड़ा किता ही लोग रोज आत्महत्या कर रिया है। सही कहूँ हुक्म आपा लोग अपणे आस पास रे व्यक्ति सूं उण प्रकार सूं जुड़ नहीं पा रिया हां कि उने दर्द ने महसूस कर सकां, उने दर्द ने बांट सकां। ऐड़ो अनुमान है कि महज 8 लाख लोग प्रतिवर्ष आत्महत्या कर लेवे हैं जिनमें सूं कुछेक रे बारे में ही आपाने पतो चाले।
इणसूं पतो चाले कि जीवन जीवण वास्ते जो मापदंड तय कर राखियों है इसमें जरूर कुछ गलत हो रियो है। आपाणे जीवन में कुछ मापदंड ज्यूँ कि परीक्षा आदि में सफलता, परिवार, रिलेशनशिप, धन और नौकरी आदि। अगर इणमें कोई सफल नहीं हुवे तो समाज रो यह प्रारूप उने स्वीकार करने में जो असमर्थता दिखावे….कहीं ना कहीं यों आत्महत्या ऊनी रो एक परिणाम है।
आज एक प्रसिद्ध अभिनेता ने ऐड़ो कदम उठायो है तो आपा नोटिस कियो पर और भी कंई एड़ी घटनाएं जो आपाणे सामने आवे ही नहीं। आज आवश्यकता है कि जीवन री इण परिभाषा ने बदला इण मापदंड ने बदला। आवण वाली पीढ़ी ने नए विचारों सूं भरा,नया संस्कार देवा।
आजकल सभी एकल परिवार ने रेवे… छोटी सी बात भी दिमाग मे लेने सोचता रेवे और मन बहुत ही चंचल व सवेंदनशील…. कदेई प्रसन्न तो कदेई उदास.. कुछ कह नही सका….जीवन रे किन्ही भी क्षेत्र में उतार चढ़ाव तो समझ आवें पर मन री लौ कम हूँ जावे तो फिर हफ़्तों…महीनों… सालों भी संभल नहीं पावे कि उन्हें पूर्ण रूप सूं अपने आपने जगमगा सके।
मन ने कोई तब तक नहीं हरा सकें जब तक वह स्वयं न हार मान ले पर… कई बार व्यक्ति ने खुद पता नहीं हुवे की मन दुःखी क्यों है? मन जितो सवेंदनशील हुवे उतो ही दूर री तरंगों ने महसूस कर सके अपने परिजनों री पीड़ा, बिछोह, आवण वाली किन्ही परेशानी रो पूर्वाभास, अपनों रो कटाक्ष जैड़ा कई कारण हूँ सके है।
जिण तरह पाणी में उठण वाळी छोटी सी तरंग पूरे पानी रे स्तर में फैल जावे उन्ही प्रकार मन रे चारों तरफ हुवण वाळी हलचल भी मन ने प्रभावित करें । अब या बात मन री इम्युनिटी पर है वह उन्हें कितनो ग्रहण कर सकें। यदि मन कमजोर है तो जिंदगी रे कठिन झंझावतों सूं जूझ पाणो आसान नही… उदासी, अवसाद, इम्युनिटी रो घटनो, परेशानियां…ज्यों बच्चे ने थोड़ी सी चोट सहन नही हुवे वह रोवण लाग जावे.. दुखी हूँ जावे…
उन्ही तरह बच्चे री मनःस्थिति रे समान उम्र में बड़ों हूं जावण रे बावजूद मन छोटा ही रह जावे विकास नहीं कर पावे और जीवन री परेशानियों असफलताओं सूं हताश हो जावें ऐड़े समय मे कई बार वह अनैतिक कदम भी उठा लेवे जिनमें आत्महत्या यानी खुद ने तक खत्म कर देवे जो हर दिन आपा सुणा अमीर सूं अमीर नामी लोगो ने देख भी रिया हां..
एड़ी अवस्था मे जरूरत है मन ने विकसित करने री.. मन री प्रतिरोधक क्षमता बढ़ावण री ताकि वह मन सूं टूटे नहीं मजबूती रे साथे सम्भल जावे। मन री क्षमता को बढ़ावण वास्ते नियमित स्वाध्याय, सत्संग, स्वसंकेत (अपने आपसूं बात करणो खुद ने हौंसलों देणों), पोष्टिक आहार, पर्याप्त श्रम, उपासना (ईश्वरीय जप,ध्यान) इण सबरी जीवन मे महत्वपूर्ण भूमिका है इनी शुरुआत भले ही छोटे स्तर पर हुवे…लेकिन ज्यों ज्यों या विकसित हुवे समस्याओ रा समाधान मिलण लाग जावें और जीवन री दुर्गमताओं में आगे बढ़ण में राह, प्रेरणा मिलती रेवे।
मित्रों सदा आपाने याद राखणो है..
जो मन शक्ति री अनुपम धरोहरता सूं विलीन है..
वो जीवन में उच्च कोटि री महारथता सूं हीन है…
मन ने राखों दृढ़-संकल्पित और चालों मंजिल री ओर
लाख विपदा आ जाये “सरु” पार हूं जावे हर दौर
–स्वाति ‘सरु’ जैसलमेरिया
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