मजबूत इरादों ने बनाया सफल उद्यमी- अर्पित माहेश्वरी (परवाल)
युवा हौंसले को ज्ञान व अनुभव के पंख मिलें तो वे कितनी तेजी से ऊँची उड़ान भरते हैं, इसी की मिसाल हैं अहमदाबाद निवासी युवा उद्यमी अर्पित माहेश्वरी (परवाल)। उन्होंने अपने इंजीनियरिंग शिक्षा में मिले ज्ञान को अपने पैतृक व्यवसाय में लगाया और इसमें परिवार के अनुभव व अपने हौंसले के पंख लगाये तो आज उनके उद्योग का विस्तार देश की सीमाओं से भी पार अपनी सफलता का ध्वज फहरा रहा है।
अहमदाबाद के प्रतिष्ठित परवाल परिवार में उद्यमी हरीश माहेश्वरी (परवाल) के यहाँ जन्में अर्पित माहेश्वरी ने जब अपने पारिवारिक उद्योग में प्रवेश किया उस समय यह प्रारम्भिक स्तर पर ही था। पिताजी श्री माहेश्वरी की इंजीनियरिंग और स्टैनलेस स्टील ट्यूब्स एण्ड पाईप्स की इंडस्ट्री थी।
अर्पित ने जब इस उद्योग जगत में प्रवेश किया तो उनके साथ उनके अपने सपने भी थे। उस समय यह उद्योग मात्र डेकोरेटिव स्टील पाईप्स के निर्माण तक सीमित था लेकिन उन्होंने उसका विस्तार करते हुए डेकोरेटिव के साथ-साथ इंडस्ट्रीयल पाईप्स का निर्माण भी प्रारम्भ कर दिया। उनकी मेहनत रंग लायी और आज उनका उद्योग न सिर्फ देशभर में अपनी गुणवत्ता की विशेष पहचान रखता है, अपितु उनके उत्पाद कई अन्य देशों में भी निर्यात हो रहे हैं।
पिताजी से मिली सोच
वर्तमान दौर में युवा पीढ़ी पढ़ लिखकर नौकरी की ओर भाग रही है। ऐसे में उन्हें बचपन से अपने पिताजी और परिवार से स्व-उद्यम की सोच विरासत में मिली। पिताजी श्री हरीश माहेश्वरी (परवाल) का जन्म चारभुजा धाम बड़ी खट्टाली (म.प्र.) में हुआ था और यहीं से उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा पूर्ण की। हायर सेकेण्डरी की पढ़ाई के लिये वे आणंद (गुजरात) चले गये। फिर बैंगलोर (कर्नाटक) से ‘‘इलेक्ट्रॉनिक्स एण्ड टेली कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग’’ की उपाधि वर्ष 1986 में पूर्ण की।
इसके पश्चात कुछ समय पुणे व फिर अहमदाबाद में नौकरी की। इसके बावजूद मन में इच्छा अपना कुछ करने की थी। बस इसी इच्छा के कारण मार्केट का अनुभव प्राप्त कर उन्होंने वर्ष 1989 में ‘‘कम्प्यूटर मैन्युफैक्चरिंग एण्ड सर्विसेज’’ का व्यवसाय प्रारम्भ कर दिया। फिर वर्ष 1996 से ‘‘स्टैनलेस स्टील इंडस्ट्री’’ का शुभारम्भ कर दिया। इसमें रोलिंग एण्ड युटेन्सिल्स का काम करते हुए वर्ष 2006 से स्टैनलेस स्टील ट्यूब एण्ड पाईप्स इंडस्ट्रीज की शुरुआत कर दी। पिताजी का उद्योग जगत में यह संघर्ष ही अर्पित के लिये बचपन से प्रेरणा बन गया।
संयुक्त परिवार का प्रोत्साहन
वर्तमान में जो लोग संयुक्त परिवार को अपनी उन्नति में बाधक मानते हैं, उनके लिये परवाल परिवार एक आदर्श है। अर्पित का जन्म 25 जून 1992 को हरीश व मनीषा माहेश्वरी (परवाल) के यहाँ हुआ। उनका परिवार संयुक्त परिवार था, अत: पिता के मार्गदर्शन के साथ ही उन्हें दादी श्रीमती कमलाबाई परवाल सहित बड़े पापा सुरेश माहेश्वरी तथा चाचाजी राजेश माहेश्वरी व पूरे परिवार से भी स्नेह, मार्गदर्शन तथा प्रोत्साहन मिलता रहा।
भरे पूरे संयुक्त परिवार में रहते हुए उन्होंने संयुक्त परिवार के महत्व व उसकी शक्ति को महसूस किया। वर्तमान में अर्पित भी धर्मपत्नी देवांशी व अपने पुत्र के साथ इसी संयुक्त परिवार में रह रहे हैं। धर्मपत्नी देवांशी यूएसए की एक प्रतिष्ठित कम्पनी में ‘‘लीड डाटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर’’ जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सम्भाल रही हैं। अर्पित की बहन रूचि बाहेती भी सीए हैं और वर्तमान में स्वीडन में निवासरत हैं। भाई गौरव माहेश्वरी जर्मनी से अपनी मास्टर्स डिग्री पूर्ण कर वर्तमान में जर्मनी में कार्यरत हैं।
उच्च शिक्षा बनी शक्ति
अर्पित ने अहमदाबाद से ही अपनी स्कूली शिक्षा पूर्ण की। फिर अहमदाबाद से ही मैकेनिकल इंजीनियरिंग की उपाधि प्राप्त की। आगे उन्होंने मास्टर्स में प्रबंधन क्षेत्र चुना, जिससे अपने पैतृक उद्यम को पंख लगाये जा सकें। इसके लिये अर्पित ने वेलिंगकर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट बैंगलोर से मार्केटिंग एण्ड फायनेंस में एमबीए की उपाधि प्राप्त की।
इसके पश्चात उन्होंने प्रतिष्ठित कम्पनी ‘‘महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा’’ के कमर्शियल व्हीकल डिविजन में मार्केटिंग एक्जिक्यूटिव का जॉब किया। पुणे से इंडस्ट्रीयल ट्रेनिंग के पश्चात जयपुर में कम्पनी को सेवा दी। अपने इस जॉब के दौरान उन्हें विश्व स्तर पर मार्केटिंग के गुर सीखने के लिये मिले, जो उनके भविष्य की पृष्ठभूमि बने।
ऐसे बढ़े उद्योग में कदम
अपने जॉब के दौरान मिले मार्केटिंग के अनुभव ने उनकी सोच को तराश दिया। बस इस अनुभव के बाद उन्होंने अपने पैतृक व्यवसाय को शिखर की ऊँचाई देने का फैसला करते हुए पिताजी के साथ अपने पैतृक उद्योग ‘‘स्टेनलेस स्टील ट्यूब्स एण्ड पाईप इंडस्ट्री’’ को जॉइन कर लिया। सन् 2017 के अंत से उन्होंने उद्योग को अपने हाथ में लेकर इसके विस्तार का निर्णय कर लिया।
उस समय उनके इस उद्योग की इकाई मात्र अहमदाबाद में ही कार्यरत थी। इस उद्योग की क्वालिटी व उत्पादन क्षमता को बढ़ाते हुए उन्होंने दक्षिण भारत तक मार्केट का विस्तार कर लिया। अब मांग के अनुरुप उत्पादन बढ़ाने के लिये उन्होंने सन् 2019-20 से साणंद में भी लगभग चार गुना अधिक क्षमता की नवीन युनिट प्रारम्भ कर दी।
अनुभव व मार्गदर्शन बने सहयोगी
कोरोना काल में साणंद की युनिट बन कर तैयार हो गयी, लेकिन प्रारम्भ में यहाँ भी डेकोटेटिव पाईप्स ही बनते थे। इसके साथ उन्होंने इण्डस्ट्रीयल पाईप्स बनाना भी शुरु कर दिया। इस नये प्लांट में मांग के अनुरूप वे क्वालिटी व क्वांटिटी के साथ लगातार अपने उत्पादों की रैंज बढ़ाते ही चले गये।
इसके लिये उन्होंने अपनी एक अच्छी टीम बनायी जो उनके हर कदम पर सहयोगी बनी हुई है। अपनी इस औद्योगिक यात्रा में स्वयं के ज्ञान के साथ परिवार का अनुभव व मार्गदर्शन उनका सहयोगी बना। पिताजी हरीश माहेश्वरी से यदि औद्योगिक ज्ञान मिला तो बड़े पापा सुरेश माहेश्वरी से अकाउंट्स तथा चाचाजी राजेश माहेश्वरी से मार्केटिंग का अनुभव व मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।