गौ सेवा की अलख जगाती- Jyoti Soni Boobna
गौ माता को भारतीय संस्कृति में अत्यंत पूज्य माना गया है। इसके बावजूद विडंबना है कि गौ माता भारी कष्टपूर्ण जीवन गुजार रही हैं। ऐसी ही स्थिति से उबार कर गौ माता को उत्कृष्ट जीवन देने की काम कर रही हैं, सूरत निवासी ज्योति सोनी बूबना (Jyoti Soni Boobna)।
सूरत में बीमार एवं निराधार, भूखी गायों के सेवार्थ सद्भावना गौ सेवा फाउण्डेशन ट्रस्ट की स्थापना हुई है, जिसकी संस्थापक ज्योति सोनी बूबना हैं। गौ सेवा के कार्यों में 5 सालो से कार्यरत हैं और अपना जीवन सिर्फ गौ माता को संरक्षित करने के लिए इन्होंने समर्पित किया है।
दो साल पहले जब बीकानेर एवं राजस्थान के कई क्षेत्रों में लंपीवायरस की चपेट में आकर कई गाय बहुत दयनीय हालत से बीमारी के दौर से गुजरी थी तब भी नागौर और बीकानेर जैसी जगहों पर इन्होंने वैक्सीन और होम्योपैथिक दवाइयां भिजवा कर गौ माता को संरक्षित किया था।
असहाय व बीमार गाय का संरक्षण
रोड पर बीमारी की हालत में या एक्सीडेंट में घायल हुई गायों या लावारिस कंडीशन में पड़ी हुई गायों को तुरंत उपचार करवा कर गौ शाला भेज कर उन्हें संरक्षित करवाने के कार्य में हमेशा अग्रसर रहती हैं। बीमार गायों को पौष्टिक आहार, दवाइयां और सही उपचार मिल सके उसके लिए कई महिलाओं को जोड़कर संस्था बनाकर उन्हें भी गौ सेवागत कार्यों में अग्रसर रहने के लिए वे प्रेरित करती हैं।
इंदौर, इचलकरंजी एवं भारत के और भी राज्यों में ये अपनी सेवाए पहुंचाने एवं गायों के संरक्षण के प्रयासों में कार्यरत हैं। गौ माता को कसाइयों द्वारा बचाया जा सके उसके लिए इन्होंने एक गीत के माध्यम से मोदीजी एवं योगीजी से अपील भी की है। आर्टिकल लेखन के कार्यों में भी अग्रसर हैं जिसमें ये गौसेवा के लिए लोगो को प्रेरित कर रही है। इनका सबसे बड़ा लक्ष्य यही है, जिसके लिए इन्होंने एक नारा बनाया है-
‘गौ संरक्षण की अलख हमें सब में जगानी है,
जन-जन के मानस पटल पर गौ की छवि बसानी है’
संस्कारों में मिली प्रेरणा
श्रीमती सोनी का जन्म मध्यप्रदेश के कस्बे तराना जिला उज्जैन के निवासी घनश्याम दास जय किशन सोनी परिवार में हुआ। यहां बचपन का 6th क्लास तक का समय बीता। परिवार में दादाजी एवं पापा की 40 गायों की सेवा घर पर थी और दादाजी को तराना के राजा द्वारा रायरतन सेठ की उपाधि प्राप्त थी। उन्हें गौ सेवा करते नित्यप्रति देख कर बचपन से गौ माता के लिए उनके मन में सेवा के भाव विकसित हुए थे।
तराना से सूरत आकर पापा ने यहां व्यवसाय किया और श्रीमती सोनी की शादी भी सूरत में श्री गोविन्द भगवती प्रसाद बूबना के साथ हुई। उनके दो बच्चे हैं हर्ष और श्रीया। शुरु से गौ माता का पंचगव्य लेना शुरु किया तो अपने शरीर में आंतरिक ऊष्मा एवं ऊर्जा का जो संचय होता देखा तो गौ सेवा के लिए आस्था और विश्वास और बढ़ गया और करीब 5/6 सालो से गौ सेवा के कार्यों में अपने जीवन का फ्री समय देना शुरु कर दिया। जब से गौ सेवा में समय देना शुरु किया तब से अपने अंदर कई सकारात्मक परिवर्तन एवं जटिल से जटिल कार्यों को पूर्ण होते देखा है।
ऐसे चली गौ सेवा
महिलाओं को जोड़ कर एक संस्था शुरू की जिसका नाम सद्भावना गौ सेवा फाउंडेशन के नाम से रख एक ट्रस्ट बनाया जिसमें करीब 200/250 महिलाओं के साथ मिलकर काम कर रही हैं, जिससे भूखी, निराश्रित एवं बीमार, एक्सीडेंट हुई गायों की सेवा कर रही हैं उन्हें पोषित खाद्य सामग्री नित्यप्रति मिल सकें तथा उनके उपचार आदि की व्यवस्थाएं जुटाने के कार्यों में नित्यप्रति कार्यशील रहती है।
यहां बीमार गायों की एक गौ शाला निर्माणाधीन है जिसमें संस्था द्वारा करीब 10/12 लाख रुपए की खाद्य सामग्री, गौ माता के पानी के कुंड, शेड निर्माण, फ्लोरिंग, आईसीयू वार्ड, ऑपरेशन वार्ड, कूलर, पंखे आदि का इंतजाम करवाया गया। यही नही नित्य प्रति गौ माता को 31 किलो पोष्टिक लापसी की व्यवस्था भी संस्था के माध्यम से करवाई जा रही है।
सारे पर्व और त्योहार दिवाली, दशहरा, नवरात्री, होली आदि सभी गौ माता के धाम, गौ शाला में जाकर मनाते हैं, साथ ही गौ माता की अच्छी सेहत के लिए वहा विष्णु सहस्त्रनाम आदि के पाठ भी संस्था की महिलाओं द्वारा किए जाते हैं।