श्री लिकासण माताजी
श्री लिकासण माताजी झंवर खिवसरा व धूत खाँप की कुलदेवी है।
श्री लिकासण माताजी अपने चमत्कारी प्रभाव के कारण माहेश्वरी समाज के सभी खाँपों की भी आराध्य है। साथ ही अन्य सभी जातियों के श्रद्धालु भी इनके प्रति अटूट श्रद्धा रखते हैं। माताजी का मूल शक्तिपीठ राजस्थान में नागौर शहर से जयपुर हाई-वे पर छोटी खाटु के पास लिकासण गाँव में है। माताजी का यह शक्तिस्थल स्वयंभु तथा जागृत देवस्थान है।
पूराने मंदिर का निर्माण एक हजार साल पूराना बताया जाता है। माताजी की मूर्ति माँ दूर्गा स्वरुप है। मुस्लिम बादशाहों के अतिक्रमण से आज तक पाँच बार मूर्तियाँ स्थापित की गईं। वर्तमान मूर्ति की स्थापना सन् १४३८ में वहाँ के नाथजी ने की थी ऐसी मान्यता है।
चमत्कारिक स्थल:
विविध बाधा, व्याधी, संतति, विवाह, शत्रुनाश, आर्थिक सुबलता, कुटम्ब सुख, शांति तथा आरोग्य के लिये श्रद्धालु यहाँ पूजन व आराधना करते हैं। विशेष रूप से विवाह व पुत्र कामना के लिये आने वाले व कामना पूर्ति पर माताजी की मानमिन्नत पूरी करने वाले श्रद्धालुओं की यहाँ अक्सर भीड़ लगी रहती है।
नवरात्रि उत्सव:
माताजी को धूप-दीप कर दूध लापसी व चूरमे का भोग लगाया जाता है। मांगलिक अवसर पर छत्र व वस्त्रालंकार भी भेंट किये जाते हैं। यहाँ दोनों नवरात्रि में नवमी को विशेष उत्सव आयोजित किये जाते हैं।
यह हैं वज्र्य:
दांत की बनी चुड़ियाँ, बजने वाला घुंघरु, पैरों में पहना जाने वाले डुंगरो गहना, सांकल या चेन वाले गहने, घर का पालना आदि।
क्षेत्रपाल हैं कालभैरव:
माताजी के क्षेत्रपाल मंडोर के कालभैरव हैं। यहाँ माघ सुदी चतुर्दशी व वैशाख सुदी चतुर्दशी को वर्ष में दो बार विशेष पूजन होती है व बाटी चूरमे का भोग लगता है।
मंदिर का जीर्णोद्धार:
मंदिर अति प्राचीन हाने से जीर्णशीर्ण हो अपना अस्तित्व खो रहा था। इसके जीर्णोद्धार के लिये कुलस्वामिनी श्री लिकासण माता ट्रस्ट, नासिक का गठन किया गया। ट्रस्ट के द्वारा मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है।
कैसे पहुंचे:
श्री लिकासण माताजी का मंदिर राजस्थान में नागौर शहर से जयपुर हाईवे पर छोटी खाटु के पास लिकासण में स्थित है। जोधपुर एवं नागौर दोनों ही देश के सभी बड़े शहरों से रेल मार्ग से जुड़े हुए है। विमान यात्रा के लिए जोधपुर सबसे नजदीक हवाई अड्डा है।