‘सेवा’ का यह कार्यकाल सुखद अनुभूति
श्री अभा माहेश्वरी सेवा सदन समाज की ऐसी शिखर सेवा संस्था है, जो माहेश्वरी समाज की गौरव पताका को चहुँमुखी फहरा रही है। ऐसी गौरवशाली संस्थान के बीते सत्र में अध्यक्ष रहे हैं, जुगलकिशोर बिड़ला। आइये जानें श्री बिड़ला की जुबानी उनकी सेवा की अनुभूति।
मेरे सेवा सदन में पाँच वर्ष के कार्यकाल का अनुभव काफी मिला-जुला रहा। यह संस्था माहेश्वरी समाज के मनीषियों द्वारा पुष्करराज में आने वाले तीर्थयात्रियों के ठहरने की समस्याओं के निवारण हेतु सन् 1969 में एक धर्मशाला के निर्माण से प्रारम्भ हुई।
सर्वप्रथम नागौर जिले के मेड़ता शहर के श्री गोरधनदास सोनी एवं उनके सहयोगी साथियों द्वारा अजमेर जिले के समाजसेवी बंधुओं से मिलकर पुष्करराज में जमीन क्रय कर धर्मशाला का निर्माण किया गया। बाद में समय-समय पर इसका विस्तार कर समयानुसार सुविधाओं में अभिवृद्धि की गई। आज इसमें साधारण, अटैच, ए.सी. एवं डीलक्स कमरे आदि सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध है।
कालान्तर में वृन्दावन, हरिद्वार, बद्रीनाथ, नाथद्वारा, चारभुजा, जतीपुरा, रामदेवरा व जोधपुर में सेवा सदन भवन बनाये गये। जोधपुर के अतिरिक्त सभी सेवा सदन तीर्थ स्थानों में बने थे। जोधपुर सदन का नाम आरोग्य भवन रखा गया जो कि एम्स हॉस्पिटल के पास बना है। आरोग्य भवन का यात्रियों के अलावा रोगी-सहयोगी केंद्र के लिये भी उपयोग हो रहा है।
इससे अन्य स्थान जहाँ चिकित्सा की अच्छी सुविधा है, वहाँ पर भी आरोग्य भवन निर्माण की संभावनाएं हो सकती हैं। जिन स्थानों पर विद्यार्थी अच्छी यूनिवर्सिटी या कॉलेज में अध्ययन हेतु जाते हैं, वहाँ पर आवास व शुद्ध- सात्विक भोजन के लिये हॉस्टल बनने से आने वाली युवा पीढ़ी को सुविधाएं दी जा सकती हैं।
मेरे विचार से आरोग्य भवन व हॉस्टल की प्रगतिशील समाज को महत्ती आवश्यकता है। समाज के अन्य संस्थान या ट्रस्ट भी आगे बढ़कर इस शुभ कार्य को क्रियान्वित कर सकते हैं।
सेवा सदन द्वारा संचालित श्रीनाथ भवन, नाथद्वारा में समाज की वर्तमान की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर इसका निर्माण करवाया गया है। इस अत्याधुनिक एवं सर्व-सुविधायुक्त भवन को अच्छा प्रतिसाद मिला है।
इसकी अतिरिक्त आय से सेवा सदन में नये प्रकल्प प्रारम्भ किये जा सकते हैं एवं संचालित प्रकल्प जैसे वृद्धाश्रम, विधवा एवं असहाय सहायता, छात्रवृत्ति, अन्नक्षेत्र, तृतीय कन्या जन्म प्रोत्साहन राशि आदि का दायरा बढ़ाया जा सकता है। भोजन की गुणवत्ता में सुधार कर उसमें सेवा सदन द्वारा सहायता दी जा सकती है।
आने वाले समय में पूर्व में निर्मित सभी भवनों को सुविधायुक्त व सुुंदर बनाना अति आवश्यक है। साथ ही भवनों के रख रखाव की ओर विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है। योजनाबद्ध तरीके से इस कार्य को पूर्ण किया जायेगा तो समाज की इस धरोहर को चिरकाल तक संरक्षित किया जा सकता है।
सेवा सदन की कार्य प्रणाली को डिजिटल किया गया है, इसमें कमरा बुकिंग, एकाउंटिंग, सी.सी.टीवी कैमरे आदि सभी ऑनलाईन सुविधा उपलब्ध हैं। इससे पारदर्शिता बढ़ी है एवं समाज के सभी क्षेत्रों के बंधुओं को इसकी सेवा सुलभ हुई है। भविष्य में इस सुविधा में नई तकनीक आने के साथ ही समय-समय पर सुधार करते रहना उचित रहेगा।
काफी वर्षों बाद सेवा सदन के निर्विरोध चुनाव हुए हैं। आशा है नव-निर्वाचित पदाधिकारी बंधु अपनी टीमें बनाकर उन्हें सौंपे गये कार्यों को उचित निर्णय लेकर संपादित करेंगे एवं सेवा सदन का नाम हमारे प्रगतिशील समाज में और ऊँचाई पर ले जायेंगे।