दीर्घ जीवन के स्वर्णिम सूत्र
स्वस्थ रहना कौन नहीं चाहता ? वास्तव में तो इसे ही सबसे बड़ा धन माना गया है। वर्तमान में हम स्वस्थ जीवन के लिए पानी की तरह पैसा खर्च करते हैं, लेकिन रोग है कि घेरे बिना नहीं चूकते। कारण है, हमारी जीवन शैली। तो आइये हम जानें अपनी जीवन शैली के वे स्वर्णिम सूत्र, जिन्हें अपनाकर पा सकते हैं, दीर्घ व स्वस्थ जीवन।
शरीर की स्वच्छता व नित्य कर्म पर ध्यान दें
प्रात: सूर्योदय से एक-दो घंटा पूर्व अवश्य उठें। अच्छी तरह दाँत और जीभ साफ करके दो गिलास ताम्बे के बर्तन का पानी पीयें और कुछ देर बाद शौच इत्यादि नित्य कर्मों से निवृत्त होवें। कभी भी कब्ज नहीं होने देवें।
शरीर के अंदर की सफाई जरूरी है। इसके लिए मलद्वारों का कार्य सदा सुचारू रहना चाहिए। किसी खुले और स्वच्छ स्थान पर जाकर व्यायाम करें। व्यायाम में टहलना, दौड़ना, भिन्न-भिन्न प्रकार की कसरतें और योगासन इत्यादि सम्मिलित हैं।
अपने शरीर का वजन किसी भी हालत में नहीं बढ़ने देवें। नंगे शरीर पर हवा और धूप लगने दें। कभी-कभी सरसों या तिल्ली के तेल से शरीर की मालिश भी करना चाहिये।
समय पर और ठीक से भोजन
भोजन नियत समय पर करें। उचित भूख लगने पर ही भोजन करना चाहिए। बार-बार न खाये। दो भोजनों के मध्य कम से कम पाँच घंटे का अन्तर होना चाहिये। भूख से अधिक खाने पर पाचनतंत्र बिगड़ जाता है।
ठूस-ठूस कर भोजन करने से शरीर भारी हो जाता है तथा पचने में भी कठिनाई होती है। अत: कम खाओ, खूब चबाओ, लम्बी आयु जीओ व सुख पाओ। भोजन सादा और वैज्ञानिक रूप से बनाया हुआ हों जिसके पोषक तत्व नष्ट न हुए हो।
हरी सब्जियाँ, फल, सलाद प्रचुर मात्रा में खानी चाहिये। भोजन के साथ पानी न पिये। आधा घंटे पूर्व और दो घंटे पश्चात पिये। भोजन करने के पश्चात अवश्य कुछ देर विश्राम करें और कोई भारी परिश्रम का कार्य न करें।
पोषण के प्रति रहें सतर्क
माइकोवेब ओवन में पके सभी खाद्य पदार्थों में विटामिन बी काम्पलेक्स, विटामिन सी एवं ई आदि आवश्यक खनिज पदार्थों की कमी पाई गई है। शोधकर्त्ताओं के अनुसार माइक्रोवेब ओवन में गरम करने या पकाने से उनके कुछ अमीनो एसिड परिवर्तित होकर कैंसर पैदा करने वाले तत्व बन जाते हैं।
इसके अतिरिक्त माइक्रोवेब के दुष्प्रभावों के कारण अनेक रोग जैसे दिल का दौरा, सिर दर्द, आँख दर्द, सिर दर्द, आँख दर्द, पेट दर्द भी हो जाते हैं। भोजन बनाने वाली की भावना भी शुद्ध होना चाहिए क्योंकि जैसी भावना भोजन बनाने वाले की होगी उसका वैसा ही प्रभाव खाने पीने की वस्तुओं में अवश्य आयेगा।
जिन घरों में नौकरों द्वारा भोजन बनाया जाता है उनके विचारों, भावनाओं से भोजन प्रभावित होता है। फलस्वरूप खाने वालों में वैसे ही गुण और संस्कार आते हैं। इसलिए भोजन सदैव घर की महिलाओं द्वारा ही बनाया जाना चाहिये।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्यक्ति को चाय का प्रयोग कम करना चाहिए क्योंकि यह शरीर में आयरन के अवशोषण में बाधा पहुँचाता है। अत: जिनका हीमोग्लोबिन 10 या उससे कम है, उन्हें चाय छोड़ देनी चाहिए।
पर्याप्त विश्राम व निद्रा लें
रात्रि को एक गिलास पानी पीकर निश्चितता के साथ साढ़े नौ, दस बजे सो जावें। अंग्रेजी की सुप्रसिद्ध कहावत है “early to bed and early to rise is the way to be healthy, wealthy and wise” “जो जल्दी उठता-सोता है, स्वस्थ, धनी, ज्ञानी होता है।’’ स्वस्थ व्यक्ति के लिए 7 घंटे की नींद पर्याप्त होती है।
बढ़िया नींद उन्हीं को आती है जो शारीरिक परिश्रम, व्यायाम एवं स्वास्थ्य के नियमों का पालन करते हैं। शयन के लिए मोटे डनलब, रबड़ आदि के गद्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, रूई के हल्के गद्दों का प्रयोग करना चाहिए। जिससे कमर का दर्द नहीं होगा।
प्रदूषण मुक्त हो निवास स्थल
स्वास्थ्य के लिए अनुकूल निवास स्थान का चयन करें जहाँ शुद्ध वायु एवं प्रकाश उपलब्ध हों तथा प्रदूषण से दूर होवें। जीवन को अस्त व्यस्त न करें। सदा सहज भाव से पुरुषार्थ से कार्य करें। सतत चिंतित नहीं रहे।
अपनी सोच सकारात्मक रखें तथा अपने कार्यों को नियत समय पर करने का प्रयत्न करें। सदैव आशावादी एवं उत्साही रहें। अपने व्यवसाय एवं कार्यालय के कार्यों के पश्चात स्वस्थ मनोरंजन एवं खेलकूद के लिए समय देना भी बहुत जरूरी है।
विचारों तथा संगति का स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इसलिए सदैव अच्छे मित्रों की संगति में रहें। अपने परिवार, मित्रों एवं कार्य करने वाले व्यक्तियों के साथ सदैव प्रसन्नतापूर्वक हँसते हुये व्यवहार करना चाहिए। हास्य भी एक ऐसा टॉनिक है जिससे आप सदैव निरोगी एवं स्वस्थ रह सकते हैं।