Aapni Boli

आम बजट री महिमा

खम्मा घणी सा हुक्म हर साल री तरह इण बार भी बजट संसद में पेश हुयो … टीवी पर बजट भाषण रो नाम सुनते ही या बात दिमाग में आई कि बजट एक ऐड़ों बादल है जो आसमान सूं बरसे जरूर है पर जमीं पर आता आता सुख जावें ।

हुक्म म्हने लागे बजट ने आम बजट इण वास्ते भी केवता हुवेला कि फलों रो राजा आम रे जावती सीज़न में बजट आवे जणे इण सीज़न रा अल्फांसो,हापुस आम सब खत्म हूँ जावे और दशहरा ,लगड़ा, आम जिनी मार्केट में आम जनता बाट जोहवे … क्योकि आम बजट रो असर नेताओं धनपतियों पर कोई असर नहीं पड़े वे पेट पेला ही भरले पर गरीब री नजर हर साल बजट पर रहवे।

हर साल आपा देखा संसद रे बाहर वित्तमंत्री मीडियाकर्मियों ने ‘ब्रीफ’ करण रे बाद ‘ब्रीफकेस’ ने संसद में लावे बाद में बजट री हर योजना ने ब्रीफ में समझावे।

अक्सर आपा देखा हुक्म वित्तमंत्री बजट रो भाषण देवता इतो ‘पाणी’ पी जावे की बजट में ‘पानी बचाओ योजना ‘ पर लिखियोड़ी बचावण की योजना ने फेल कर देवे … कुछ वित्तमंत्री तो भाषण ने सरकार री तरह बोझिल होवण सूं बचावण वास्ते कविता और शेरों शायरी रो सहारो भी लेवे ताकि आम बजट रे भाषण री शर्मिंदगी सूं बच सके।

इण बार वित्तमंत्री निर्मला जी सीतारमण बजट ब्रीफकेस में नही कपड़े में लपेट ने लाई … हुक्म मोदी सरकार री या तो विशेषता है हमेशा ‘प्रजेंटेशन’ कुछ हट ने ही करें … अब हुक्म बजट सुणने समझण की कोशिश भी करी तो दो कोंग्रेसी बयान सामने आया एक कहयो बजट में कुछ नहीं है दुसरो केवे कि सिर्फ कोंग्रेसी नीतियों ने दोहरायों है। आम बजट री या खास बात हुवे हुक्म कि आपा इन बजट ने आम लोगो री नजर सूं नहीं सिर्फ महंगा -सस्ता री नजर सूं समझ सका।

बजट में कुछ नहीं हुवे पेली बजट में गांधी- नेहरू परिवार रे नाम दो चार नई योजना शुरू कर देवता । इण बार गांधी- नेहरू निकाल ‘अटल नवोन्मेष योजना’ ‘अटल पेंशन योजना’ जेड़ा नाम सुनाई दे रिया है । हुक्म इण बार प्रतियोगी परीक्षा री तैयारी में युवाओं ने एक नंबर रो नयो सवाल मिल जाई।

आज सरकार री भृष्ट नीतियों ने देखा तो महाभारत में भीष्म री बात याद आवे भीष्म केवता कि कर यूँ लगाणों चइजे ज्यों सूरज तलाब, नदियां समुद्र सुं पाणी लेवे और उठे बरसावे जठे ज़रूरत व्हे। देवण वाले ने महसूस नहीं व्हे अर पहुँचनो जठे पहुंच भी जावे।

म्हे तो आपने बजट नामों देख ने या ही केवणों चाहू कि हुक्म बजट रो सामनो करणी सीखो इने साँप समझ ने मत डरो । घर रो बजट भी योजनाबद्ध होते हुवे फेल हूँ जावे यो तो देश रो बजट है इन्हें मेहमान समझ ने स्वीकार करो क्योंकि इन दुख ने लेने मर तो कोनी सका ….

“दुनियां में आया तो दोस्तों जीवणों पड़ी
बजट अगर जहर भी है तो पिवणों पड़ी “

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Sri Maheshwari Times

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