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सोच का फर्क

हमारा पूरा जीवन हमारी सोच पर निर्भर करता है। हम जैसा सोचते हैं धीरे-धीरे हमारा चरित्र, हमारा व्यक्तित्व भी हमारी सोच के अनुसार ढलता जाता है व हमारे आस पास हमारी सोच अनुसार लोग जुड़ते जाते हैं। जीवन में सफल होने के लिए हमारी सोच का हमेशा सकारात्मक रहना ज़रूरी होता है। सफलता-असफलता सभी सोच के फर्क पर निर्भर है।

एक गरीब आदमी बड़ी मेहनत से एक-एक रूपया जोड़ कर मकान बनवाता है। उस मकान को बनवाने के लिए वह पिछले 20 वर्षों से एक-एक पैसे की बचत करता है ताकि उसका परिवार छोटे से झोपड़े से निकलकर पक्के मकान में सुखी रह सके।


आखिरकार एक दिन मकान बन कर तैयार हो जाता है। तत्पश्चात पंडित से पूछ कर गृह प्रवेश के लिए शुभ तिथि निश्चित की जाती है। लेकिन गृहप्रवेश के 2 दिन पहले ही भूकंप आता है और उसका मकान पूरी तरह ध्वस्त हो जाता है।

यह खबर जब उस आदमी को पता चलती है तो वह दौड़ा-दौड़ा बाज़ार जाता है और मिठाई खरीद कर ले आता है। मिठाई लेकर वह घटनास्थल पर पहुँचता है जहाँ पर काफी लोग इकट्ठे होकर उसके मकान गिरने पर अफ़सोस जाहिर कर रहे थे। “ओह ! बेचारे के साथ बहुत बुरा हुआ, कितनी मुश्किल से एक एक पैसा जोड़कर मकान बनवाया था। “

इसी प्रकार लोग आपस में तरह तरह की बातें कर रहे थे।

वह आदमी वहां पहुँचता है और झोले से मिठाई निकाल कर सबको बांटने लगता है। यह देखकर सभी लोग हैरान हो जाते हैं। तभी उसका एक मित्र उससे कहता है- “कहीं तुम पागल तो नहीं हो गए हो। घर गिर गया, तुम्हारी जीवन भर की कमाई बर्बाद हो गई और तुम खुश होकर मिठाई बाँट रहे हो। “

वह आदमी मुस्कुराते हुए कहता है- “तुम इस घटना का सिर्फ नकारात्मक पक्ष देख रहे हो इसलिए इसका सकारात्मक पक्ष तुम्हे दिखाई नहीं दे रहा है। ये तो बहुत अच्छा हुआ कि मकान आज ही गिर गया, वरना तुम ही सोचो अगर यह मकान 2 दिनों के बाद गिरता तो मैं, मेरी पत्नी और बच्चे सभी मारे जा सकते थे। तब कितना बड़ा नुकसान होता। “

सोच का फर्क

मित्रों इस कहानी से आपको समझ में आ गया होगा सकारात्मक और नकारात्मक सोच में क्या अंतर है। यदि वह व्यक्ति नकारात्मक दृष्टिकोण से सोचता तो शायद वह डिप्रेशन का शिकार हो जाता। लेकिन केवल एक सोच के फर्क ने उसके दुःख को परिवर्तित किया। ईश्वर जो भी करता है, अच्छा ही करता है।


मानव तू परिवर्तन से काहे को डरता है

परिवर्तन सृष्टि का अटल नियम है। नया भवन बनाने के लिए पुराने मकान का टूटना ज़रूरी होता है और जब पुराना मकान टूटता है तब एक बार दर्द होता है। वृक्षों पर नए पत्तों को आने के लिए पतझड़ का आना ज़रूरी है अर्थात हमारे जीवन में कुछ अच्छा होने के लिए हमें कुछ दुःख-दर्द कको ख़ुशी-ख़ुशी अपनाना चाहिए।

शरद गोपीदासजी बागड़ी, नागपुर


Via
Sri Maheshwari Times

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