अपनी सोच को बनाए सकारात्मक
नया साल शुरू हो गया। जोरदार शुभकामनाओं, शोर-शराबा, धूमधाम, नाचना-गाना, आतिशबाजी संग देर रात तक नये वर्ष के आगमन की अगवानी सब ने अपने-अपने ढंग से की। आइये अपनी सोच को बनाए सकारात्मक।
व्हाटसेप पर नव वर्ष के बने- बनाये, सजे-सजाय शुभ हैपी न्यू ईयर संदेशों के उत्साह के बीच एक दो संदेश ऐसे भी आप सब को मिले होंगे जो रोते हुए बता रहे होंगे ‘खत्म हो गया जिंदगी का एक और साल’। बड़ गई उम्र, बीत गया जीवन का एक और वर्ष, कम रह गई अब ये जिंदगी।
जीवन जगत की हर घटना में नकारात्मकता मात्र को देखना कुछ लोगों का प्रिय रवैया होता है, परंतु नकारे से भरी राह जिंदगी में न तो कभी आपको आगे बढ़ा सकती है और न ही खुशियाँ दिला सकती है। जिंदगी जीने का मजा तो तब है जब आपकी जिंदगी की राह सकारात्मक सोच की पुख्ता जमीन पर हो। जीवन डगर खूबसूरत, खुशबूदार, मुलायम फूलों, पंखुडियों से नहीं पटी हुई होती है, उसमें अधिकांशतः नुकीले पत्थरों की रगड़ और चुभीले कांटों की जलन मिलने की अधिक संभावना होती है। राह के बिना पर मंजिल नहीं मिलती। राह या तो बनानी पड़ती है, या बनी बनाई जटिल कंटीली राह पर चलना होता है।
तो क्या उदास होकर, रोते हुए, मन मसोसते हुए चलने के लिये हर इंसान अभिशप्त है? मंजिल पाने का यही एक तरीका हम इंसानों के पास बचा है? नहीं, कदापि नहीं। इस तरीके से तो हम मात्र कुछ कदम चल पायेंगे, फिर हार कर, टूट कर सदा के लिये गिर जायेंगे। नववर्ष पर पीछे मुड़ कर यह तो देखे कि क्या छूट गया? जिंदगी से क्या घट गया?
हमें तो सोचना होगा इस बीते एक साल में, जिंदगी के बढ़ते एक साल में अनुभव की कितनी पुंजी हमने इकट्ठा की? खुशियों की कितनी कलियों को अपने दामन में समेटा? यदि हमसे कोई गलती हुई तो उस गलती से हमने क्या सबक लिया? राह पर आगे बढ़ने के लिये हमने जो प्रयास किये क्या वो परिपूर्ण थे? अब और क्या, कैसा, कितना, कब, कहां करना है? जितनी शिद्धत आप अपनी कोशिशों में दिखाओगे उतनी ही कोशिशें आपकी कम फेल होंगी।
तो नव वर्ष का स्वागत कीजिये-नये उत्साह से, नई कोशिशो से, नई सोच से सम के साथ, लगन के साथ, मेहनत की प्रतीक्षा के साथ। एक नई सुबह हुई है, अब दिनचर्या ऐसी बनाएं शाम तक अपने गंतव्य तक पहुंच जायेंगे, हंसते गाते खुशियाँ मनाते। मुबारक नव वर्ष!