माध्यम व लघु उद्योगों के हित में हुए बड़े बदलाव
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की नींव वास्तव में मध्यम व लघु उद्योग ही हैं और नींव के बिना मजबूती सम्भव नहीं है। इसी सोच को लेकर सरकार ने मध्यम व लघु उद्योगों को ऐसे विशेष अधिकार तथा सुविधाऐं दी हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण सुधार का कारण सिद्ध हो सकती हैं।
भारत वर्ष में पिछले कुछ वर्ष से मध्यम एवं लघु उद्योगों (MSME) को सरकार ने प्रोत्साहन दिया है। कारण यह है कि देश की तरक्की में यह एक महत्वपूर्ण योगदान देते हैं तथा बड़े उद्योगो के लिए अक्सर यह रीढ़ की हड्डी हैं, जिसके बिना उद्योग जगत ठप्प हो सकता है।
हर बड़ा उद्योग (जैसे की मारूती कार कम्पनी) अपने माल उत्पादन के लिए छोटे उद्योगों पर आश्रित है। माहेश्वरी समाज भी व्यावसायिक समाज है, जहां लगभग नब्बे प्रतिशत लोग मध्यम एवं लघु उद्योग में तल्लीन है। इन मध्यम एवं लघु उद्योग (MSME) को सरकार ने विशेष अधिकार दिये हैं। विशेष तौर से जब उनका माल बेचान रुपया बड़े उद्योग से आने में देरी करता है।
डेढ़ माह से अधिक नहीं रुकेगा भुगतान
भारत सरकार ने सभी कम्पनियाँ जो कि माइक्रो एवं लघु उद्योग से माल खरीदती हैं और 45 दिवस से नये नियमानुसार माल डिलीवरी से ज्यादा उधार रखती है तो अर्द्धवार्षिक रिटर्न भरने के लिए बाध्य किया है। नये नियमानुसार कम्पनी तयशुदा समय में माइक्रो एवं लघु उद्योग द्वारा सप्लाई किए माल का भुगतान करेगी जो कि किसी भी स्थिति में 45 दिवस से ज्यादा नहीं होगा।
अगर माल के भुगतान में 45 दिनों से ज्यादा की देरी होगी तो कम्पनी को रिजर्व बैंक रेट से तीन गुना ब्याज महीने दर महीने कम्पाउंड रेट से देना होगा। ब्याज नहीं देने के लिए कोई भी लिखतम या कोई भी विपरीत कानून अवैध माना जायेगा।
अगर आप माइक्रो एवं लघु उद्योग हैं और कम्पनी के साथ पेमेंट के लिए कोई वाद विवाद है तो आप माइक्रो एवं लघु उद्योग फेसिलेटेशन कॉउन्सिल के पास जा सकते है। कम्पनी को अर्धवाार्षक रिटर्न में बकाया रकम मय ब्याज सहित बताना जरूरी होगी।
अब निर्माण व सेवा दोनों उद्योग समान
अब सरकार ने (MSME) रजिट्रेशन के लिए काफी सरल एवं उदारता के नियम बनाये हैं। जून 2020 के पहले तक माल उत्पादन एवं सर्विस सेक्टर दोनों की परिभाषा अलग थी किंतु अब दोनो ही सेक्टर को एक ही श्रेणी में डाल दिया गया है। इससे और आसानी हो गयी है क्योंकि सर्विस सेक्टर में प्लांट एवं मशीनरी की जगह इक्युपमेंट गिने जाएंगे।
आपका प्लांट-मशीनरी में निवेश अथवा टर्न ओवर जिस सीमा में है, आप उसके हिसाब से उस श्रेणी में आयेंगे। इसके अनुसार उत्पादन व सेवा उद्योग प्लांट एवं मशीनरी निवेश में 1 करोड़ से कम व टर्नओवर में 5 करोड़ से कम पर माइक्रो, निवेश में 10 करोड़ से कम व टर्नओवर में 50 करोड़ से कम में लघु तथा निवेश में 50 करोड़ से कम व टर्नओवर में 250 करोड़ से कम में मध्यम उद्योग कहे जाऐंगे।
MSME में रजिट्रेशन करने के लिए आपको लघु उद्योग मंत्रालय के उद्यम पोर्टल पर जाकर सारी जानकारी देनी होगी तथा अब इस पूरी रजिट्रेशन प्रक्रिया का सरलीकरण कर दिया गया है। अगर आपका उद्योग या ऑफिस उपरोक्त बताये गये दायरे में आता है तो आपको अवश्य पोर्टल पर जाकर MSME का रजिट्रेशन सर्टिफिकेट लेना चािहए, क्योंकि जिन्होंने भी रजिट्रेशन लिया है उन्हें विशेष सुिवधाएं भी उपलब्ध हैं।
एमएसएमई को अब ये सुविधाऐं
- MSME डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट एवं राज्य सरकारों के DIC/SIDC पर आपको मार्केट सर्वे एवं सूचनाएं उपलब्ध हैं जिससे आप तय कर सकते हैं कि किस प्रोडक्ट के लिए आपको उद्योग लगाना चािहए।
- आपको बैंक से ऋण लेने पर ब्याज में किफायत मिलेगी।
- आपको मार्जिन मनी के लिए भी स्टेट बैंक या स्टेट कमिशनर अथवा डायरेक्टर ऑफ इंडस्ट्रीज द्वारा स्किम में लोन मिल सकता है।
- आपको मॉडल प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी तैयार मिलेगी जिसे आप अपने हिसाब से चेंज कर सकते है।
- आप उद्यमी बनने के लिए तथा उसके गुण सिखने के लिए उद्यम अथवा मेनेजमेंट डेवलपमेंट प्रोग्राम दो से चार सप्ताह का मुफ्त में अथवा कम पैसे में जॉइन करके बहुत कुछ सीख सकते है।
- आपके प्रोडेक्ट के लिए NSIC मार्केटिंग कर सकती है तथा सरकारी टेंडर में आपको प्राथमिकता दिला सकती है जिससे आपको फ्री टेंडर डॉक्यूमेंट अरनेस्टमनी से तथा परफॉर्मेंस गारंटी देने से छूट प्राप्त हो सकती है। आपके लिए एक्सपोर्ट मार्केट भी ढूंढा जा सकता है।
- आपकी कम्पनी का ISO सर्टिफिकेट का 75 प्रतिशत खर्चा वापिस मिल सकता है।
- अब आपके उद्योग के टर्न ओवर पर (40 लाख से कम) तथा सर्विस व्यवसाय में (20 लाख से कम) पर GST भी लागु नहीं होता है।
- आपको बिजली का कनेक्शन सस्ते दर पर मिलेगा।
- MSME में रजिट्रेशन होने पर आप क्रेडिट लिंक केपिटल सबसीडी स्कीम (CLCSS) के तहत योग्य होंगे।
- अंतर्राष्ट्रीय ट्रेड फेयर में आपको विशेष स्थान एवं रियायत मिलेगी।
- स्टाम्प डयूटी रजिट्रेशन फ़ीस माफ़ अथवा रियायत।
- Barcode रजिट्रेशन सबसीडी (IRS) के हकदार।
- Industrial Promotion सबसीडी के हकदार।
- क्रेडिट रेटिंग की फ़ीस में किफायत या सबसीडी।
- ब्याज सबवेंशन स्कीम में वर्किंग कैपिटल और टर्म लोन पर 2% छूट।
- बड़े सरकारी उद्योगों को MSME से 25 प्रतिशत माल खरीदना जरूरी।
- ई-मार्केट में लिंक मिलना ताकि आपका प्रोडक्ट आसानी से बिक सके।
- पेटेंट लेने पर सबसीडी के हक़दार।
- कोविड के दौरान 20 प्रतिशत के अतिरिक्त लोन तथा प्रोविडेंट फण्ड इत्यादि में सबसीडी स्कीम
- ट्रेड रिसीवेबल पर Discounted स्कीम में तुरंत भुगतान।