पृथ्वी का सबसे अच्छा श्रृंगार- पेड़
प्राकृतिक सुन्दरता किसे अच्छी नहीं लगती? वास्तव में तो हर कोई इसके प्रति ललायित रहता है, तभी तो प्राकृतिक सम्पदा से लबरेज पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की हमेशा भीड़ लगी रहती है। इतना सब होने के बावजूद हम प्राकृतिक सुन्दरता का भी सिर्फ उपभोग करना चाहते हैं, पेड़ लगाकर पृथ्वी का शृंगार नहीं करना चाहते। इसी समस्या को देखते हुए लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
समस्त मनुष्य, जीव जंतु, पशु, वनस्पतियां, पेड़, पौधे, जंगल, नदी, जल, सूर्य, प्रकाश, मिट्टी, पहाड़, हवा, जलवायु, मौसम पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं। बढ़ती जनसंख्या और उसकी जरूरतें पूरी करने के लिए मनुष्य जंगलों की कटाई कर रहा है और उसी जगह खेत बनाए जा रहे हैं। इसी तरह शहरों और बड़ी-बड़ी इमारतों का भी निर्माण किया जा रहा है।
पेड़ों की कटाई की वजह से ग्लोबल वार्मिंग, वर्षा की कमी, सूखा, बहुत ज्यादा वर्षा व बाढ़ जैसी आपदा निर्मित हो रही है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ग्लेशियर पिघल रहे हैं और समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो दुनिया भर के हजारों द्वीप डूब जाएंगे।
ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हर साल गर्मी के मौसम में बहुत ज्यादा गर्मी पड़ रही है, साथ में कई सालों से बरसात भी कम हो रही है।
पर्यावरण अनमोल रत्न
धरती केवल एक ऐसा ग्रह है जहां मनुष्य का जीवन टिकाऊ है। धरती पर जीवित रहना होगा तो पर्यावरण को बचाना होगा। पर्यावरण से हमें जीवन की आवश्यक सभी वस्तुएं उपलब्ध होती है जैसे कि स्वच्छ हवा, पानी, शुद्ध वातावरण, शीतलता इत्यादि। पर्यावरण हमारे लिए अनमोल रत्न है। पर्यावरण के बिना मनुष्य जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता।
पेड़-पौधों की हरियाली से मन का तनाव दूर होता है, दिमाग को शांति मिलती है। अनेक प्रकार की बीमारियां भी दूर होती है। पर्यावरण से मनुष्य और सभी जीवों के विकास में मदद मिलती है। यदि हम भविष्य में इस धरती पर सुरक्षित आनंददायक, अच्छा सेहत भरा जीवन चाहते हैं तो हमें अपनी धरती और पर्यावरण को सुरक्षित बनाना होगा।
पौधारोपण को बनाएं परम्परा
पेड़ों को अंधाधुंध काटने की वजह से पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है और पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। प्रदूषण की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। प्रकृति को बचाने के लिए हमें महत्वपूर्ण बातों को आत्मसात करना पड़ेगा जैसे हर बच्चे के जन्म के समय एक पौधा लगाएं और बच्चे की परवरिश के जैसी ही उसकी परवरिश करें।
बच्चों के जन्मदिन के अवसर पर रिटर्न गिफ्ट के बदले में सुंदर-सुंदर पौधे गिफ्ट करें। कोई भी फंक्शन हो मेहमानों का स्वागत छोटे-छोटे पौधों से करें। हर उत्सव पर पौधारोपण अवश्य करें।
पर्यावरण के प्रति भी रहें सतर्क
नदी, तालाब, समंदर इनको प्रदूषित न करें। नदी तालाब में कपड़े ना धोए। कूड़ा कचरा नदी, तालाब में ना डालें। कारखानों से निकलने वाला गंदा पानी नदी तालाब में ना जानें दे। जल का दुरुपयोग ना करें, इस्तेमाल के बाद तुरंत बंद करें। बिजली का उपयोग आवश्यकतानुसार करें। जरूरत नहीं रहने पर टीवी, एसी, कूलर, फैन, लाइट सब बंद रखें।
प्लास्टिक, पॉलीथिन का उपयोग बंद करें। प्लास्टिक 700-800 साल तक जमीन में वैसा ही रहता है और जमीन को और वातावरण को प्रदूषित करता है। जानवरों के पेट में जाने के बाद उनकी मृत्यु तक हो सकती है। सामान खरीदते वक्त घर से ही कागज की थैली या कपड़े की थैली ले जाए। सिग्नल पर गाड़ियां बंद करें।
आसपास जाना हो तो साइकिल का उपयोग करें। अगर बड़े सिटी में घूमना है तो सिटी बस को प्राथमिकता दें ना कि खुद के गाड़ी से जाएं ताकि थोड़ा सा प्रदूषण कम करने में हमारी सहायता बनी रहेगी।
कारखानों से निकलने वाले धुएं से प्रदूषण बचाने के लिए कारखानों का शहर से दूर होना और चिमनी की ऊंचाई बढ़ाना जरूरी है। दोपहिया वाहनों में अच्छा ऑयल डालें जिससे कि वो काला धुंआ ना छोड़े।
पशु-पक्षी भी पर्यावरण का अंग
पशु, पक्षियों के प्रति सहानुभूति बनाए रखें, क्योंकि ये भी पर्यावरण का ही अंग हैं। उनके लिए दाना पानी की व्यवस्था करें। कूड़ा कचरा डस्टबिन में ही फेंके। ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए लाउड स्पीकर की आवाज कम से कम रखें। जनसंख्या नियंत्रण में रखें। पेड़ की बढ़ती कटाई रोकने के लिए सरकार द्वारा सख्त से सख्त कानून बनाएं।
पृथ्वी का बढ़ता तापमान और प्रदूषण इंसानों के साथ साथ सभी जीवों के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। जीव जंतुओं की कुछ प्रजातियां विलुप्त हो रही है। सांस लेने में तकलीफ जैसी भयंकर बीमारियां भी हो रही है।
अगर यह सिलसिला ऐसा ही चलता रहा तो धीरे-धीरे जिंदगी मुश्किल होती जाएगी। पर्यावरण को स्वच्छ रखना हमारा प्रथम कर्तव्य है क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण ही देगा हमको स्वास्थ्यपूर्ण जीवन।