कठिन नहीं है ब्लैक फंगस को हराना
वर्तमान में कोरोना महामारी तो ठीक से थमी भी नहीं है और ब्लैक फंगस का आतंक बढ़ने लगा है। देशभर में ब्लैक फंगस के संदिग्ध मरीज़ सामने आए हैं इनमे से कई आँखें गंवा चुके हैं तो कुछ अपनी ज़िन्दगी भी। इन स्थितियों के बावजूद इस बीमारी से किसी को भी डरने की आवश्यकता नहीं है। वास्तव में यदि शुरूआती दौर में ही ब्लैक फंगस का इलाज शुरू कर दिया जाए तो इसे आसानी से हराया जा सकता है। आइये जानें इस सम्बन्ध में क्या कहते हैं, प्रख्यात ईएनटी विशेषज्ञ डॉ एस के जैथलिया।
ब्लैक फंगस अथवा म्यूकर माइकोसिस बीमारी सामान्यतः ऐसे कोरोना पेशेंट को हो रही है, जिनको डायबिटीज हो, किडनी की प्रॉब्लम हो, कैंसर की प्रॉब्लम है या ऐसे पेशेंट जिनमें इम्युनिटी कम है, स्टेरॉइड ज्यादा मात्रा में ली है या हायर एंटीबायोटिक ज्यादा मात्रा में यूज हो रही है। उनमें किसी-किसी पेशेंट में इस प्रकार की समस्या पाई जा रही है।
हालांकि अभी यह समस्या बहुत कम लोगों में ही है, इसके लिए हमें थोड़ी सी सावधानी रखने की आवश्यकता है। यदि किसी को भी कोरोना की इलाज के दौरान या इलाज के बाद नाक में सूखापन लगता है, इरिटेशन होता है, या नाक में पपड़ी जमती है और खास करके इसे पेशेंट जो डायबिटीक है उन्हें अगर ऐसा लगता है तो वे तुरंत इस बात पर ध्यान दें ताकि शुरुआती दौर में ही इस बीमारी को रोका जा सके।
साथ ही मरीजों में ऊपर के दांतो में दर्द होना, गालों पर हल्की फुल्की सूजन आना यह इस बीमारी की शुरूआती अवस्था रहती है। इस अवस्था में यदि पेशेंट ध्यान दें तो इसकी रोकथाम की जा सकती है। इससे इसके जो लेट कॉम्प्लिकेशन हैं, वह नहीं होंगे।
इस बीमारी से कैसे बचें
शासन द्वारा भी अपने स्तर पर इस बीमारी से लड़ने के लिए व्यवस्था की जा रही है। वर्तमान में इसके लिए उपलब्ध होने वाली दवाइयों की कमी है पर प्रशासन की व्यवस्था के अनुसार जल्द ही इस बीमारी की दवाइयां आसानी से उपलब्ध हो पाएंगी।
जिन किसी मरीजों में इस प्रकार के थोड़े भी लक्षण अगर दिखाई देते हैं तो उन्हें घबराना नहीं है। तुरंत उसका इलाज लेना है और स्वस्थ होकर जब वह घर जाएं तो अपनी डायबिटीज पर कंट्रोल रखें, रेगुलर चेकअप करवाते रहें। मरीजों को ऐसे बंद कमरे में जहां पर धूप नहीं आती हो, सीलन हो वहां नहीं रहना चाहिए।
शहर में कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें इस प्रकार की समस्या देखी जा रही है। पर इन्हें अभी और जांच की आवश्यकता है, जिससे कि कंफर्म हो कि वह ब्लैक फंगस बीमारी से ग्रसित हैं।
वर्तमान में निश्चित तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि वह सभी मामले ब्लैक फंगस के ही हैं। सामान्य संक्रमण के कारण भी कभी-कभी ऐसी कई समस्याएं आती हैं।
ब्लैक फंगस के लिए होने वाली जांचे
ब्लैक फंगस की जांच के लिए शुरुआती दौर में नाक का परीक्षण किया जाता है। जिसमें नाक का स्वाब लिया जाता है जिसमें देखा जाता है कि इसमें फंगस है कि नहीं। इसके अलावा सीटी स्कैन और एमआरआई करवाई जाती है।
इन सभी जांचों के बाद पता चलता है कि मरीज को फंगस है या नहीं, या फंगस का कितना इंवॉल्वमेंट है। यदि फंगस केवल नाक और साइनस में है तो ईएनटी सर्जन उसे ऑपरेट करते हैं। यदि ऊपर की हड्डी उसमें इंवॉल्व होने लगती है तो उसमें फेसो मैक्सिलरी सर्जन इंवॉल्व होते हैं।
यदि आंखों का इंवॉल्वमेंट होता है तो आई स्पेशलिस्ट आई सर्जन भी इसमें इंवॉल्व होते हैं। इस बीमारी का इलाज एक टीम वर्क है जिसमें डॉक्टर की टीम मिलकर मरीज का इलाज करती है और उसे स्वस्थ करती है।