शक्ति का भंडार- गाजर
गाजर में शरीर के लिए पोषक तत्व होते हैं। इसमें कोशों एवं धमनियों को संजीवन करने की क्षमता होती है। गाजर के रस में जीवनदायिनी शक्ति होती है। डायबिटीज जैसे रोगों को छोड़कर गाजर प्रायः हरेक रोग में सेवन की जा सकती है। इसे खाने की जगह इसका रस अधिक लाभदायक है।
गाजर के रस में विटामिन ‘ए’ सर्वाधिक मिलता है। विटामिन बी, सी, डी, जी और के भी मिलते हैं। गाजर के रस में सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम तथा लौह तत्व होते हैं। अतः यह कई रोगों में औषधि का कार्य करती है, वहीँ स्वास्थ्य बनाने की इस ऋतु में अपने गुणों के कारण किसी वरदान से कम नहीं है।
शक्तिवर्धक
इसमें संतुलित भोजन के तत्व होते हैं। इससे अनिद्रा रोग दूर होता है, थकान दूर होती है। मानसिक, शारीरिक, स्नायुविक शक्ति पैदा होती है। जीवन में उमंग, साहस, शक्ति उत्पन्न होती है। रक्त की कमी दूर होती है, वजन बढ़जाता है। यह हर व्यक्ति के लिए शक्तिवर्धक है।
गाजर का हलवा स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है। लगातार दो महीने तक इसका हलवा खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। इसमें शरीर को स्वस्थ रखने वाले समस्त तत्व होते हैं। इसमें लोहे की मात्रा अधिक होती है। इसका लोहा शीघ्र पच कर रक्त में मिल जाता है। इसका रस पीने से दांत, आँख, दाद, खुजली आदि चर्म-रोगों में लाभ होता है। इसमें विटामिन ‘ए’ होने से इसका रस आँखों की कमज़ोरी, रतोंधी अर्थात रात में न दिखना दूर करता है और बुढ़ापे में भी बिना ऐनक के पढ़ सकते हैं। क्योंकि नेत्र ज्योति बढ़ती है।
- दूध में वृद्धि: दूध पिलाने वाली माताओं को इसका रस पिलाने से दूध बढ़ता है।
- बच्चों की दुर्बलता: दुर्बल बच्चों को दो-तीन चम्मच इसका रस नित्य तीन बार पिलाने से बच्चे हष्ट-पुष्ट हो जाते हैं। दूध के साथ इसका रस पिलाने से बच्चे का विकास तेजी से होता है।
रोगों में हकीम
कैंसर: गाजर का रस पीते रहने से कैंसर में लाभ होता है। ल्यूकेमिया(ब्लड कैंसर) पेट के कैंसर में ज्यादा लाभदायक है।
यकृत: यकृत रोगग्रस्त, पित्तदोषग्रस्त, व्यक्तियों को बार-बार गाजर खानी चाहिए।
पीलिया: गाजर पीलिया की प्राकृतिक औषधि है। यूरोप में पीलिया के रोगियों को गाजर का रस, गाजर का सूप और गाजर का गर्म काढ़ा दिया जाता है।
हृदयरोग: हृदय कमजोर होने पर नित्य दो बार इसका रस पीएं। घी, तेल, चिकनी चीज़ें न पचने पर गाजर का रस पीने से आराम होता है।
दस्त: इससे पुराने और अपच के दस्त संग्रहणी ठीक हो जाते हैं।
बड़ी आंत की सूजन में इसका रस पीने से लाभ होता है।
निषेध
निःसंदेह इसका रस सभी रोगों में लाभदायक है। फिर भी जुकाम, जीर्णज्वर, न्यूमोनिया या तीव्र ज्वर में गाजर का रस नहीं लेना चाहिए। कारण यह है कि बीमारी के समय रुग्ण शरीर, भीतरी विषैले द्रव्य बाहर निकलते हैं तब इसका रस तो क्या कोई भी आहार इस प्रक्रिया में बाधा डालता है। लेकिन टॉन्सिलाइटिस, पेचिश, एनीमिया, पथरी, बवासीर, अल्सर और रक्तविकार आदि में इसका रस उपयोगी सिद्ध होता है।