कई बीमारियों की एक दवा – पुदीना
पुदीना को कौन नहीं जानता। यह तेज व मनमोहक गंध वाली एक ऐसी वनस्पति है, जिसके बिना रसोई में खासतौर पर चटनी तो अधूरी ही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पुदीना एक ऐसी वनस्पति है, जो अपने आपमें कई रोगों को ठीक करने की सामर्थ्य रखती है? आईये जानें कैसे?
मुंह की दुर्गंध- पुदीना की पत्तियों को थोड़े-थोड़े समय के बाद चबाते रहने से मुंह की दुर्गंध दूर हो जाती है। पुदीना की 15-20 हरी पत्तियों को 1 गिलास पानी में अच्छी तरह उबालकर उस पानी से गरारे करने से भी मुंह की दुर्गंध दूर हो जाती है।
जहरीले कीड़ों के काटने पर- पुदीना के पत्तों को पीसकर किसी जहरीले कीड़े या बिच्छु द्वारा काटे हुए अंग (भाग) पर लगाएं और पत्तों का रस 2-2 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार रोगी को पिलाने से आराम मिलता है।
चेहरे की सौंदर्यता- पुदीना की पत्तियों को पीसकर गाढ़े लेप को सोने से पहले चेहरे पर अच्छी तरह से मल लें। सुबह चेहरा गर्म पानी से धो लें। इस लेप को रोजाना लगाने से चेहरे के दाग-धब्बे, झांइयां और फुंसियां दूर हो जाती हैं और चेहरे पर निखार आ जाता है।
गैस- 4 चम्मच पुदीना के रस में 1 नींबू का रस और 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से गैस के रोग में आराम आता है। इसी प्रकार सुबह 1 गिलास पानी में 24 मिलीलीटर पुदीना का रस और 30 ग्राम शहद मिलाकर पीने से गैस समाप्त हो जाती है। पुदीना का रस रोगी को पिलाने से आंतों के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
पेट में दर्द व अरुचि (भूख का न लगना)- 3 ग्राम पुदीना के रस में हींग, जीरा, कालीमिर्च और थोड़ा सा नमक डालकर गर्म करके पीने से पेट के दर्द और अरुचि (भोजन की इच्छा न होना) रोग ठीक हो जाते हैं।
त्वचा के रोग- खाज-खुजली आदि त्वचा के रोगों में हल्दी और पुदीना का रस बराबर की मात्रा में मिलाकर लगाने से लाभ होता है।
सर्दी और खांसी- पुदीना की पत्तियों और कालीमिर्च को मिलाकर गर्म-गर्म चाय रोगी को पिलाने से सर्दी-खांसी, जुकाम, दमा और बुखार में आराम मिलता है।
बदहजमी (भोजन का न पचना), भूख की कमी- 4-6 मुनक्का के साथ 8-10 पुदीना की पत्तियां सुबह-शाम भोजन के बाद नियमित रूप से चबाते रहने से आराम मिलेगा।
खांसी- चौथाई कप पुदीना का रस इतने ही पानी में मिलाकर रोजाना 3 बार पीने से खांसी, जुकाम, कफ-दमा व मंदाग्नि में लाभ होता है।
त्वचा की गर्मी- हरा पुदीना पीसकर चेहरे पर बीस मिनट तक लगाने से त्वचा की गर्मी दूर हो जाती है।
जुकाम- पुदीना, कालीमिर्च के पांच दाने और नमक इच्छानुसार डालकर चाय की भांति उबालकर रोजाना तीन बार पीने से जुकाम, खांसी और मामूली ज्वर में लाभ मिलता है। पुदीना के रस की बूंदों को नाक में डालने से जुकाम के रोग में लाभ होता है।
रक्त (खून) का जमना- चोट लग जाने से रक्त जमा हो जाने गुठली-सी बन जाने पर पुदीना का अर्क (रस) पीने से गुठली पिघल जाती है।
पित्ती- पुदीना 10 या 20 ग्राम को 200 मिलीलीटर पानी में उबालकर छानकर पिलाने से बार-बार उछलने वाली पित्ती ठीक हो जाती है।
सिर का दर्द- सिर पर हरे पुदीना का रस निकालकर लगाने से सिर दर्द दूर हो जाता है। पुदीना की पत्तियों को पानी में पीसकर माथे पर लेप करने से सिर का दर्द खत्म हो जाता है।
बच्चों के रोग– कान में दर्द हो तो पुदीना का रस डालें या हरी मकोय का रस कान में डालना चाहिए।
हैजा- पुदीना का रस पीने से हैजा, खांसी, वमन (उल्टी) और अतिसार (दस्त) के रोग में लाभ होता है। इससे पेट में से गैस और कीड़े भी समाप्त हो जाते हैं। हैजा होने पर पुदीना, प्याज और नींबू का रस मिलाकर रोगी को देने से लाभ मिलता है।
वायु के रोग- पुदीना, तुलसी, कालीमिर्च और अदरक का काढ़ा पीने से वायु रोग (वात रोग) दूर होता है और भूख भी बहुत लगती है।
आंतों के रोग- पुदीना का ताजा रस शहद के साथ सेवन करने से आंतों की खराबी और पेट के रोग मिटते हैं। आंतों की बीमारी से पीड़ित रोगियों के लिए पुदीना के ताजे रस का सेवन करना बहुत ही लाभकारी है।
शीत बुखार में- पुदीना और अदरक का रस या काढ़ा पीने से शीतज्वर मिट जाता है। इससे पसीना निकल आता है और हर प्रकार का ज्वर मिट जाता हैं। गैस और जुकाम के रोग में भी यह काढ़ा बहुत लाभ पहुंचाता है।
टायफाइड- पुदीना, राम तुलसी (छोटे और हरे पत्तों वाली तुलसी) और श्याम तुलसी (काले पत्तों वाली तुलसी) का रस निकालकर उसमें थोड़ी-सी शक्कर (चीनी) मिलाकर सेवन करने से टायफाइड (मोतीझरा) के रोग में लाभ होता है।
न्युमोनिया (ठंड लगकर बुखार आना)- पुदीना का ताजा रस शहद के साथ मिलाकर हर 1 घंटे के बाद देने से न्युमोनिया (त्रिदोषज्वर-वात, पित्त और कफ) से होने वाले अनेक विकारों (बीमारियों) की रोकथाम करता है और बुखार को समाप्त करता है।
चेहरे की झांइयां- पुदीना के रस को मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे की झांइयां समाप्त हो जाती हैं और चेहरे की चमक बढ जाती है।
दाद- शरीर के किसी भाग में दाद होने पर उस भाग पर पुदीना के रस को 1 दिन में 2-3 बार लगाने से लाभ मिलता है। पुदीना का रस दाद पर बार-बार लगाते रहने से दाद ठीक हो जाता है।
बुखार- पुदीना और तुलसी का काढ़ा बनाकर रोजाना पीने से आने वाला बुखार रुक जाता है। पुदीना और अदरक को पानी में उबालकर काढ़ा बना लें, फिर इसे छानकर दिन में 2 बार पीने से बुखार ठीक हो जाता है। प्रतिश्याय (जुकाम) में भी इससे बहुत लाभ होता है।
शारीरिक कमजोरी- पुदीने में विटामिन-ई पाया जाता है, जो शरीर की शिथिलता (कमजोरी) और वृद्धावस्था (बुढ़ापे) को आने से रोकता है। इसके सेवन करने से नसें भी मजबूत होती हैं।
सर्दी-जुकाम- पुदीने के रस की 1 बूंद दिन में 3-4 बार नाक में डालने से सर्दी और जुकाम में लाभ मिलता है।
मुंह की सफाई के लिए- पुदीना चबाकर खाने से दांतों के बीच छिपे भोजन के कण दूर होते हैं और मुंह की सफाई भी हो जाती है।
आंखों के रोगों में- पुदीना में विटामिन-ए मिलता है, जो आंखों के रोगों में लाभदायक होता है।
दांतों का दर्द- सूखे पुदीने को पीसकर प्रतिदिन मंजन करने से दांतों का दर्द ठीक होता है।
दमा या श्वास- दमा, खांसी, मंदाग्नि और जुकाम होने पर चौथाई कप पुदीना का रस इतना ही पानी मिलाकर प्रतिदिन पीते रहने से लाभ मिलता है।
गर्भनिरोध (गर्भ का न ठहराना)- पुदीना को सुखाकर बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसे स्त्री को संभोग (सहवास) करने से पहले लगभग 10 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ पिलाने से स्त्री का गर्भ नहीं ठहरता है। ध्यान रहे कि जब गर्भाधान अपेक्षित हो तो इस चूर्ण का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
मुंह के छाले- हरा पुदीना, सूखा धनिया और मिश्री बराबर मात्रा में लेकर चबायें और लार को नीचे टपकायें। इससे मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
दस्त- पुदीने को पीसकर प्राप्त रस को 1 चम्मच की मात्रा में लेकर 1 कप पानी में डालकर पीयें।
हिचकी- पुदीना के पत्तों को चूसने और पत्तों को नारियल (खोपरे) के साथ चबाकर खाने से हिचकी दूर होती है। पुदीना के पत्ते या नींबू को चूसने या पुदीना के पत्तों को शक्कर (चीनी) में मिलाकर चबाने से हिचकी का आना बंद हो जाता है।
गर्भवती स्त्री का जी मिचलाना- पुदीना का रस लगभग 30 मिलीलीटर प्रत्येक 6 घंटे पर गर्भवती स्त्री को सेवन कराने से जी का मिचलाना बंद हो जाता है।
मासिक धर्म की अनियमितता- पुदीने की चटनी कुछ दिनों तक लगातार खाने से मासिक-धर्म नियमित हो जाता है।
लू का लगना- लगभग 20 पुदीना की पत्तियां, लगभग 3 ग्राम सफेद जीरा और 2 लौंग मिलाकर इन सबको पीसकर जल में घोलकर, छानकर रोगी को पिलाने से लू से होने वाली बेचैनी खत्म हो जाती है। इसी प्रकार लगभग 150 मिलीलीटर पुदीना के रस को इतने ही ग्राम पानी के साथ पीने से लू से होने वाले खतरों से बचा जा सकता है।
शीतपित्त- पुदीना 7 ग्राम और 20 ग्राम गुड़ को 100 मिलीलीटर पानी में उबालकर पीने से बार-बार पित्ती निकलना ठीक हो जाती है। पुदीना को पानी के साथ काढ़ा बनाकर थोड़ा-सा गुड़ मिलाकर खाने से पित्त में बहुत ही लाभ होता है।
गठिया (घुटनों के दर्द)- गठिया के रोगी को पुदीना का काढ़ा बनाकर पीने से पेशाब खुलकर आता है और गठिया रोग में आराम मिलता है।
निम्न रक्तचाप (लो ब्लडप्रेशर)- 50 ग्राम पुदीना को पीसकर उसमें स्वाद के अनुसार सेंधानमक, हरा धनिया और कालीमिर्च को डालकर चटनी के रूप में सेवन करने से बहुत लाभ होता है।
पीलिया- पुदीना के अधिक सेवन से पीलिया में लाभ होता है। पुदीना की चटनी नित्य रोटी के साथ खाने से पीलिया में लाभ होता है। पुदीना के रस को शहद के साथ पन्द्रह दिनों तक सेवन करने से पीलिया में लाभ होगा।
चेहरे के दाग-धब्बे- शराब के अंदर पुदीने की पत्तियों को पीसकर चेहरे पर लगाने से चेहरे के दाग, धब्बे, झांई सब मिट जाते हैं और चेहरा चमक उठता है।
गले के रोग- 5-5 ग्राम पुदीना , लोहबान और अजवायन का रस, 5 ग्राम कपूर और 5 ग्राम हींग को 25 ग्राम शहद में मिलाकर एक साफ शीशी में भरकर रख लें, फिर पान के पत्ते में चूना-कत्था लगाकर शीशी में से 4 बूंदे इस पत्ते में डालकर खाने से गले का दर्द दूर होता है।
पुदीना के नुकसान
पुदीना धातु के लिए हानिकारक होता है। पित्तकारक प्रकृति होने के कारण पित्त प्रवृति के लोगों को पुदीना का सेवन कम मात्रा में कभी-कभी ही करना चाहिए।