Mulahiza Farmaiye

मुलाहिज़ा फरमाइये

ऐसे जियो कि अपने आप को पसंद आ सको।
दुनिया वालों की पसंद तो पल भर में बदल जाती है।

दस्तक और आवाज़ तो कानों के लिए है,
जो रूह को सुनाई दे उसे ख़ामोशी कहते हैं……

मेरी आवाज़ ही पर्दा है मेरे चेहरे का,
मैं हूँ ख़ामोश जहाँ, मुझको वहाँ से सुनिए।

ख़्वाबों के पंछी कब तक शोर करेंगे पलकों पर
शाम ढलेगी और सन्नाटा शाखों पर हो जायेगा..!!

चिंताएं तेरी बेवजह है नादान परिंदे,
जिसने पंख दिए हैं वो आसमान भी देगा उड़ने के लिए।

जो चलते हैं मंजिल की ओर,
वो शिकवे नहीं किया करते…..
जो करते हैं शिकवे गिले,
वो मंजिल पर पहुँचा नहीं करते…!!

आये हो निभाने जब किरदार ज़मीं पर
कुछ ऐसे कर चलो कि ज़माना मिसाल दे…

ज्योत्सना कोठारी

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Sri Maheshwari Times
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