वाणी को मधुर बनाती- सहज शंख मुद्रा
वाणी दोष एक ऐसी समस्या है, जिसका उपचार आसान नहीं। लेकिन योग की “शंख मुद्रा” से काफी हद तक राहत प्राप्त की जा सकती है।
कैसे करें
इस मुद्रा में दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाकर, हथेलियां दबाकर दोनों अंगूठों को मिलाकर तर्जनी उंगली को हल्के से दबाएं। इस मुद्रा को दिन में दो-तीन बार 15-15 मिनट के लिए करें।
क्या हैं इसके लाभ
इस मुद्रा से भी स्वर दोष दूर होते हैं। गले के रोग भी ठीक होते हैं तथा आवाज मधुर बनती है। तुतलाना बन्द होता है, जो बच्चे तुतलाते हैं, उन्हें इस मुद्रा के अभ्यास से बहुत लाभ होता है। मन शांत होता है व पाचन शक्ति बढ़ती है, गैस दूर होती है। आंतो के रोग दूर होते हैं। इससे महिलाओं के मासिक धर्म की अनियमितता भी समाप्त होती है।
इस मुद्रा से बवासीर रोग दूर होता हैं व मणिपुर चक्र संतुलित होता है। रक्त संचार भी ठीक होता है। जब इस मुद्रा को मूलबंध लगाकर करते हैं तो और भी अधिक लाभ होता है। मूलबंध के साथ करने से पुरुषों में सहवास में शक्ति बढ़ती है एवं स्नायु तन्त्र मजबूत होता है।